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LS 2024-पलामू में बीडी राम के खिलाफ कार्यकर्ताओं का गुस्सा! बावजूद इसके मुश्किल में क्यों नजर आ रही है इंडिया गठबंधन की राह? सबसे बड़ा सवाल कांग्रेस से कौन होगा उम्मीदवार?

LS 2024-पलामू में बीडी राम के खिलाफ कार्यकर्ताओं का गुस्सा! बावजूद इसके मुश्किल में क्यों नजर आ रही है इंडिया गठबंधन की राह? सबसे बड़ा सवाल कांग्रेस से कौन होगा उम्मीदवार?

TNPDESK-पलामू संसदीय सीट से तीसरी पारी के लिए संघर्ष करते वर्तमान सांसद और भाजपा प्रत्याशी बीडी राम के खिलाफ कार्यकर्ताओं में गुस्से की खबर सामने आ रही है. गढ़वा जिले के 27 मंडल अध्यक्षों में से 19 ने एक बैठक कर किसी स्थानीय चेहरे को उम्मीदवार बनाने की मांग की है. नाराजगी की सबसे बड़ी वजह कार्यकर्ताओं का उपेक्षा और अफसरशाही रवैया है और दावा किया जाता है कि इस अफसरशाही रवैये के कारण कार्यकर्ताओं और संगठन के बीच दरार की स्थिति पैदा हो चुकी है. मंडल अध्यक्षों का गुस्सा इसकी नाराजगी की अभिव्यक्ति है. मंडल अध्यक्षों का दावा है कि 10 वर्ष तक प्रतिनिधित्व करने के बावजूद बीडी राम को ना तो अपने मंडल अध्यक्षों का नाम याद है और ना ही उन्हे इस बात की जानकारी है कि संगठन के अंदर हमारी क्या भूमिका है. पलामू की संसदीय सीट की मूलभूत समस्याया और उन समस्यायों का निराकरण की बात तो दूर की कौड़ी है. हालांकि यह नाराजगी कितनी वास्तविक और कितनी प्रायोजित है. यह भी एक सवाल है. क्योंकि आम तौर पर चुनावी वर्ष में सियासी दलों के अंदर इस प्रकार की खींचातानी की तस्वीर सामने आते रहती है. जिसका मकसद कहीं ना कहीं अपनी सियासिय गोटियां सेंकना होता है. लेकिन अमूमन भाजपा के अंदर इस तरह की स्थिति नहीं देखी जाती. हालांकि इस बार कुछ यही कहानी चतरा संसदीय सीट पर भी देखने को मिल रही है, वहां भी वर्तमान सांसद सुनील सिंह के खिलाफ कार्यकर्ताओं में आक्रोश की खबर है. जिसकी झलक राजनाथ सिंह के दौरे के वक्त भी देखने को मिली.

बीडी राम के खिलाफ नाराजगी वास्तविक या फिर सियासी दलों की साजिश

इस हालत में सवाल खड़ा होता है कि क्या कार्यकर्ताओँ के बीच पसरी इस नाराजगी के कारण बीडी राम की तीसरी पारी मुश्किल में पड़ने वाली है? क्या यह नाराजगी आगे भी बरकरार रहेगी या समय रहते इसका समाधान ढूढ़ने की कोशिश की जायेगी? सवाल यह भी है कि यह नाराजगी वास्तविक है या इसकी हवा बनायी जा रही है, और यदि बनाई जा रही है, तो इसके पीछे कौन है? यह पार्टी का आपसी अंतर्संघर्ष है या फिर विपक्षी दलों की ओर से बिछाई गयी सियासी बिसात है? निश्चित रुप से भाजपा के अंदर इन सवालों पर विचार किया जा रहा होगा? लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या इस नाराजगी से इंडिया गठबंधन की राह आसान होने वाली है? क्या इस बार इंडिया गठबंधन बीडी राम की तीसरी पारी पर विराम लगाने की स्थिति में है? और यदि है, तो उसका चेहरा कौन है? अब तक की जानकारी के अनुसार यह सीट कांग्रेस के हिस्से आने वाली है. इस हालत में यहां सवाल खड़ा होता है कि पलामू कांग्रेस के पास ऐसा कौन सा चेहरा है, जिसको सामने लाकर बीडी राम की तीसरी पारी पर विराम लगाया जा सकता है, या फिर वहां भी किसी बाहरी प्रत्याशी को मैदान में उतारने की तैयारी है. और यदि इंडिया गठबंधन की यही तैयारी है, तो फिर जिस बाहरी-भीतरी की सियासत को पलामू में हवा दी जा रही है, या फिर पलामू की जमीन से जिसकी मांग तेज होती दिख रही है. क्या इंडिया गठबंधन भी उसी आक्रोश की आंधी में झुलसने की तैयारी में नहीं है? जनता की सियासी आकांक्षा और इंडिया गठबंधन की रणनीति एक दूसरे के खिलाफ बढ़ता तो नजर नहीं आ रहा. और क्या एक बाहरी चेहरे के साथ कांग्रेस बीडी राम के चुनावी रथ को रोकने की हैसियत में होगा? क्योंकि यदि सारे चेहरे बाहरी ही होंगे तो फिर बीडी राम में क्या बुराई है? क्या यही सवाल आगे चलकर भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच खड़ा नहीं होने वाला है?

