TNPDESK-लोकसभा चुनाव के सियासी संग्राम के बीच तेजस्वी यादव ने चिराग पासवान की सियासत और वैचारिकी पर गंभीर सवाल खड़ा किया है, चिराग पासवान को निशाने पर लेते हुए तेजस्वी यादव ने दावा किया है कि चिराग की विचारधारा रामविलास पासवान के ठीक उलट है. जहां रामविलास पासवान दलित समाज की अस्मिता और सियासी सामाजिक जीवन में भागीदारी का सवाल खड़ा करते थें, वहीं चिराग की सोच समझ और सियासत सब कुछ आरएसएस के पाले में खड़ा होने की है. तेजस्वी यादव ने दावा कि अब्बल तो चिराग कभी दलित भागीदारी का सवाल खड़ा नहीं करते और जो भी सीटें उनके हिस्से भाजपा थमाती है, उसमें से आधा अपने परिवार को आधा गैर दलितों को सौंप कर आरएसएस का राह आसान बनाते हैं. लेकिन इसमें चिराग पासवान की कोई गलती नहीं है, क्योंकि जिस दिन से उनकी सियासी यात्रा की शुरुआत हुई है, वह आरएसएस और भाजपा के संग भी खड़े हैं.उनकी कार्यशैली, भाषा, विचारधारा सब कुछ भाजपा के रंग में रंगी हुई है.
रामविलास पासवान को राज्यसभा लालू यादव ने भेजा था
पुराने दिनों की याद दिलाते हुए तेजस्वी यादव ने कहा कि जब रामविलास पासवान के पास एक भी विधायक नहीं था, उस दुर्दिन में राजद प्रमुख लालू यादव ने उन्हे राज्य सभा भेजा था. यही राजद की विचारधारा और सामाजिक न्याय के प्रति समर्पण है. चिराग पासवान के कामकाज पर सवाल खड़ा करते हुए तेजस्वी ने कहा कि बिगत 10 वर्ष में चिराग पासवान ने 100 दिन भी बिहार में नहीं गुजारा. इसकी गवाही जमुई की जनता देगी. जहां उनका एक कार्यालय तक नहीं है. पासवान जाति को सामाजिक न्याय का झंडाबरदार बताते हुए तेजस्वी यादव ने कहा कि पासवान समाज सामाजिक न्याय की राजनीति पसंद करता है, ना कि आरएसएस और भाजपा की सियासत. चिराग पासवान जिस तरीके से अपनी सीट बांट रहे हैं, उससे साफ है कि वह मन-वचन और कर्म से विशुद्ध भाजपाई हैं. उनकी अपनी कोई विचारधारा नहीं हैं.
तेजस्वी यादव के आरोप का आधार क्या है?
यहां ध्यान रहे कि इस बार एनडीए गठबंधन की ओर से चिराग पासवान को पांच सीट मिली है. जिसमें चिराग पासवान खुद हाजीपुर, वैशाली-वीणादेवी, समस्तीपुर-शांभवी चौधरी, खगड़िया से राजेश वर्मा और जमुई से अपने बहनोई अरुण भारती को उम्मीदवार बनाया है. इस प्रकार पांच में दो सीट पासवान परिवार के पास है, जबकि तीन सीट दूसरे को मिली है, इसमें एक शांभवी चौधरी दलित समाज से आती है, लेकिन शादी कुणाल किशोर के बेटे से हुई है. जबकि वीणा देवी, राजेश वर्मा गैर दलित चेहरे हैं. वीणा देवी तो चिराग पासवान की पार्टी को तोड़ने में भी शामिल थी. बावजूद इसके चिराग पासवान ने यह सीट वीणा देवी के नाम कर दिया, दावा किया जाता है कि भले ही भाजपा ने चिराग पासवान के हिस्से में पांच सीट दिया हो, लेकिन चेहरा कौन होगा, इसका फैसला भी भाजपा के रणनीतिकारों ने किया है.
चिराग को अपने साथ आने का ऑफर दे चुके हैं तेजस्वी
यहां याद रहे कि कुछ दिन पहले ही तेजस्वी यादव ने चिराग पासवान को अपने साथ आने का ऑफर दिया था. लेकिन चिराग पासवान ने राजद के साथ जाने के बजाय भाजपा के साथ रहना स्वीकार किया और अब तेजस्वी यादव चिराग के दलित पॉलिटिक्स पर सवाल खड़ा करते हुए पासवान जाति को अपने साथ खड़ा होने का सियासी संदेश दे रहे हैं. अभी बिहार में आधी से अधिक सीटों पर मुकाबला होना बाकी है, और कई लोकसभा क्षेत्रों में पासवान जाति की बहुलता है. इस हालत में पहले चिराग पासवान को अपने साथ आने का ऑफर और अब पासवान जाति को सामाजिक न्याय का झंडाबरदार बता कर तेजस्वी एक और दांव खेलते नजर आ रहे हैं.
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