Ranchi-कांग्रेस के नाराज विधायकों की नाराजगी कम होने का नाम नहीं ले रही. आलम यह है कि नाराज विधायकों के सामने अब झारखंड प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर और प्रदेश प्रभारी मीर भी अपना हाथ खड़ा करते नजर आने लगे हैं. कांग्रेस में मचे इस सियासी संग्राम में चंपाई सरकार की गाड़ी भी फंसती नजर आने लगी है, क्योंकि नाराज विधायकों की संख्या एक दो होकर नहीं होकर 11 बतायी जा रही है. जिसमें अकेला यादव, अम्बा प्रसाद, इरफान अंसारी, राजेश कश्यप, दीपिका पांडेय सिंह, भूषण तिर्की, नवन विक्सल कोंगाड़ी, अनुप सिंह का नाम भी शामिल है. नाराज विधायकों की से सबसे मुखर आवाज जामताड़ा विधायक इरफान की नजर आ रही है. इरफान का दावा है कि यदि उनकी शर्ते नहीं मानी गयी, कांग्रेस कोटे से मंत्री बनाये गये चारों मंत्रियों को नहीं हटाया गया, तो ये विधायक किसी भी सीमा तक जा सकते हैं. अब किसी भी सीमा तक की इरफान की शब्दावली को समझने की कोशिश करें तो साफ है कि इरफान चंपाई सराकर को गिराने की धमकी देते नजर आ रहे हैं.
कोलकता कैश कांड का नवीनतम संस्करण
यहां यह भी ध्यान रहे कि यह वही इरफान अंसारी है, जिनका नाम कोलकत्ता कैश कांड के बाद सुर्खियों में आया था. तब भी इरफान पर विक्सल कोंगाड़ी और राजेश कच्छप के साथ मिलकर हेमंत सरकार को गिराने की साजिश रचने का आरोप था, इस बार भी कोलकता कैश कांड में नामित सारे आरोपी इन विधायकों के साथ है. और यही कारण है कि कई सियासी जानकारों के द्वारा इसे कोलकता कैश कांड टू का नाम दिया जा रहा है. इस सियासी संग्राम के बीच सीएम चंपाई सोरेन दिल्ली निकल चुके हैं, जहां उनकी मुलाकात कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन को होने वाली है तो दूसरी ओर विधायकों की नाराजगी को दूर करने के लिए पूर्व सीएम हेमंत सोरेन के छोटे भाई बंसत सोरेन ने भी मोर्चा खोल दिया है. वह उस होटल तक पहुंचे है, जहां नाराज विधायकों की बैठक चल रही है, दावा किया जाता है कि बसंत सोरेन ने उनकी नाराजगी की वजह को समझने की कोशिश की है. और इसके साथ ही यह आश्वासन भी दिया है कि उनकी सारी शिकायत सीएम चंपाई के साथ ही कांग्रेस आकालकमान तक पहुंचायी जायेगी, ताकि इस मामले का समाधान निकाला जा सके. इस बीच खबर यह है कि कई विधायकों ने यह दावा किया है कि उनकी नाराजगी चंपाई सरकार से नहीं होकर झारखंड कांग्रेस के वैसे नेताओं से है, जो अपनी पहुंच का इस्तेमाल कर अपने अपने चेहते को मंत्री पद तक पहुंचाते है. लेकिन इन नाराज विधायकों में शामिल अम्बा प्रसाद जिस अंदाज में अपनी बात रख रही है, उसके इस बात के संकेत मिलते हैं, कि इस नाराजगी की प्लानिंग काफी गहरी है और बहुत संभव हो कि इसको संचालित कहीं और से किया जा रहा हो.
बजट सत्र का बहिष्कार करने पर गिर सकती है चंपाई सरकार
लेकिन मुख्य सवाल यह है कि जैसा कि इन विधायकों के द्वारा दावा किया जा रहा है, यदि ये सारे विधायक बजट सत्र का बहिष्कार कर जाते हैं, बजट सत्र में शामिल नहीं होते है, तो उस हालत में चंपाई सरकार का क्या होगा? जानकारों का मानना है कि चूंकि बजट सत्र के दौरान सरकार की ओर से मनी बिल पेश किया जाता है, और यदि कोई भी मनी बिल विधान सभा के फ्लोर पर गिर जाती है, तो उसका अर्थ होता है कि सरकार का बहुमत खो देना. इस हालत में कांग्रेस में मचे इस रार में चंपाई सरकार संकट में फंस सकती है. इस बीच खबर यह है कि सारे विधायक दिल्ली निकल पड़े है, जहां उनकी मुलाकात कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जन खड़गे से होनी है, अब देखना होगा कि दिल्ली पहुंचने के बाद उनका क्या बयान आता है, क्योंकि जब झारखंड की सरजमीन पर जब खड़ा होकर इरफान अंसारी किसी भी सीमा तक जाने की बात कह सकतें हैं तो दिल्ली पहुंचने के बाद इन नाराज विधायकों का राह और भी आसान हो सकता है.
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