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असम सरकार के फैसले से स्वदेशी मुसलमान पर बहस तेज! क्या हेमंत सरकार भी इस दिशा में उठा सकती है कदम

असम सरकार के फैसले से स्वदेशी मुसलमान पर बहस तेज! क्या हेमंत सरकार भी इस दिशा में उठा सकती है कदम

TNP DESK- आसम की हिमंत विश्व शर्मा सरकार ने राज्य में स्वदेशी मुस्लिमों का सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण करवाने का एलान किया है. यहां बता दें कि 2011 की जनगणना में आसाम की आबादी में मुस्लिमों की आबादी करीबन 34 फीसदी के आसपास है. यह लक्ष्यद्वीप और जम्मू-कश्मीर के बाद केन्द्र शासित प्रदेशों में सबसे बड़ी आबादी है. असम की कुल आबादी 3.1 करोड़ हैं, इसमें से करीबन एक करोड़ मुस्लिम हैं. लेकिन असम सरकार का दावा है कि इस एक करोड़ की आबादी में महज चालीस लाख ही स्वदेशी मुस्लिम है. बाकि के मुसलमान बांग्लादेशी है.

हर राजनीतिक दल का अपना अलग चश्मा

हालांकि यह दावा कितना सही और कितना गलत यह एक अलग विवाद का विषय है, हर राजनीतिक दल और सामाजिक समूह इसे अपने-अपने सियासी चश्में से देखने की कोशिश करता है, लेकिन जानकारों का दावा है कि ऐसा नहीं है कि हर बांग्लाभाषी मुसलमान बांग्लादेशी है. जिन बांग्ला भाषियों को बेहद आसानी से बंगलादेशी करार दे दिया जाता है, उसमें एक बड़ी आबादी पश्चिम बंगाल के मुस्लिमों की है, और यह हर कोई जानता है पश्चिमी बंगाल के मुस्लिमों की भाषा उर्दू नहीं है, वह भी आम बंगालियों की तरह ही बंगाली ही बोलते है, यही उनकी मातृ भाषा है. लेकिन जैसे ही ये बांग्लाभाषी मुसलमान बंगाल छोड़ दूसरे राज्यों में जाते हैं, देश के दूसरे नागरिकों के समान निवास करते हैं, एक विशेष सियासी चश्में से उन्हे बांग्लादेशी मान लिया जाता है, और इस प्रकार आम लोगों के बीच भी अपने ही नागरिकों को विदेशी बताने की एक होड़ लग जाती है.

सीएम हिमंत विश्व शर्मा का दावा

इसको लेकर दावे प्रतिदावे चाहे जो हो, लेकिन असम सरकार ने कथित स्वदेशी मुसलमानों के नाम पर आर्थिक सामाजिक सर्वेक्षण की शुरुआत कर एक विवाद को जन्म जरुर दे दिया है. सीएम हिमंत विश्व शर्मा ने इस मामले में एक सोशल मीडिया पर एक पोस्ट लिखते हुए दावा किया है कि "ये निष्कर्ष सरकार को राज्य के स्वदेशी अल्पसंख्यकों के व्यापक सामाजिक-राजनीतिक और शैक्षिक उत्थान (एसआईसी) के उद्देश्य से उपयुक्त उपाय करने के लिए मार्गदर्शन करेंगे.

किन किन जाति समूहों को माना गया स्वदेशी मुसलमान

हिमंत सरकार ने गोरिया, मोरिया, जोलाह (केवल चाय बागानों में रहने वाले), देसी और सैयद (केवल असमिया भाषी) को मूल असमिया मुसलमानी की सूची में रखा है. दावा किया जाता है कि ये जातियों का 13वीं से 17वीं शताब्दी के बीच धर्म परिवर्तन हुआ था, और इनकी मूल भाषा असमिया है. इनकी संस्कृति, पहनावा, खान-पान और भाषा आम असमिया के समान है, गोरिया और मोरिया अहोम राजाओं के लिए काम करते थे और देसी मूल रूप से कोच-राजबोंगशी थे. इस्लाम का भारत आगवन के बाद इन जातियों के द्वारा धर्म परिवर्तन कर लिया गया. इसमें चाय बगानों में काम करने वाला जोल्हा जाति भी है, दावा किया जाता है दावा किया जाता है कि ये मूल रुप से झारखंड के रहने वाले थें, जिन्हे चाय बगानों में काम के लिए अंग्रेज असाम लेकर गये थें. जबकि सैयद सूफी संतों की परंपरा के मुसलमान हैं.

