Ranchi-एक तरफ भाजपा-आजसू अपनी सभी 14 सीटों पर प्रत्याशियों का एलान कर जीत की हुंकार भर रही है. वहीं इंडिया गठबंधन के अंदर सीटों का पेंच फंसा नजर आ रहा है और यह हालत तब है जबकि राजमहल, दुमका और गोड्डा में 14 मई को मतदान होना है. झामुमो की ओर से राजमहल और दुमका से प्रत्याशी का एलान तो जरुर कर दिया गया है, लेकिन गोड्डा का कांटा फंसता दिख रहा है. आखिर जब राजमहल और दुमका के साथ ही गोड्डा में भी 14 मई को ही मतदान होना है तो फिर राजमहल और दुमका के साथ ही गोड्डा से प्रत्याशी का एलान क्यों नहीं किया गया? कहा सकता है कि इस सीट से प्रत्याशी का एलान कांग्रेस की से किया जाना है, तब इस हालत में यह सवाल खड़ा होता है कि क्या कांग्रेस के अंदर इस सीट को लेकर चेहरों का टोटा है? या फिर टिकटों के लिए मारा मारी की स्थिति है. जब वह तीन मई होने वाली हजारीबाग लोकसभा के लिए प्रत्याशी का एलान कर सकती है, तो फिर 14 मई को मतदान में जाने वाली गोड्डा सीट से प्रत्याशी का एलान में विलम्ब क्यों कर रही है? यह वह सवाल है जो अब सियासी रणनीतिकारों को उलझाने लगा है और यह सवाल भी खड़ा होने लगा है कि क्या वाकई गोड्डा का कांटा फंसा हुआ है या फिर यह किसी गंभीर सियासी चाल का हिस्सा है. कहना बेहद मुश्किल है, आखिर कारण क्या है कि एक तरह गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे जीत का ताल ठोंक रहे हैं, वहीं इंडिया गठबंधन से उनके मुकाबले में कौन होगा, इस पर अब तक संशय के बादल तैरते नजर आ रहे हैं. क्या इंडिया गठबंधन अचानक से किसी ऐसे चेहरे को उतराने की तैयारी में है जिसके बाद भाजपा को अपने परे तले जमीन खिसकती नजर आये या फिर यह मुकाबला इतने कांटे का हो जाय कि निशिकांत के लिए करो या मरो की स्थिति पैदा हो जाय. यह कहना बेहद मुश्किल है, लेकिन गोड्डा संसदीय सीट को लेकर इंडिया गठबंधन और खासकर कांग्रेस की चुप्पी कई सवाल खड़े कर रही है.
सियासी मैदान में कई बार अति उत्साह में भी नाव डूबती है
यहां ध्य़ान रहे कि सियासत में अति उत्साह और बड़बोलापन कई बार बेहद घातक होती है. जब तक आप जीत की वरमाला आपके गले में लिपट नहीं जाय, तब तक कुछ भी नहीं कहा जा सकता, सियासत के इस खेल में कई बार हारते-हारते बाजी हाथ आ जाती है, तो कई बार जीती बाजी भी हाथ से निकल जाती है. देश के चुनावी इतिहास में इसके अनेकों उदाहरण मौजूद हैं, जब एक ही दांव से सारी खुशफहमियां गम में बदल गयी, सारी मिठाईयां रखी रह गयी और जीत का जश्न विरोधी खेमें में मनाया जाने लगा. गोड्डा का चुनावी परिणाम चाहे जो हो, फिलहाल तो निशिकांत दुबे जीत का ताल ठोकते हुए यह सवाल पूछ रही रहें है कि मेरे मुकाबले कौन? निशिकांत की तरह इस सवाल का जवाब पूरे गोड्डा को है, और साथ ही खुद का सियासी गणित चैंपियन मानने वाले सियासी रणनीतिकारों को भी है, लेकिन उपर से यह गुत्थी जितनी आसान दिखती है, अंदर से यह उतनी सरल नहीं दिखती, बहुत संभव है कि जब प्रत्याशी का एलान हो वह सारे नाम जो आज रेस में बताये जा रहे हैं, एक बारगी उस नाम के साथ ही खड़े नजर आयें.
होटवार जेल में पूर्व सीएम हेमंत के साथ बसंत सोरेन की मुलाकात
इस बीच खबर यह है कि बसंत सोरेन के साथ ही इंडिया गठबंधन के कई नेताओं ने होटवार जेल में सीएम हेमंत से मुलाकात की है, निश्चित रुप से इस मुलाकात में गोड्डा की चर्चा भी जरुर हुई होगी. अब देखना होगा कि गोड्डा को लेकर हेमंत सोरेन के दिमाग में क्या चल रहा है, और निशिकांत के इस जीत का कारंवा पर विराम लगाने की क्या रणनीति है. लेकिन इतना तय है कि खेल कुछ अलग चल रहा है. पुराने और पीटे प्यादों के बजाय इस सियासी शतरंज में नयी बिसात बिछाई जा रही है. जिसके बाद बहुत संभव है कि एकबारगी गोड्डा में सब कुछ बदलता नजर आये.
आप इसे भी पढ़ सकते हैं
4+