TNP DESK -पांच राज्यों में चुनावी शिकस्त के बाद जहां कांग्रेस के अंदर विश्लेषणों का दौर जारी है. पार्टी और संगठन में ऑपरेशन की तैयारियां जोरों पर है. जमीनी स्तर पर मजबूत पकड़ रखने वाले कार्यकर्ताओं को संगठन का कमान सौंपनी की तैयारी की जा रही है, तो दूसरी तरफ संकट की इस घड़ी में एक बार फिर से सीएम नीतीश कांग्रेस के लिए संकट मोचक बन कर सामने आते दिख रहे हैं.
सपा प्रमुख को लेकर दिये गये एक बयान के बाद बनी थी दूरी
दरअसल मध्यप्रदेश चुनाव में सपा प्रमुख अखिलेश यादव को लेकर कमलनाथ की एक टिप्पणी के बाद इंडिया गठबंधन के अंदर दरार दिखने लगा था, और यह माना जा रहा था कि अब कांग्रेस के लिए यूपी के दरवाजे को बंद कर चुके हैं, खुद अखिलेश यादव भी यूपी की सभी 80 सीटों पर अपने बूते जंग का एलान कर रहे थें. इस बीच चुनाव परिणाम जैसे ही सामने आया, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जून खड़गे के द्वारा इंडिया गठबंधन की बैठक का आमत्रंण भेजा गया, लेकिन आश्चर्यजनक रुप से एक-एक कर सभी घटक दलों की ओर से इस बैठक से किनारा कर लिया गया. जिसके बाद कांग्रेस दो तरफा संकट में घिरता नजर आने लगा. यह चर्चा तेज होने लगी कि सियासी अवसाद के इस क्षण में कांग्रेस के लिए तत्काल राजनीतिक मरहम की जरुरत है. जिसके की वह इस हताशा से बाहर निकल सके.
सीएम नीतीश ने संभाला मोर्चा
ठीक इसी संकट काल में नीतीश ने मोर्चा संभाला, और अखिलेश यादव को फोन लगाया. जिसके बाद सब कुछ सामान्य होता चला गया. दूरियां सिमटने लगी. सबकुछ ठीक-ठाक नजर आने लगा, इसकी पुष्टि अखिलेश यादव के उस बयान से भी होती है, जिसमें उन्होंने मतभेद की सारी खबरों को खारिज करते हुए दावा किया है कि यूपी में सीट बंटवारे को लेकर कोई परेशानी नहीं होने वाली है, हालांकि इतना तय है कि अब यूपी में यह गठबंधन कांग्रेस की शर्तों पर नहीं होकर सपा की शर्तों पर होगा, ठीक यही हालत बिहार और झारखंड में भी होगी.
बहन मायावती को इंडिया गठबंधन का हिस्सा बना चौंका सकते हैं नीतीश
लेकिन इसके साथ ही दूसरी बड़ी खबर यह है कि सीएम नीतीश ने राष्ट्रीय राजनीति में दलितों का सबसे मजबूत चेहरा माने जाने वाली बहन मायावती को इंडिया गठबंधन में शामिल करने का फैसला कर लिया है. और इस पर कांग्रेस के साथ ही सपा प्रमुख अखिलेश यादव की भी सहमति भी मिल चुकी है. यदि सब कुछ सामान्य रहा तो बहुत जल्द ही इसकी घोषणा हो जायेगी. बहन मायावती का इंडिया गठबंधन का हिस्सा बनना सीएम नीतीश की बड़ी सियासी चाल बतायी जा रही है, क्योंकि तमाम विफलताओं और सियासी ग्राफ गिरने के बावजूद आज भी बहन मायावती का यूपी में करीबन 15 फीसदी दलित मतदाताओं पर मजबूत पकड़ है. इसके साथ ही हिन्दी भाषा-भाषी विभिन्न राज्यों में भी दलितों के बीच बसपा की उपस्थिति है. इस प्रकार इंडिया गठबंधन के लिए यह सीएम नीतीश का एक मास्टर कार्ड साबित हो सकता है.
‘जोहार नीतीश’ से कुर्मी महतो मतदाताओं को साधने की रणनीति
इस सबसे अलग सीएम नीतीश ‘जोहर नीतीश’ कार्यक्रम के तहत झारखंड के दौरे पर भी निकलने का एलान कर चुके हैं. यहां याद रहे कि झारखंड में कुर्मी-महतो जाति की आबादी करीबन 16 फीसदी के आसपास है, जबकि आदिवासी समुदाय की आबादी करीबन 26 फीसदी की है, निश्चित रुप से आदिवासी समाज के बीच सीएम हेमंत एक मजबूत चेहरा हैं, और इसके साथ ही कुड़मी-महतो मतदाताओं के बीच भी झामुमो की मजबूत पकड़ है, लेकिन यदि झारखंड में सीएम नीतीश की सियासी सक्रियता तेज होती है, तो इसका सीधा लाभ इंडिया गठबंधन को मिलेगा. और इसी रणनीति को धार देने के लिए सीएम नीतीश झारखंड की यात्रा पर निकलने का एलान कर चुके हैं.
झारखंड के बाद मिशन यूपी की शुरुआत
खबर यह भी है कि झारखंड की यात्रा समाप्त होते ही उनकी यूपी की यात्रा भी शुरु होने वाली है. अब देखना यह होगा कि अपनी एंठन और अकड़ से बाहर निकल कांग्रेस सीएम नीतीश का किस रुप में इस्तेमाल करती है. क्योंकि पाला बदलने को लेकर सीएम नीतीश की चाहे जितनी आलोचना की जाए, लेकिन इतना तो तय है कि तीन दशकों के अपने राजनीतिक जीवन में नीतीश कुमार ने यह बार-बार साबित किया है कि उनकी बनायी सियासी रणनीतियों का काट बेहद मुश्किल होता है, इस हालत में हैरत नहीं होना चाहिए कि वह बहन मायावती को इंडिया गठबंधन का हिस्सा बना भाजपा की जड़ों मट्ठा डाल दें.
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