Ranchi-वर्ष 2024 झारखंड के लिए सियासी उठापटक और संघर्ष की नई दास्तान लिखता दिख रहा है. वर्ष की शुरुआत ही सियासी धमाके के साथ हूं, झामुमो विधायक सरफराज अहमद ने नव वर्ष की खुमारियों के बीच पार्टी और अपनी विधान सभा की सदस्यता से इस्तीफा सौंप कर भूचाल ला दिया और उसके बाद अचानक से यह चर्चा चल पड़ी कि झारखंड में सत्ता का बदलाव होने वाला है, दावा यह भी किया गया कि ईडी के समन से तंग आकर सीएम हेमंत अब मुकाबले का मन बना चुके हैं. और सरफराज अमहद का इस्तीफा इसी दिशा में उठाया गया कदम है, बहुत ही जल्द सीएम हेमंत अपने स्थान पर कल्पना सोरेन की ताजपोशी कर ईडी से मुकाबले के लिए जंगे मैदान में उतर सकते हैं. इन कयासों को और भी बल तब मिला जब अचानक से महागठबंधन से जुड़े विधायकों की बैठक बुला ली गयी, उसके बाद माना जाने लगा कि इस बैठक में कल्पना सोरेन को विधायक दल का नेता चुनने की औपचारिका पूरी कर ली जायेगी, लेकिन दो दिसम्बर को इन तमाम कयासों को हवा हवाई घोषित करते हुए सीएम हेमंत ने इन सारे कयासों को विराम लगा दिया.
सीएम हेमंत के इंकार के बाद एक बार फिर खड़ा हुआ वही सवाल, सीएम कौन
सीएम हेमंत के इस बयान के बाद एक बार से इस पर बहस तेज हो गयी कि आखिर सीएम की कुर्सी का ताज किसके सिर पर सजने वाला हैं, आज भी झारखंड की पूरी सियासत इस गुत्थी को उलझाने में लगी हुई है. सबके अपने-अपने दावे और अपने-अपने आकलन हैं, कुछ लोग इन सवालों को निशिकांत दुबे के उस टिप्पणी से जोड़ कर समझने की कोशिश कर रहे हैं कि अब जब विधान सभा की उम्र एक साल भी नहीं बची है, तो मुम्बई हाईकोर्ट के एक फैसले के अनुसार अब उस रिक्त स्थान पर अब चुनाव नहीं करवाया जा सका, इस प्रकार कल्पना सोरेन का विधान सभा के लिए निर्वाचित होना असंभव है. और जब निर्वाचन ही फंसा हुआ है तो उस हालत में उन्हे सीएम पद का शपथ दिलवाना संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन होगा.
निशिंकात के दावे के बाद कल्पना सोरेन के नाम पर विराम!
उनका दावा है कि यही कारण है कि अब सीएम हेमंत कल्पना सोरेन के अपने दांव से पीछे हटते नजर आ रहे हैं, लेकिन मुख्य सवाल यह है कि आखिर उनके पास विकल्प क्या है. एक खेमा शिबू सोरेन के नाम को आगे कर रहा है, लेकिन वह भी तो विधान सभा के सदस्य नहीं है, तब क्या उस हालत में सीता सोरेन का नाम आगे किया जा सकता है, क्योंकि सीता सोरेन एक निर्वाचित विधायक है, और सीएम हेमंत सोरेन की भाभी के साथ ही झामुमो के कद्दावर नेता दुर्गा सोरेन की पत्नी है.
कांग्रेस के हिस्से में जा सकता है एक डिप्टी सीएम का पद
दावा यह भी किया जा रहा है कि इस बार महागठंबधन सीएम के साथ ही एक डिप्टी सीएम के चेहरे को भी आगे कर सकती है, और इस हालत में किसी पिछड़े चेहरे को आगे कर सकती है. निश्चित रुप से वह डिप्टी सीएम कांग्रेस का होगा, इन कयासों को बल बड़कागांव विधायक अम्बा प्रसाद के पिता योगेन्द्र साव के उस बयान से मिल रहा है जिसमें देवघर मंदिर पहुंचे योगेन्द्र साव ने अम्बा प्रसाद को सीएम बनाने की दुआ मांगी है, तो क्या अम्बा प्रसाद के सिर पर डिप्टी सीएम का ताज सजने वाला है. या कांग्रेस की ओर से किसी और चेहरे को आगे किया जा सकता है, इसमें एक चेहरा दीपिका सिंह पांडेय का भी हो सकता है, क्योंकि दीपिका सिंह ब्राह्मण जाति से जरुर आती है, लेकिन उनकी शादी झारखंड के एक मजबूत सियासी पकड़ वाले कुर्मी परिवार में हुई है. इस हालत में दीपिका सिंह पांडेय पर भी कांग्रेस डिप्टी सीएम के लिए दांव लगा सकती है.
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