Ranchi-कल क्या होगा? राजधनी की सड़कें आम दिनों की तरह गुलजार रहेगी या तनाव विरोध और प्रर्दशनों का दौर होगा. राजधानी की खामोश सड़कें ईडी का स्वागत करेगी या फिजों में आक्रोश के बादल मंडरायेंगे. यह सवाल इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि 20 जनवरी की नियत पूछताछ के पहले ईडी ने पुलिस हेडक्वार्टर को एक पत्र लिख कर सीएम हेमंत से पूछताछ के दौरान सुरक्षा प्रदान करने की मांग की है. और ईडी की यह मांग अकारण भी नहीं है, क्योंकि जैसे ही यह खबर सामने आयी कि कथित जमीन घोटाले मामले में 20 जनवरी को सीएम आवास में सीएम हेमंत सोरेन से पूछताछ होगी, बार बार के समन से आजीज आकर आखिरकार सीएम हेमंत ने ईडी अधिकारियों को सीएम आवास आने का बुलावा भेजा है. जहां ईडी अपने सवालों को दागेगी और सीएम हेमंत उसका जवाब पेश करेंगे.
संथाल से शुरु होकर राजधानी रांची पसरता नजर आ रहा है विरोध के स्वर
जैसे ही यह खबर सार्वजनिक हुई, संथाल जो झामुमो को सबसे मजबूत किला माना जाता है, से विरोध के स्वर तेज होने लगें, झामुमो कार्यकर्ताओं के द्वारा साहिबगंज में करीबन 9 घंटे के बंद का आयोजन किया गया, सड़क-हाट-बाजार से लेकर दूसरे सभी संस्थान बंद रहे, और इसके बाद यह आशंका तेज होती नजर आयी कि इस विरोध प्रदर्शन का दायरा और भी विस्तार ले सकता है, दूसरे ही दिन विभिन्न आदिवासी संगठनों के द्वारा राजभवन के सामने विरोध प्रर्दशन करने का एलान कर दिया गया, आदिवासी संगठनों का आरोप है कि सीएम हेमंत से यह पूछताछ सिर्फ सियासी बदले की कार्रवाई है, चूकि सीएम हेमंत ने भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाने के इंकार कर दिया, इसलिए बेबजह उन्हे कभी जमीन घोटाला तो कभी खनन घोटाले में फंसाने की पटकथा लिखी जा रही है, और यह पटकथा लिखी तो दिल्ली भाजपा दरबार से जा रही है, लेकिन राजधानी रांची में उस भाजपाई मजमून को लिपिबद्ध ईडी कर रहा है. इस बीच ईडी की ओर से पुलिस मुख्यालय को पत्र लिख कर इस पूछताछ के दौरान सुरक्षा प्रदान करने की मांग भी की गयी है.
ईडी अधिकारियों को भी है विरोध प्रदर्शन का एहसास
साफ है कि ईडी को इस बात का एहसास है कि इस पूछताछ के दौरान राजधानी की सड़कों पर विरोध प्रदर्शन संभावित है, और इसके कारण ईडी अधिकारियों को असुरक्षा का सामना करना पड़ सकता है. वैसे भी जब से पश्चिम बंगाल में ईडी अधिकारियों को हमले का सामना करना पड़ा है, उनके बीच एक प्रकार की असुरक्षा की भावना घर गर गयी है. माना जा सकता है कि इसी असुरक्षा की भावना के कारण ईडी ने पुलिस मुख्यालय को पत्र लिख कर सुरक्षा प्रदान करने की मांग की है.
राज्य के मुखिया के नाते ईडी को सुरक्षा प्रदान करना सीएम हेमंत का संवैधानिक दायित्व
यहां ध्यान रहे कि राज्य के मुखिया होने के नाते ईडी को सुरक्षा प्रदान करना, उसे अपने कर्तव्यों के निर्वहन में सुरक्षा और शांति प्रदान करना सीएम हेमंत की संवैधानिक जिम्मेवारी है, जिसका हर हालत मे उन्हे निर्वाह करना होगा, और शायद सीएम हेमंत इस दिशा में कदम उठा भी रहे हैं, खबर यह है कि ईडी अधिकारियों को भारी सुरक्षा व्यवस्था में सीएम आवास तक लाया जायेगा और फिर पूछताछ संपन्न होने के बाद उसी सुरक्षा के साथ उन्हे ईडी कार्यालय छोड़ा जायेगा, लेकिन यहां सवाल सिर्फ पूछताछ का नहीं है, यहां सवाल सियासी गलियारों में फैलाये गये, उस गोसिप का है, जिसमें यह दावा किया गया था कि इस पूछताछ के बाद ईडी सीएम हेमंत को गिरफ्तार भी कर सकती है, यह दावा ईडी के बजाय भाजपा के निशिकांत दुबे से लेकर प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी की ओर से सामने आ रहा था. हालांकि अब तक ईडी सिर्फ पूछताछ की बात ही कर रही थी, लेकिन इस बेहद सामान्य सी पूछताछ को भी भाजपा के चंद नेताओं के द्वारा राज्य में बड़े सियासी भूचाल से जोड़कर देखने की कोशिश की गयी. और ठीक यही हालत झामुमो की भी थी, उसके द्वारा भी इस पूछताछ को लेकर बड़ा बवाल खड़ा किया जा रहा था, यदि उन तमाम दावों को सही मान कर, इस बात की संभावना पर विचार करें कि पूछताछ के बाद ईडी सीएम हेमंत को गिरफ्तार करने का मन बनाती है, तो राजधानी रांची की सड़कों का हाल क्या होगा? अभी तो सिर्फ पूछताछ के लिए ही सुरक्षा की मांग करनी पड़ रही है, लेकिन यदि ईडी गिरफ्तारी का मन बनाती है, तो उसको कार्यान्वित कैसे किया जायेगा. तब तो इस बवाल का दायरा भी विकराल होगा
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