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चुनाव के नाम पर अफसरों की हेराफेरी! चुनाव आयोग की चिट्ठी के बाद घेरे में चंपाई सरकार, किसके इशारों पर हुआ यह खेल

चुनाव के नाम पर अफसरों की हेराफेरी! चुनाव आयोग की चिट्ठी के बाद घेरे में चंपाई सरकार, किसके इशारों पर हुआ यह खेल

Ranchi-अपने शपथ ग्रहण के बाद फुल फॉर्म में नजर आ रहे सीएम चंपाई सोरेन ने ताबड़तोड़ अधिकारियों का तबादला कर यह संकेत देने की कोशिश की पूरी प्रशासनिक मशीनरी पर उनकी नजर है, हालांकि तब इस स्थानान्तरण के पीछे लोकसभा चुनाव की अधिसूचना को मुख्य वजह बतायी गयी थी. लेकिन अब मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के. रवि कुमार के द्वारा सभी अपर मुख्य सचिव, प्रधान सचिव और सभी जिला निर्वाचन पदाधिकारयों भेजे गये पत्र के बाद इस स्थानान्तरण की मंशा पर ही सवालिया निशान खड़ा हो गया है. भारत निर्वाचन आयोग का एक पत्र का हवाला देते हुए रवि कुमार ने लिखा है कि आयोग के संज्ञान में यह तथ्य आया है कि अधिकारियों का तबादला उसी संसदीय क्षेत्र या उसके सीमावर्ती जिलों में किया गया है, जहां पूर्व में उनकी तैनाती थी. यह स्थानान्तरण नीति की मूल भावनाओं के प्रतिकूल है. जिन भी अधिकारियों के स्थानानंतरण में आयोग के दिशा निर्देशों का उल्लघंन हुआ है, तत्काल उन सभी अधिकारियों को आयोग के दिशा निर्देश का अनुपालन करते हुए पदस्थापन किया जाय और इसके साथ ही 26 फरवरी तक इसकी सूचना आयोग भेज दी जाय.

हर लोकसभा चुनाव के पहले तीन वर्षों से एक ही स्थान पर तैनात अधिकारियों का होता है तबादला

यहां ध्यान रहे कि किसी भी लोकसभा चुनाव के पहले तीन साल से एक ही स्थान पर तैनात अधिकारियों का उक्त संसदीय क्षेत्र से बाहर पदस्थापित किया जाता है, ताकि चुनाव की निष्पक्षता संदेह की कोई गुंजाइश नहीं रहे, इस बार जैसे ही चंपाई सोरेन ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. अधिकारियों का तबादला करने की जिम्मेवारी उनके कंधों पर आ पड़ी, आनन-फानन में स्थानानंतरण की सूची तैयार की गयी. अधिकारियों का तबादला किया गया, क्योंकि लोकसभा चुनाव की अधिसूचना किसी भी वक्त जारी हो सकती थी.

कैसे सामने आयी तबादले की विसंगतियां

लेकिन अब उसी तबादले में कई विसंगतियां सामने आती हुई दिख रही है, इसका एक उदाहरण सीरियल नम्बर 2 में विनय कुमार है,  यह पहले दुमका जिले के सरैयाहाट थाने के प्रभारी थें. सीरियल नम्बर 976 के अनुरूप इनका तबादला पहले धनबाद हुआ था, जिसे फिर रद्द करते हुए गोड्डा भेजा गया. सीरियल नम्बर 1207 में राजेंद्र यादव का नाम है, इनका तबादला गोड्डा से रांची किया गया था, लेकिन बाद में इसे रद्द करते हुए इन्हे दुमका भेज दिया गया. इनका नाम नया लिस्ट में सीरियल नम्बर 7 है. सीरियल नम्बर 1222 में ताराचंद का नाम दर्ज है. इनका तबादला पहले गोड्डा से रांची हुआ था, जिसे रद्द करते हुए दुमका कर दिया गया. नई सूची में सीरियल नम्बर 1 है. पहले तबादला और फिर उसे रद्द करने का जो खेल हुआ निर्वाचन आयोग ने इसी पर अपनी आपत्ति दर्ज करवायी है. अब जरा, बड़े पदाधिकारियों के तबादले को समझने की कोशिश करें. दुमका मुख्यालय डीएसपी विजय कुमार को पाकुड़ के महेशपुर में एसडीपीओ के रुप में पदस्थापित किया गया. लेकिन पाकुड़ जिला राजमहल लोक सभा क्षेत्र में ही आता है. जबकि राजमहल लोक सभा का पार्ट दुमका का गोपीकांदर प्रखंड है. दुमका से इंस्पेक्टर उमेश राम और वकार हुसैन का ट्रांसफर पाकुड़ किया गया. साफ है कि इनका जिला तो बदला गया, लेकिन लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र वही रह गया, अब इसी आधार पर निर्वाचन आयोग ने अपनी आपत्ति जतायी है. इस हालत में यह सवाल खड़ा होता है कि पहले तबादला और फिर उस तबादले को रदद् कर किसी और अन्य स्थान पर तबादला के पीछे खेल क्या था? और इसके पीछे सरकार की मंशा क्या थी. क्योंकि यह तो चंद उदाहरण है, यह खेल तो पूरे झारखंड में हुआ है, जैसे ही तबादले की सूची सामने आयी, उसके बाद पैरवी और पकड़ का जोर भी चलने लगा, कई अधिकारयों का तबादला इसी पकड़ और पैरवी का परिणाम था, लेकिन मुख्य सवाल यह है कि इसके पीछे  खेल किसका था?

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Published at:24 Feb 2024 06:50 PM (IST)
Tags:Manipulation by officers in the name of electionsChampai government under siege after Election Commission's letteron whose instructions did this game happenGame of transfer before Lok Sabha electionsElection Commission expressed objection on transfer of officersElection Commission used scissors on the transfer of Champai governmentInstead of sending them out of the parliamentary constituency officers were posted in the same parliamentary constituencies.Jharkhand Transfer NewsJharkhand Transfer breaking News
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