टीएनपी डेस्क (TNP DESK): “मकर संक्रांति” जब सूर्य देव बदलते हैं अपना घर और हो जाते है दक्षिणायन से उत्तरायण ये ऋतु परिवर्तन की बेला होती है, जब शरद ऋतु से बसंत ऋतु या आगमन होता है. यूं तो मकर संक्रांति मौसम के परिवर्तन होने का समय होता है लेकिन धार्मिक रूप से इस दिन का अत्यधिक महत्व है. बहुत से कहानी किस्से और दंत कथाएं इससे जुड़े हुए हैं लेकिन सबका सार एक ही है कि हम प्रकृति के इस करवट का स्वागत करते हैं. साथ ही इसे अलग अलग जगहों पर अलग अलग नाम से जानते और सेलिब्रेट करते हैं. नए साल का जो पहला हिन्दू त्योहार आता है वो है मकर संक्रांति आईए जानते हैं कब है मकर संक्रांति और क्या है शुभ मुहूर्त आज हम संक्रांति से जुड़े सभी पहलुओं की चर्चा करेंगे.
नए साल का सबसे पहला पर्व मकर सक्रांति होता है. मकर संक्रांति हिंदू धर्म का प्रमुख त्योहार माना जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार, मकर संक्रांति का पर्व पौष महीने की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि पर मनाया जाता है. भारत के अलग-अलग राज्यों में मकर संक्रांति को विभिन्न नामों से जाना जाता है. मकर संक्रांति को गुजरात में उत्तरायण, पूर्वी उत्तर प्रदेश में खिचड़ी और दक्षिण भारत में इस दिन को पोंगल के रूप में मनाया जाता है. मकर संक्रांति का पर्व सूर्य के राशि परिवर्तन के मौके पर मनाया जाता है. इस दिन सूर्यदेव धनु राशि से निकलकर मकर में प्रवेश कर जाते हैं. वैसे तो मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई था लेकिन पिछले कई सालों से सूर्य देव के गोचर काल में परिवर्तन के कारण इसे 15 जनवरी को मनाया जात है. ऐसे में साल 2025 में मकर संक्रांति के शुभ मुहूर्तों के विषय में चर्चा करेंगे.
मकर संक्रांति का विशेष संयोग
इस साल मकर संक्रांति पर शुभ योग बन रहा है. 19 साल बाद इस बार भौम पुष्प योग बन रहा है. ज्योतिष शास्त्र में इसे काफी शुभ माना गया है. इस योग में जो भी काम किए हैं उसमें लोगों को सफलता मिलती है.
कब है मकर संक्रांति कैसे करें पूजा
हिंदू पंचांग के अनुसार,मकर संक्रांति इस बार 14 जनवरी 2025 को ही मनाई जाएगी. इस दिन सूर्य सुबह 8 बजकर 41 मिनट मकर राशि में प्रवेश करेंगे. हिंदू पंचांग के अनुसार, मकर संक्रांति पुण्य काल का समय सुबह 9 बजकर 03 मिनट से लेकर शाम 5 बजकर 46 मिनट तक रहेगा और महापुण्य काल का समय सुबह 9 बजकर 03 मिनट से लेकर सुबह 10 बजकर 48 मिनट तक रहेगा.
मकर संक्रांति के दिन सुबह जल्दी उठकर यदि हो सके तो किसी पवित्र नदी में जाकर स्नान करें. फिर इसके बाद साफ वस्त्र पहनकर सूर्यदेव की पूजा करें इसके लिए अपने पूजा स्थान पर आसान बिछाए और घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें सूर्यदेव को अर्ध्य देने के लिए तांबे के लोटे में पानी भर लें और उसमें काला तिल, गुड़ का छोटा सा टुकड़ा और गंगाजल डालें. फिर सूर्य की ओर मुख करके सूर्यदेव के मंत्रों का जाप करते हुए अर्घ्य दें. इस दिन सूर्यदेव को अर्घ्य देने के साथ ही शनिदेव को भी जल अर्पित करें. इसके बाद गरीबों को तिल और खिचड़ी का दान करें.
जानिए मकर संक्रांति पर क्या ना करे
मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर हमें सूर्य पूजा और माघ नक्षत्र पूजा करनी चाहिए और साथ ही पवित्र मंत्रों का जाप करना चाहिए. संक्रांति के अवसर पर हमें विवाह, संभोग, शरीर पर तेल लगाना, हजामत बनाना/बाल काटना, और नए उद्यम शुरू करने जैसे कार्यों से बचना चाहिए.
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