क्या झारखंड में भी इस दिशा में आगे बड़ सकती है हेमंत सरकार

असम सरकार के इस कोशिश के बाद यह बहस भी तेज होने लगी है कि क्या झारखंड में भी यह पहल की जा सकती है, क्या राज्य की हेमंत सरकार इस दिशा में कोई ठोस कदम उठा सकती है? और यदि वह ऐसा ही करती है तो उसका आधार क्या होगा? असम सरकार सिर्फ असमिया बोलने वाले मुस्लिमों को ही स्वदेशी मुसलमान मान रही है, इस हालत में झारखंड में इसका पैमाना क्या होगा? क्या यहां कुडुख, मुंडारी, संथाली और दूसरी जनजातीय भाषा बोलने वाले को स्वदेशी मुसलमान माना जायेगा? और यदि यह पैमाना मुसलमानों के सही है, दूसरे धर्मालंबियों के लिए इसी पैमाने को आधार क्यों नहीं बनाया जा सकता? और बड़ी बात इस हालत में पश्चिम बंगाल से सटे झारखंड के साहेबगंज, दुमका, पाकुड़, जामताड़ा, सरायकेला-खरसांवा, पूर्वी सिंहभूम, धनबाद, बोकारो, रामगढ़, रांची में सदियों से रहने वाले पश्चिम बंगाल मूल के मुसलमानों का क्या होगा?

पश्चिम बंगाल से सट्टे झारखंडी इलाकों में बांग्लाभाषियों की एक बड़ी आबादी

यहां यह याद रहे कि जिस प्रकार यूपी, छत्तीसगढ़ और बिहार की सीमाओं पर स्थित झारखंड के इलाकों में हिन्दी की धमक है, ठीक उसी प्रकार पश्चिम बंगाल के सटे साहेबगंज, दुमका, पाकुड़, जामताड़ा, सरायकेला-खरसांवा, पूर्वी सिंहभूम, धनबाद जिलों में बांग्ला भाषियों की बहुलता है. यहां पच्छिम बंगाल मूल का एक बड़ी आबादी है, इसमें हिन्दू भी हैं और मुसलमान भी. लेकिन जब इस आबादी को हम एक विशेष सियासी चश्में से देखने की कोशिश करने लगते हैं तो यह पूरी आबादी हमें बांग्लादेशियों नजर आने लगती है.

बांग्लादेशी घूसपैठ से इंकार नहीं

लेकिन इसका कदापी यह मतलब नहीं है कि बांग्लादेशी घूसपैठ से इंकार कर दिया जाय, निश्चित रुप से एक सीमित आबादी हो सकती है, और उसका कारण बांग्लादेश की गरीबी और फटेहाली है, और इस आबादी में हमें सस्ता मजदूर नजर आता है, यह ठीक कुछ वैसी है जैसे की बिहार, यूपी के लोग कभी काम की खोज में मॉरिशस और रंगून गयें थें. आज इन्ही सस्ते मजदूरों के बदौलत हमारे कारखानों में धूंआ निकलता है. और इसकी मांग सिर्फ झाऱखंड में नहीं है, बल्कि देश के दूसरे हिस्सों में, बड़े-बड़े महानगरों में इसकी गुप्त मांग है. कपड़ा उद्योग से लेकर दूसरे कारखानों में इनको देखा जा सकता है.

झारखंड के निर्माण उद्योग में बांग्लाभाषी मजूदर

यदि आप झारखंड के निर्माण उद्य़ोग को भी देखे, जिस तेजी से झारखंड में बिल्डिंगों और उंची उंची अट्टालिकाओं का निर्माण हो रहा है. उसमें एक बड़ी संख्या में आपको बांग्लादेशी मजदूर काम करते नजर आयेंगे, हालांकि उसमें भी एक बड़ी संख्या पश्चिम बंगाल के मजदूरों की है, और बड़ी बात यह है कि इसमें हिन्दू मजदूर भी हैं और मुस्लिम मजदूर भी. शायद यही कारण है कि हाल ही में झारखंड हाईकोर्ट ने एक याचिका की सुनवाई के दौरान राज्य और केन्द्र सरकार से इस शपथ पत्र दायर कर इस बात का जवाब मांगा है कि जिस बांग्लादेशी घूसपैठ का दावा किया जा रहा है, उसकी पहचान के लिए पैमाना क्या होगा. अब देखना होगा कि इस मामले में झारखंड हाईकोर्ट क्या फैसला सुनाता है. लेकिन इतना साफ है कि यह एक बेहद पेचिदा मामला है. और इसके पीछे धार्मिक-सांप्रदायिक पक्ष से अधिक एक आर्थिक पक्ष भी है.

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Published at:09 Dec 2023 01:04 PM (IST)
Tags:Assam government's decision intensifies the debate on indigenous MuslimsHemant government Himanta Vishwa Sharma government of Assamsocio-economic survey of indigenous MuslimsAssam governmentWill people speaking Kudukh Mundari Santhali and other tribal languages here be considered indigenous MuslimsSahebganj Dumka Pakur Jamtara Seraikela-Kharsawan East Singhbhum Dhanbad Bokaro Ramgarh Ranchi of Jharkhand adjacent to West Bengal?Bangladeshi Muslims in Jharkhand Latest News of Bangladeshi Muslims in Jharkhand breaking News of Bangladeshi Muslims in Jharkhand big breaking of jharkhand hemant Government on Bangladeshi Muslims in Jharkhandbjp politics on Bangladeshi Muslims in Jharkhand Nrc in jharkhand demand of Nrc in jharkhand nrc demand in jharkhand bjp demand of nrc in jharkhand
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