- Trending
बेगुसराय(BEGUSARAI): अक्सर न्यायालयों मे बेगुनाहों को न्याय और कसूरवारों को सजा मिलते ही सुना होगा पर इतिहास मे यह पहली दफा है, जब किसी न्यायधीश के सामने पेश एक दुर्लभ प्रजाति के सांप को न्यायाधीश ने नई जिंदगी देने का फैसला सुनाया और इसके प्रति अपनी तत्परता दिखाते हुए ताबड़तोड़ कारवाई की.
दरअसल, यह पूरा मामला बेगूसराय जिला विधिक सेवा प्राधिकार से जुड़ा है. जहां जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव ने न सिर्फ एक जहरीले सांप को लोगो के चंगुल से बचाया, बल्कि उसे नई जिंदगी देकर जीव संरक्षण के प्रति अपनी जवाबदेही को पूरा भी किया. फिलहाल, यह मामला लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है.
दुर्लभ प्रजाति सांप पकड़ने का आया था मामला सामने
बताते चलें कि बेगूसराय व्यवहार न्यायालय स्थित जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव सह अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश सतीश कुमार झा के सामने एक अजीबोगरीब मामला सामने आया, जब एक पारा विधिक स्वयंसेवक के द्वारा सचिव को यह सूचना दी गई कि एक दुर्लभ प्रजाति का सांप लोगों ने पकड़ रखा है. इसकी सूचना मिलते ही जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव सतीश कुमार झा के द्वारा सांप को सुरक्षित उनके सामने पेश करने का आदेश दिया गया. सचिव के इस आदेश के बाद फौरन ही सांप को जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव कार्यालय में पेश किया गया. जिसके बाद सचिव ने जीवों के प्रति मानवीय संवेदना दिखाते हुए आगे की कार्रवाई शुरू की और इस तरह सांप को नई जिंदगी मिल पाई.
दो मुंहा सांप राजस्थान में पाया जाता है
इस संबंध में सचिव ने बताया कि मूल रूप से यह दो मुंहा सांप राजस्थान राज्य में पाया जाता है, जिसका अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तस्करी की जाती है. उन्होंने बताया कि गूगल पर सर्च करने पर इस सांप का नाम रेड सैंड गोआ है. न्यायाधीश सतीश कुमार झा ने बताया कि बेगूसराय सदर प्रखंड क्षेत्र के निंगा गांव में पारा विधिक स्वयंसेवक मुकेंद्र पासवान जो आगामी लोक अदालत को लेकर निगा गांव में नोटिस बांटने गए थे, वहां उन्होंने ग्रामीणों को दो मुंह वाला सांप पकड़े देखा. जिसके बाद मुकेंद्र पासवान ने जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव को इसकी सूचना दी. जहां न्यायधीश के आदेश पर उक्त दो मुंहा विषैले सांप को न्यायालय में लाया गया. इसके बाद सतीश कुमार झा ने डिस्ट्रिक्ट फारेस्ट ऑफिसर को सूचना दी. उसके बाद डिस्ट्रिक्ट फारेस्ट की टीम ने न्यायालय पहुंचकर उक्त सांप को अपने कब्जे में लिया. प्राधिकार के सचिव ने बताया कि बंद जीव संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत किसी भी जीव को मारना या उसकी तस्करी करना घोर अपराध है. इसलिए उन्होंने सांप को सुरक्षित करने के लिए फौरन कार्रवाई की और इसे बनपाल को सौप दिया जो इसे चिड़ियाघर को सुपुर्द कर आने वाले 4 दिनों के अंदर उन्हें रिपोर्ट सौंपेंगे.
फिलहाल यह घटना पूरे कचहरी परिसर में चर्चा का विषय बना रहा. वहीं सचिव के जीवो के प्रति मानवीय संवेदना की लोग भूरी भूरी प्रशंसा कर रहे हैं. वहीं न्यायाधीश की यह कार्रवाई इतिहास के पन्नों में भी दर्ज हो गई है. इस संबंध मे बनपाल ने बताया कि इसकी कीमत करोड़ों में है.
Thenewspost - Jharkhand
4+