चेहरे के संकट से गुजरता कांग्रेस, क्या सौंपी जायेगी राजद को कमान?

यहां बता दें कि अब तक इंडिया गठबंधन के अंदर से जो खबर आ रही है, उसके अनुसार कांग्रेस की रणनीति बिहार से उम्मीदवार की उधारी की है. दावा किया जाता है कि स्थानीय स्तर पर कोई मजबूत सियासी चेहरा नहीं होने कारण सासाराम से सियासी अखाड़े में उतरती रही मीरा कुमार को पलामू के दंगल में उतराने की तैयारी है. वैसे इसके अतिरिक्त कई स्थानीय चेहरों की चर्चा जरुर हो रही है. कांग्रेस का एक खेमा हजारीबाग से संजय पासवान को पलामू लाकर चुनाव लड़ाने की पैरवी करता नजर आ रहा है. संजय पासवान हाउंसिग बोर्ड से जुड़े रहे हैं. एक और चहेरा पलामू 20 सूत्री उपाध्यक्ष विमला कुमारी का भी है. एक तीसरा नाम भी हजारीबाग से आने वाले वाले भीम कुमार का भी है. लेकिन इसमें से कोई भी चेहरा ऐसा नहीं है जो सियासी अखाड़े में कमल का सामना कर सके. लेकिन उन चेहरों में कितना सियासी मादा और अनभूव है, एक बड़ा सवाल है. हालांकि यदि इंडिया गठबंधन की बात करें तो राजद का कामेश्वर बैठा अभी भी एक मजबूत चेहरा साबित हो सकते हैं. यही कामेश्वर बैठा है जिन्होने 2009 के लोकसभा चुनाव में तात्कालीन राजद उम्मीदवार धूरन राम को झामुमो के टिकट पर पटकनी दी थी. दूसरा चेहरा छतरपुर विधान सभा से पांच-पांच विधायक रहे राधा कृष्ण किशोर का भी है. यह जानना भी दिलचस्प होगा कि पांच-पांच बार के विधायक रहे राधा कृष्ण किशोर के  लिए राजद उनके सियासी कैरियर की पांचवी पलटी है. दावा किया जाता है कि राजद कोटे से मंत्री सत्यानंद भोक्ता ने राधा कृष्ण किशोर को पलामू संसदीय सीट का ऑफर के साथ ही लालटेन की सवारी करवायी थी. लेकिन बड़ा सवाल यह है कि चेहरों की किल्लत से जुझती कांग्रेस, क्या यह सीट राजद के हवाले करेगी. बीडी राम के समझ के  वास्तविक और गंभीर चुनौती पेश की जा सके और इसके साथ ही जमीन पर पसरते इस जनाक्रोश का सियासी इस्तेमाल भी हो सके. या फिर सीटों की इस मारामारी में बीडी राम की तीसरी पारी का रास्ता साफ किया जायेगा? फिलहाल इसके लिए महागठबंधन की ओर से प्रत्याशियों के एलान के बाद ही साफ होगा. लेकिन इतना तय है कि तमाम नाराजगी और आक्रोश के बावजूद भी यदि बीडी राम कांग्रेस पर भारी पड़ते दिख रहे हैं, तो उसका कारण कांग्रेस का जमीन से गायब होना है. भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच जिस नाराजगी हवा देने की कोशिश की जा रही है, उसकी दूसरी सच्चाई यह भी है कि उसके पास कार्यकर्ताओं की एक फौज है, जो कई बार अपनी नाराजगी को सामने रख संगठन पर अंकुश लगाने का काम करता है, कांग्रेस के पास जमीन इस तरह की नाराजगी दर्ज करवाने के लिए कार्यकर्ताओं का ही टोटा है. यही उनकी मुश्किल है, और बीडी राम का सौभाग्य भी है.

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Published at:16 Mar 2024 07:29 PM (IST)
Tags:LS 2024-Anger of workers against BD Ram in Palamu! Despite this why does the path of India alliance seem difficult? The biggest question is who will be the candidate from Congress?palamu loksabha seatpalamupalamu newspalamu lok sabha seatloksabha election 2024loksabha electionpalamu loksabha constituencypalamu latest news पलामू 20 सूत्री उपाध्यक्ष विमला कुमारी Palamu 20 Point Vice President Vimla Kumari छतरपुर विधान सभा से पांच-पांच विधायक रहे राधा कृष्ण किशोर हजारीबाग से आने वाले वाले भीम कुमार Bhim Kumar coming from Hazaribaghपलामू में बीडी राम
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