Ranchi- पूछताछ का सामने करने से पहले सीएम हेमंत अपने 80 वर्षीय वृद्ध पिता और झारखंड की राजनीति के पितामह दिशोम गुरु का आर्शीवाद लेने उनके आवास पहुंचे. हालांकि इस मुलाकात को इस सियासी संकट के समय में एक बेटे का पिता से आर्शीवाद प्राप्त करने की सहज प्रक्रिया बतायी जा रही है, और पहले भी हर संकट का सामना करने के पहले सीएम हेमंत गुरुजी का आर्शीवाद लेते रहे हैं, लेकिन इस बार का संकट कुछ अलग प्रकार की है, एक तरफ जहां ईडी उनके सामने ईडी के सवालों का जवाब देना है, वहीं सियासी फिजाओं में उनकी गिरफ्तारी की खबरें भी मंडरा रही है, और दावा यह किया जा रहा है कि महागठबंधन के अंदर उस चेहरे की तलाश जारी है, जिसे सीएम हेमंत की गिरफ्तारी की हालत में राज्य के अगले मुखिया के तौर पर सामने लाया जा सके.
सामान्य मुलाकात या गुरुजी से सियासी संकट का उपचार की चाहत
और यही कारण है कि इस मुलाकात को एक अलग चश्में से भी देखने की कोशिश की जा रही है, दावा किया जा रहा है कि महागठबंधन के अधिकांश विधायक सीएम हेमंत की पत्नी कल्पना सोरेन के चेहरे में राज्य के अगले मुखिया का चेहरा देखते हैं, कांग्रेस भी इसी पक्ष में हैं, लेकिन चुनौती महागठबंधन की ओर से नहीं आकर खुद घर से निकलती सामने आ रही है. सीएम हेमंत के छोटे भाई बसंत सोरेन के साथ ही उनकी भाभी और जामा विधायक सीता सोरेन के अंदर भी सीएम बनने की महात्वाकांक्षा हिलोरों मार रहा है.
महागठबंधन का दावा कल्पना के नाम पर दो सौ फीसदी की सहमति
हालांकि सत्ता पक्ष से जुड़े सूत्रों का दावा है कि कल्पना सोरेन के नाम पर कहीं से भी कोई विरोध की स्थिति नहीं है, लेकिन यहां बात महागठबंधन की नहीं है, सवाल तो घर से उमड़ते संकट का है, खबर है कि झामुमो विधायक लोबिन हेम्ब्रम, रामदास सोरेन और चमरा लिंडा के साथ ही दो और विधायक सीता सोरेन के पक्ष में बैटिंग तेज किये हुए हैं, तो करीबन आठ विधायकों की सहानूभूति बसंत सोरेन के साथ है, इसमें सीता सोरेन के साथ सहानुभूति रखने वाले विधायक भी है. यानी लोबिन हेम्ब्रम, रामदास सोरेन और चमरा लिंडा के साथ ही विधायकों की एक टोली की चाहत सीता सोरेन या बसंत सोरेन को राज्य का अगला मुखिया बनाने की है. हालांकि अभी तक खुले रुप से सिर्फ लोबिन हेम्ब्रम, रामदास सोरेन और चमरा लिंडा का नाम ही सामने आया है, लेकिन यदि वाकई यह आंकड़ा आठ तक पहुंचता है तो सीएम हेमंत और महागठबंधन के सामने एक नया सियासी संकट पसर सकता है, क्योंकि फिलहाल झामुमो-29 विधायक, कांग्रेस-16 विधायक, राजद -01 विधायक और माले का 01 विधायक को मिलाकर महागठबंधन के पास कुल 47 विधायकों का समर्थन है, जो कि बहुमत के आंकड़े से पांच ज्यादा है. लेकिन मुश्किल यह है कि इन तीन विधायकों की नाराजगी और इनके साथ सीता सोरेन और बसंत सोरेन का खड़ा हो जाने की हालत में यह आंकड़ा पांच तक पहुंच जाता है. हालांकि बावजूद इसके महागठबंधन के पास बहुमत की संख्या तो बनी रहती है, लेकिन जैसा कि दावा किया जा रहा है कि कई दूसरे विधायकों का समर्थन भी प्राप्त है, उस हालत में यह एक गंभीर खतरे की ओर भी इशारा करता है.
यही गणित सीएम हेमंत को परेशान किये हुए है
और दावा है कि ईडी का सामना करने लिए निकलते वक्त यही सवाल सीएम हेमंत को कचोट रहा है. और इसी सियासी संकट का उपचार वह दिशोम गुरु से प्राप्त करने की कोशिश में है. क्योंकि यदि एक बार गुरुजी लोबिन से लेकर रामदास को फटकार लगा देते हैं, तो इस कथित विरोध की हवा निकल सकती है, क्योंकि कांग्रेस के 16 विधायक और राजद माले का एक एक विधायक आज भी बेहद मजबूती के साथ कल्पना सोरेन के साथ खड़ा है. वैसे भी सीता सोरेन के प्रति सहानुभूति रखने वाले विधायकों की संख्या चाहे जितनी हो, लेकिन सीता सोरेन से लेकर बसंत सोरेन में वह सियासी कुब्बत नजर नहीं आता कि वह अपने बुते इन विधायकों को चुनावी दंगल में सियासी फतह दिलवा सकें. और राजनीति की असली अग्नि परीक्षा इसी अखाड़े में होती है, हर विधायक को यह पता है कि यदि उसे विधान सभा की दहलीज की यात्रा दोबारा करनी है, तो उसके सिर पर हेमंत का हाथ रहना बेहद जरुरी है. फिर भला वह सीता सोरेन और बसंत सोरेन के पक्ष में अपनी बैंटिग को धार देकर अपने सियासी भविष्य को दांव पर लगाने का जोखिम क्यों लेगा?
हेमंत की ‘कल्पना’ पर सीता का वीटो! क्या इस संकट में बसंत बढ़ा सकते हैं महागठबंधन की मुश्किलें