Ranchi-जैसे-जैसे 20 मई की तारीख नजदीक आ रही है, कोडरमा का सियासी पारा आसमान छूता नजर आ रहा है. अब तक अपनी जीत को लेकर बेहद आश्वस्त नजर आ रही भाजपा के माथे पर भी चिंता की लकीरें दिखने लगी है, और उसका कारण है इंडिया गठबंधन के द्वारा बिसायी गयी सियासी बिसात. दरअसल इंडिया गठबंधन ने झारखंड में लाल झंडे का एक बड़ा चेहरा माने जाने वाले महेन्द्र सिंह के बेटे और बागोदर विधायक विनोद सिंह को अखाड़े में उतार कर भाजपा का कोर वोटर माने जाने वाले अगड़ी जातियों में सेंधमारी का बड़ा सियासी दांव खेला है. भाजपा की दूसरी मुसीबत तेजस्वी यादव की ताबड़तोड़ बैटिंग है. अब तक हजारीबाग और चतरा में अपने कोर वोटरों को कांग्रेस के साथ खड़ा करने की कवायद करते रहे तेजस्वी यादव अब कोडरमा में एक नया गूल खिलाने की तैयारी में हैं. जिस 2.5 लाख यादव मतों बदौलत अन्नपूर्णा देवी 2019 के मुकाबले में बाबूलाल मरांडी जैसे कद्दावर सियासी चेहरे को सियासी शिकस्त देने में कामयाब रही थी, इस बार तेजस्वी यादव की कोशिश उसी यादव जाति के मतदाताओं को लाल झंडे के साथ खड़ा करने की है. हालांकि इसकी काट में भाजपा की रणनीति मध्य प्रदेश के सीएम मोहन यादव को अखाड़े में उतार कर इस सेंधमारी को असफल करने की है, देखना होगा कि इस 2.5 लाख यादवों में तेजस्वी यादव का जोर चलता है या फिर कोडरमा की सियासत में यादव जाति का कमल के साथ बनी हुई इस लामबंदी को बनाये रखने में मोहन यादव कामयाब होते हैं.
कोडरमा राजद का मजबूत किला
यहां यह भी ध्यान रखने की जरुरत है कि संयुक्त बिहार के समय से ही कोडरमा में राजद का मजबूत सामाजिक आधार रहा है. खुद अन्नपूर्णा देवी भी कोडरमा विधानसभा सीट से 2000,2005 और 2009 में राजद की विधायक रही हैं, इसके पहले इनके पति रमेश प्रसाद यादव भी कोडरमा विधान सभा में 1990 और 1995 में लालटेन जला चुके हैं. लेकिन 2014 में भाजपा के नीरा यादव के हाथों शिकस्त के बाद 2019 में अन्नपूर्णा देवी ने पाला बदला और राजद के इस किले में दरार आ गयी, जिसकी टिस आज भी राजद को है, राजद की पूरी कोशिश अन्नपूर्णा को इसका सबक सीखाने की है और यही कारण है कि जैसे ही पलामू का चुनाव संपन्न हुआ, राजद अपने सभी कार्यकर्ताओं को कोडरमा के मोर्चे पर तैनात कर दिया. देखना होगा कि इसका अंजाम क्या निकलता है.
जयप्रकाश वर्मा की इंट्री से किसका बिगड़ा खेल
लेकिन भाजपा की दूसरी मुसीबत जयप्रकाश वर्मा की इंट्री से भी खड़ी होती दिख रही है. कोडरमा में कोयरी कुशवाहा की आबादी करीबन 4.5 लाख की मानी जाती है, कोयरी-कुशवाहा को कोडरमा की सियासत में भाजपा का आधार वोट माना जाता है, कोडरमा संसदीय सीट से पांच-पांच संसद पहुंचने वाले रतिलाल वर्मा और तीन बार पंजे का परचम फहराने वाले तिलकधारी सिंह भी इसी कुशवाहा जाति से आते थें. लेकिन इस बार भाजपा का यही कोर वोटर कुशवाहा जाति में सेंधमारी होती नजर आ रही है, और उसका कारण है, रतिलाल वर्मा के भतीजे और गांडेय से पूर्व विधायक जयप्रकाश वर्मा की इंट्री.
जयप्रकाश वर्मा के पक्ष में कोयरी कुशवाहा की गोलबंदी तेज
जब से जयप्रकाश वर्मा ने झामुमो से बगावत करते हुए निर्दलीय अखाड़े में कूदने का एलान किया है. कोयरी-कुशवाहा जाति की गोलबंदी जयप्रकाश वर्मा के पक्ष में तेज होती नजर आ रही है. यानि एक तरफ तेजस्वी यादव यादव जाति में सेंधमारी का प्लान तैयार कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर जयप्रकाश वर्मा कोयरी कुशवाहा को भाजपा के दूर कर रहे हैं, जबकि विनोद सिंह खुद अपने चेहरे के बूते अगड़ी जातियों में सेंधमारी करते नजर आ रहे हैं. इस हालत में देखना होगा कि अंतिम परिणाम क्या होगा? खासकर जयप्रकाश वर्मा की इंट्री लाल झंडा के अरमानों पर पानी फेरता है या अन्नपूर्णा की राह को मुश्किल बनाता है, देखने की बात होगी.
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