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आरएसएस की विचारधारा नहीं, बिरसा मुंडा के रास्ते लड़ी जायेगी जल, जंगल जमीन की लड़ाई! चार फरवरी को राजधानी रांची में आदिवासी एकता महारैली

आरएसएस की विचारधारा नहीं, बिरसा मुंडा के रास्ते लड़ी जायेगी जल, जंगल जमीन की लड़ाई! चार फरवरी को राजधानी रांची में आदिवासी एकता महारैली

Ranchi-संघ परिवार की आनुषांगिक संगठन जनजाति सुरक्षा मंच पर वृहतर आदिवासी समाज की एकता में जहर घोलने का आरोप लगाते हुए झारखंड जनाधिकार मंच सुप्रीमो बंधु तिर्की ने दावा किया है कि आदिवासी समाज की राजनीतिक-सामाजिक भागीदारी और जल जंगल और जमीन की लड़ाई में हेडगेवार और आरएसएस की विचारधारा का कोई स्थान नहीं है. आदिवासी समाज बिरसा मुंडा के बताये रास्ते पर चल कर ही अपनी हक हकूक की लड़ाई लड़ेगा और किसी भी कीमत पर संघ परिवार को आदिवासी समाज में जहर घोलने की इजाजत नहीं देगा.

जल जंगल जमीन की लड़ाई पर जनजाति सुरक्षा मंच की चुप्पी?

जनजाति सुरक्षा मंच की भूमिका पर सवाल उठाते हुए बंधु तिर्की ने दावा किया कि जब भी जल जंगल और जमीन पर आदिवासी समाज के हक की बात आती है, आदिवासी समाज की जमीनों को हड़पा जाता है, सीएनटी एक्ट से छेड़छाड़ की साजिश तैयार की जाती है, विस्थापन की जिंदगी जीने को मजबूर किया जाता है, उनकी जमीन को हड़प कॉरपोरेट घराने को सौंपनी की तैयारी की जाती है, और अपनी ही जमीन पर आदिवासी समाज को मजदूर बनाने की साजिश रची जाती है, तब तो जनजाति सुरक्षा मंच चुप्पी साध जाता है, वह कभी भी आदिवासी समाज के जमीनी मुद्दों पर एक रैली भी निकालने का जोहमत नहीं उठाता, लेकिन जैसे ही संघ परिवार से आदेश आता है, वह आदिवासी समाज को विभाजित करने के लिए  जहर का पुड़िया लेकर निकल पड़ता है.

धर्मांतरित आदिवासियों को डिलिस्टिंग की मांग इसी संघी साजिश का हिस्सा

धर्मांतरित आदिवासियों को डिलिस्टिंग करने की मांग भी इसी संघी साजिश का हिस्सा है, और इसका मकदस है आदिवासी समाज को विभाजित कर संघ-भाजपा के लिए सियासी जमीन को तैयार करना. अपनी चार फरवरी की रैली के लिए झारखंड के सभी आदिवासी समूहों के अपील जारी करते हुए बंधु तिर्की ने कहा कि यह किसी पार्टी की रैली नहीं है, इसके विपरीत यह आदिवासी समाज के स्वाभिमान की रैली है. संताल, मुंडा, बिरहोर सहित तमाम सामाजिक समूहों का इस आदिवासी एकता महारैली में स्वागत है, क्योंकि यदि आज आदिवासी चुप्प रहा तो कल हम अपनी आवाज उठाने की हालत में भी नहीं रहेंगे. हमारी आवाज पर ताला लगा दिया जायेगा. आदिवासी समाज को यह नहीं भूलना चाहिए कि हम हेडेगवार के वंशज नहीं होकर बिरसा मुंडा, सिद्धू कान्हू की संतान है, हमारी सभ्यता और संस्कृति अलग है, आदिवासी कोई जाति नहीं होकर एक रेस है, एक समुदाय है, संविधान में हमारे लिए धर्म के आधार पर आरक्षण प्रदान करने की कहीं व्यवस्था नहीं है, आदिवासी किसी भी धर्म को हो, वह आदिवासी  है, क्योंकि धर्म बदलने से उसका रेस नहीं बदलता, उसकी पहचान नहीं बदलती, आदिवासी हर सूरत में सिर्फ आदिवासी होता है. यही उसकी पहचान है. और हम किसी भी कीमत पर संघ परिवार की इस साजिश को कामयाब नहीं होने देंगे.

पूर्वोत्तर के राज्यों में भी सुलग रही है आग

यहां ध्यान रहे कि धर्मांतरित आदिवासियों को डिलिस्टिंग की मांग के बीच झारखंड प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष और झारखंड जनाधिकार मंच के सुप्रीमो बंधु तिर्की ने 4 फरवरी को रांची की सड़कों पर आदिवासी एकता महारैली के जरिये शक्ति प्रर्दशन का एलान किया है. ध्यान रहे कि संघ परिवार के द्वारा छेड़ी गयी इस मुहिम को लेकर झारखंड से लेकर पूर्वोत्तर के तमाम राज्यों में आदिवासी समुदाय के बीच आग सुलगती दिखलायी पड़ रही है. डिलिस्टिंग की मांग को वृहतर आदिवासी समाज की एकता को विभाजित करने की संघी साजिश करार दिया जा रहा है.

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डिलिस्टिंग का जवाब आदिवासी एकता महारैली! चार फरवरी को रांची की सड़कों पर बंधु तिर्की का शक्ति प्रर्दशन

Published at:27 Dec 2023 03:48 PM (IST)
Tags:jungle and land will be fought on the path of Birsa MundaTribal Unity Maharally in the capital Ranchi on 4th FebruaryDemand for delisting of converted tribalsआदिवासी एकता महारैलीThe battle for waterBirsa Munda is not a descendant of Adivasi Hedgewar the child of Sidhu Kanhubandhu tirkeybandhu tirkey newsbandhu tirkey ka newsbandhu tirkey latest newsbandhu tirkey ka sajabandhu tirkey ko sajaformer jharkhand minister bandhu tirkeyjharkhand politics jharkhand breaking News jharkhand latest News जनजाति सुरक्षा मंच Tribal Security Forum
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