Patna-विपक्षी एकता के सबसे बड़े पैरोकार और इंडिया गठबंधन के शिल्पकार नीतीश कुमार का विधान सभा के अन्दर दिये गये एक बयान के बाद बिहार सहित पूरे देश की सियासत में हंगामा खड़ा हो गया है. इसके साथ ही यह दावा भी किया जाने लगा है कि इंडिया गठबंधन के खेवनहार के रुप में उनकी भूमिका पर विराम लग गया है, इस मानसिक हालात में इंडिया गठबंधन अब उनके चेहरे पर दांव नहीं लगा सकती. सीएम नीतीश के इस बयान के बाद यह दावा किया जाने लगा है कि 72 वर्षीय नीतीश कुमार पर उम्र का असर हावी होने लगा है, उनकी मानसिक स्थिति ठीक है, और कहीं ना कहीं वह किसी मानसिक बीमारी से ग्रस्त है, जिसके कारण वह अपनी यादास्त खोते चले जा रहे हैं. कभी उन्हे अपने सहयोगियों को पहचानने में दिक्कत होती है, तो कभी उन्हे अपने मंत्रियों का नाम याद नहीं रहता है. इसके साथ ही उनकी गतिविधियां भी अजीब हो चली है, कभी वह सार्वजनिक रुप से मंत्री अशोक चौधरी के ललाट को किसी पत्रकार से टकरा देते हैं, तो कभी उसी अशोक चौधरी के पिता की जयंती पर उनके तस्वीर पर फूल अर्पित नहीं कर उस फूल को मंत्री अशोक चौधरी के सर पर दे मारते हैं. हालांकि यह सत्य है कि सीएम नीतीश अपने जीवन के 72 बसंत देख चुके हैं, लेकिन सत्य यह भी है कि 75 बसंत देख चुके लालू यादव की यादास्त आज भी कमाल की है. किडनी प्रत्यारोपण के बावजूद वह आज भी काफी सजग है.
इंडिया गठबंधन के अंदर सीएम नीतीश को संयोजक बनाने की चल रही थी चर्चा
यहां ध्यान रहे कि काफी दिनों से इंडिया गठबंधन के अन्दर सीएम नीतीश को संयोजक बनाने की खबर चल रही थी और दावा तो यह भी किया जा सकता है कि सीएम नीतीश को इंडिया गठबंधन की ओर से पीएम फेस भी बनाया जा सकता है. हालांकि यह चर्चा केवल चर्चा तक ही सीमित रही और बार बार इस फैसले को टाला जाता रहा, लेकिन अब जब सीएम नीतीश के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर सवाल खड़े होने लगे हैं तो इंडिया गठबंधन के अन्दर दूसरा चेहरा कौन होगा होगा, यह सवाल ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है. पीएम चेहरे और संयोजक के लेकर इंडिया गठबंधन के अन्दर एक दूसरे चेहरे पर भी काफी दिनों से विचार होता रहा है, और वह चेहरा हैं, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जून खड़गे का. दावा किया जाता रहा है कि कांग्रेस भले ही संयोजक पद की जिम्मेवारी किसी और के कंधों पर थोप दे, लेकिन पीएम चेहरे के रुप मे उसकी पसंद कांग्रेस के अन्दर का ही कोई चेहरा होगा.
क्या समाप्त हो गयी है नीतीश की दावेदारी
तो क्या अब मान लिया जाय कि इंडिया गठबंधन के अन्दर संयोजन के रुप में सीएम नीतीश की दावेदारी पर विराम लग गया है, यह दावा तो जरुर किया जा सकता है, लेकिन इसके साथ ही यह सवाल भी खड़ा हो गया है कि यदि 72 वर्षीय नीतीश को उम्र का हवाला देकर किनारे किया जा सकता है, तो 82 वर्षीय मल्लिकार्जुन खड़गे को स्वीकार करना क्या इंडिया गठबंधन के अंदर इतना आसान होगा. और क्या कांग्रेस की इस कोशिश को इंडिया गठबंधन के दूसरे घटक दल स्वीकार कर लेंगे. हालांकि इन सारे सवालों का जवाब पांच राज्यों के विधान सभा नतीजों के साथ ही तीन दिसम्बर को मिल जायेगा. यदि इन चुनावों में कांग्रेस का प्रर्दशन बेहतर होता है, तो स्वाभिक रुप से वह इंडिया गठबंधन के दूसरे घटक दलों पर दवाब कायम करने की स्थिति में होगा, लेकिन यदि प्रर्दशन खराब रहता है तो कांग्रेस के सामने घटक दलों को साथ खड़ा रखने की चुनौती होगी.
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