Ranchi- प्रेम प्रकाश मामले में अब बिरसा मुंडा केन्द्रीय कारा के अधिकारियों के धर्म पर भी सवाल खड़े किये जाने लगे हैं. भाजपा प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने हेमंत सरकार पर तुष्टीकरण की राजनीति करने का गंभीर आरोप लगाते हुए इस बात का दावा किया है कि जिस प्रकार से जेल जेल अधीक्षक, जेलर और बड़ा बाबू तक की पोस्टिंग एक ही समुदाय विशेष से की गयी है, उसके बाद यह सवाल खड़ा होना लाजमी है कि क्या यह महज संयोग है? हेमंत सरकार की किसी गहरी साजिश का हिस्सा? क्या यह इस बात का प्रमाण नहीं है कि हेमंत सरकार अधिकारियों की पोस्टिंग में भी जाति धर्म को आधार बना रही है, आखिर उपर से नीचे तक एक विशेष जेल में एक ही विशेष समुदाय के अधिकारियों की पोस्टिंग कैसे हो गयी? इस पोस्टिंग को देख कर कोई भी यह अंदाज लगा सकता है कि यहां दाल में कुछ काला है.
अधिकारियों की निष्ठा पर नहीं, लेकिन इस पोस्टिंग पर सवाल तो खड़ा होता ही है
हालांकि प्रतुल शाहदेव ने यह भी कहा कि हम किसी अधिकारी की निष्ठा पर सवाल नहीं उठा रहे हैं, लेकिन इस तरह की पोस्टिंग पर सवाल तो खड़ा होता ही है. हम अधिकारियों को उस शपथ की याद दिलाना चाहते, जो उन्होंने अपनी पोस्टिंग के पहले ली थी. सरकारें आती जाती रहती है, लेकिन व्यवस्था बरकरार रहता है, और इस व्यवस्था को सुचारु बनाये रखने जिम्मेवारी आपके कंधों पर हैं. किसी भी हालत में इस भ्रष्ट सरकार के काले कारदास्तानियों का हिस्सा आपको नहीं बनना चाहिए.
पहले ही एक मुस्लिम अधिकारी ने खुलेआम सरकार को दिख लाया था आईना
प्रतुल शाहदेव ने कहा कि इसी सरकार के एक अधिकारी ने आंख दिखलाते हुए कहा था कि हम एक मुस्लिम अधिकारी है, और तुम मुसलमानों के वोट से जीत कर आते हो, अपनी लक्ष्मण रेखा को समझो, एक आईएएस अधिकारी के द्वारा खुलेआम इस तरह की साम्प्रायिक भाषा के इस्तेमाल के बावजूद हेमंत सरकार कोई कड़ा फैसला नहीं ले सकी, आज भी वह अधिकारी सरकार की आंखों का तारा बना हुआ है. इसी से साफ होता है कि हेमंत सरकार एक विशेष समुदाय के अधिकारियों के सामने नतमतस्क होने को विवश है. लेकिन यहां सवाल हेमंत सरकार का नहीं है, यहां सवाल तो झारखंड की जनता उस जनता का है, जिसने बड़ी आशा और विश्वास के साथ झामुमो के झूठे दावों पर भरोसा कर अपना कीमती वोट दिया था, लेकिन उन चुनावी वादों को पूरा करने के बजाय हेमंत सरकार एक खास समुदाय को खुश करने का प्रयास करने में जुटी हुई है.
जेल के तीनों महत्वपूर्ण पदों पर तैनात हैं मुस्लिम समुदाय से आने वाले अधिकारी
यहां ध्यान रहे कि अभी यहां अधीक्षक के पद पर मोहम्मद हामिद अख्तर, जेलर के पद पर मोहम्मद नसीम और बड़ा बाबू के रुप में दानिश रिजवान की पोंस्टिग की गयी है. दरअसल भाजपा अब इसी को मुद्दा बनाने की तैयारी करती हुई दिख रही है. ध्यान रहे कि बिरसा मुंडा केन्द्रीय कारागार जिसे स्थानीय लोगों के द्वारा होटवार जेल भी बोला जाता है, अभी शराब घोटला, जमीन घोटला, शराब घोटाला से लेकर मनीलांड्रिंग तक के दर्जनों आरोपी बंद है. इसमें सबसे बड़ा चेहरा घोटालेबाज प्रेम प्रकाश और अमित अग्रवाल का है.
किसके दवाब में काम कर रहे हैं जेल अधिकारी
ईडी का दावा है कि घोटाला किंग प्रेम प्रकाश जेल में रहकर भी जांच अधिकारियों के विरुद्ध साजिश रच रहा था, उसकी योजना किसी महिला को सामने लाकर जांच अधिकारियों के विरुद्ध एसटी-एसी एक्ट के तहत मामला दर्ज करवाने का था. जिससे की ये जांच अधिकारी भी उनके साथ ही इस जेल की दीवारों के अन्दर आ जायें. दावा यह भी किया जाता है कि प्रेम प्रकाश नक्सलियों और आपराधिक गिरोहों के सम्पर्क में भी था, ताकि इन अधिकारियों को सदा सदा के लिए रास्ते से हटा दिया जाय.
ईडी पहले भी यह दावा करती रही है कि जेल में इन आरोपियों की दरबार सजती है, प्रेम प्रकाश तो खुलेआम जेल से ही अधिकारियों को निर्देश भेजवाता है. और कई बार अधिकारी भी जेल में उससे मुलाकात करने के लिए पहुंचते हैं. इन आरोपों की जांच के लिए ईडी अधिकारियों के द्वारा कुछ दिन पूर्व ही जेल अधीक्षक मोहम्मद हामिद अख्तर से जेल का फुटेज की मांग की गयी थी, लेकिन जेल अधीक्षक मोहम्मद हामिद अख्तर के नियमों का हवाला देते हुए सीसीटीवी फुटेज देने से इंकार कर दिया था, और बाद में यह कोर्ट भी पहुंचा था.
जानकारों का दावा है कि ईडी जिस दिशा में जांच की रफ्तार को आगे बढ़ाना चाह रही है, जेल अधिकारियों के द्वारा उसमें दीवार खड़ी की जा रही है, और ऐसा लगता है कि इन अधिकारियों पर किसी तरह का दवाब है, जिसके कारण वह ईडी के साथ सहयोग करने को तैयार नहीं है. क्योंकि आम तौर से जेल अधिकारी जांच एजेंसियों के सामने इस तरह की बाधा खड़ा नहीं करते और कुछ यही संकेत भाजपा प्रवक्ता प्रतुलनाथ शाहदेव का भी है.
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