Ranchi-लोकसभा चुनाव की दहलीज पर खड़ी आजसू भाजपा के रिश्तों में एक बार फिर से खटास की स्थिति बनती दिख रही है और इस बार भी इस खटास की वजह चंदनकियारी विधान सभा की सीट ही बनती दिख रही है. दरअसल वर्ष 2019 के विधान सभा चुनाव में इस सीट से आजसू अपनी दावेदारी से पीछे हटने को तैयार नहीं था. जबकि भाजपा भी इस सीट पर अपनी दावेदारी से हटने को तैयार नहीं थी, और इसकी वजह अमर बाउरी थें. झाविमो के कंघी चुनाव चिह्न पर विधान सभा पहुंचे अमर बाउरी तब तक भाजपा का दामन थाम चुके थें और भाजपा इसी को आधार बना इस सीट पर अपनी दावेदारी ठोक रही थी. आखिर बात नहीं बनी और दोनों ही पार्टियों ने अपनी किस्मत अलग-अलग आजमाने का फैसला कर लिया. हालांकि भाजपा का यह फैसला कम से कम चंदनकियारी में तो सही साबित हुआ. अमर कुमार बाउरी के सामने उमाकांत रजक करीबन दस हजार वोटों से मात खा गयें. लेकिन इस जुदाई का असर झारखंड की दूसरी सीटों पर देखने को मिला.भाजपा को अपनी सीटें गंवानी पड़ी और इस प्रकार आजसू भाजपा की इस तकरार ने झामुमो- कांग्रेस का रास्ता साफ कर दिया. अब एक बार फिर से यह कहानी उसी दिशा में बढ़ती दिखने लगी है. हालांकि अभी तो मामला लोकसभा चुनाव का है, लेकिन यदि रिश्तों में इसी प्रकार बर्फ जमी रही तो विधान सभा की राह कठीन हो सकती है.
उमाशंकर रजक के बयान पर अमर बाउरी का पलटवार
दरअसल यह आशंका पूर्व विधायक उमाकांत रजक के उस बयान के बाद जड़े जमाने लगी है, जिसमें उमाशंकर रजक ने नेता प्रतिपक्ष अमर बाउरी पर चंदन कियारी की उपेक्षा कर हवाई जहाज की सवारी में मस्त रहने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि अमर कुमार बाउरी इन दिनों बड़ा नेता बन गये हैं, वह हवाई जहाज से नीचे उतरते ही नहीं है, दूसरी ओर चंदनकियारी की जनता भ्रष्टाचार से त्रस्त है, अंचल कार्यालय हो प्रखंड कार्यायल हर जगह भ्रष्टाचार की गंगोत्री बह रही है, इन दस वर्षो में चंदनकियारी में विकास का कोई काम नहीं हुआ, और तो और सरकार की जो योजनाएं झारखंड के दूसरे हिस्से में कार्यान्वित की जा रही है, चंदनकियारी उसमें भी पिछड़ गया. दूसरी ओर इस आरोप पर पलटवार करते हुए अमर वाउरी ने कहा कि “जिन्हे चंदनकियारी का विकास नहीं दिख रहा, उन्हे अपनी आंखों की जांच करवाना चाहिए, यह उनका नजर दोष है, उन्हे अपना चश्मा बदलने की जरुरत है. उन्हे विकास तो क्या कुछ भी दिखलायी नहीं दे रहा है. इन दस वर्षों में चंदनकियारी विधान सभा में विकास के जो कार्य किये गयें हैं, वह अपने आप में एक कीर्तिमान है.
क्या 2019 की राह पर बढ़ रहा हैै आजसू भाजपा महागठबंधन
साफ है कि दोनों की चाहत चंदनकियारी पर अपनी दावेदारी को बनाये रखने की है, लेकिन मूल सवाल यह है कि क्या इस बार भी उमाकांत रजक की सियासत को जिंदा रखने के लिए आजसू एक बार फिर से भाजपा के सामने दवाब बनाने की कोशिश करेगी, और यदि यह कोशिश होती है, तो क्या 2019 के चुनाव परिणाम से सबक लेते हुए, इस बार भाजपा हथियार डालने को तैयार होगी? यहां यह भी याद रहे कि आज की बदली सियासात में अमर बाउरी झारखंड भाजपा का एक बड़ा चेहरा है, इस हालत में उनकी ही सीट पर दावेदारी ठोकना आजसू के लिए भी इतना आसान नहीं होगा, लेकिन सवाल यह है कि यदि आजसू अड़ जाती है, तो भाजपा के पास विकल्प क्या है? 2019 का चुनाव परिणाम उसके सामने है, और यह मानने का कोई कारण नहीं है कि इन पांच बरसों में भाजपा ने झारखंड में कोई नयी जमीन तैयार की है. फिलहाल इस सवाल का जवाब तलाशने के लिए हमें कुछ इंतजार करना होगा. लेकिन उसकी झलक मिलने लगी है. और यह आशंका उसी कारण पैदा हो रही है.
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