Ranchi-दुमका, राजमहल, गिरिडीह और पूर्वी सिंहभूम से प्रत्याशियों के एलान के बाद यह सवाल तेजी से खड़ा होने लगा है कि जमशेदपुर लोकसभा में झामुमो का चेहरा कौन होगा? क्योंकि पूर्वी सिंहभूम और दुमका की तरह ही जमशेदपुर सीट से झामुमो के अंदर कई चेहरों की दावेदारी तेज है. कभी आस्तिक महतो नाम सामने आता है तो कभी पूर्व सांसद सुमन महतो का नाम रेस में बताया जाता है तो कभी यह खबर सामने आती है कि ईचागढ़ विधायक सविता महतो भी अपने बेटी स्नेहा महतो को इस सियासी अखाड़े में उतारना चाहती है. इसके साथ ही कई दूसरे नाम भी चर्चा में हैं. लेकिन बावजूद इसके झामुमो अपना पत्ता खोलने को तैयार नहीं है. लेकिन इन तमाम नामों के बीच एक और नाम राजधानी रांची के सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बनता दिख रहा है, वह नाम है झामुमो महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य का. सुप्रियो भट्टाचार्य के नाम को हवा इस लिए भी मिलती दिख रही, क्योंकि अपनी उम्मीदवारी से जुड़े सवाल पर सुप्रियो इस बात को खारिज करने के बजाय सब कुछ पार्टी पर छोड़ने की बात कर रहे हैं. यह इस बात का इशारा है कि पार्टी के अंदर उनके नाम पर मंथन जारी है.
विधायकों ने चुनावी अखाड़े में उतरने से किया इंकार
खबर यह भी है कि पार्टी की ओर से पहले किसी मौजूदा विधायक को मैदान में उतारने की कोशिश की गयी थी, इसी कोशिश में पोटका विधायक संजीव सरदार के मन को भी टटोला गया था, लेकिन संजीव सरदार ने इस अखाड़े में उतरने से साफ साफ इंकार कर दिया, उसके बाद समीर कुमार मोहंती को भी यह ऑफर दिया गया, लेकिन वहां से भी निराशा हाथ लगी, इसके बाद किसी नये चेहरे पर दांव लगाने की चर्चा हुई. झामुमो सूत्रों का दावा है कि पार्टी इस बार किसी नये चेहरे पर दांव लगा सारे समीकरण बदल सकती है.
कुड़मियों के गढ़ में ब्राह्मण चेहरे पर दांव?
इस दावे के साथ ही सुप्रियो भट्टाचार्य का नाम उछलने लगा. दावा किया जा रहा है कि जमशेदपुर सीट पर बंग्लाभाषियों के साथ ही अगड़ी जातियों का भी ठीक-ठाक आबादी है. सुप्रियो के चेहरे को सामने कर भाजपा का कोर वोटर रहे अगड़ी जातियों में भी मजबूत सेंधमारी की जा सकती है.यहां ध्यान रहे कि जमशेदपुर संसदीय क्षेत्र में अनुसूचित जनजाति-28 फीसदी, मुस्लिम-9 फीसदी के साथ ही 11 फीसदी कुड़मी जाति की आबादी है. झामुमो के एक खेमे का मानना है कि सुप्रियो के चेहरे को सामने कर 28 फीसदी आदिवासी, 9-फीसदी मुस्लिम और 11 फीसदी कुड़मी मतदाताओं को खड़ा किया जा सकता है. जहां तक रही कुड़मी जाति का सामाजिक हिस्सेदारी की बात, तो इंडिया गठबंधन पहले ही गिरिडीह से मथुरा महतो और हजारीबाग से जेपी पटेल को उम्मीदवार बना कर हिस्सा प्रदान कर चुकी है. लेकिन इस का दूसरा पहलू यह भी है कि जब कुड़मी जाति के मतदाताओं के सामने विद्युतवरण जैसा कुड़मी चेहरा होगा, तो क्या वह सुप्रियो या किसी और अगड़ी जाति के चेहरे का साथ खड़ा होगा? खास कर तब जब कुड़मी जाति से कई उम्मीदवार रेस में हैं. इचागढ़ विधायक सविता महतो की बेटी स्नेहा महतो भी एक बेहद सुशिक्षित चेहरा है, स्नेहा महतो के चेहरे को सामने कर ना सिर्फ महिला मतदाताओं को साधा जा सकता है, बल्कि युवा मतदाताओं में एक अच्छा संदेश दिया जा सकता है. यही वह सवाल है जिसके कारण पार्टी को उहापोह में फंसी नजर आ रही है, हालांकि इस बात का दावा भी किया जा रहा है कि कोल्हान के कई विधायक सुप्रियो पर दांव लगाने के पक्षधऱ है, लेकिन सुप्रियो के नाम एलान करने के पहले पार्टी इसके सारे खतरे और लाभ पर विचार कर लेना चाहती है.
भाजपा में सेंधमारी की एक और कोशिश
इस बीच खबर यह भी है कि झामुमो की रणनीति भाजपा में एक और सेंधमारी की है, उसकी नजर भाजपा के एक नेता पर है, दावा किया जाता है कि पिछले कुछ दिनों से उस चेहरे ने जमशेदपुर में काफी मेहनत की है, झामुमो के एक धड़े का मानना है कि यदि उसे चेहरे को पार्टी में इंट्री करवा ली जाय तो, उसक द्वारा तैयार की गयी सियासी जमीन का लाभ झामुमो को मिल सकता है, लेकिन पेंच यह है पूर्व सीएम हेमंत के साथ ही पार्टी के अंदर भी इसका काफी विरोध है, हालांकि सियासत में कब क्या हो जाय, कहा नहीं जा सकता, इसी संभावनाओं का ही दूसरा नाम तो सियासत है. देखना होगा कि पार्टी अंतिम रुप से किस चेहरे पर मुहर लगाती है.
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