पटना(PATNA)- 2024 के जंग के पहले नीतीश कुमार हर सामाजिक समूहों को अपने साथ खड़ा करने की रणनीति में जुटे हुए है. यह रणनीति इस हद तक बनायी जा रही है कि हरियाणा में विपक्ष की एक बड़ी रैली के बदले सीएम नीतीश ने पटना में रहकर पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जंयती के अवसर पर श्रद्धांजलि अर्पित करना बेहतर माना.
ध्यान रहे कि इंडियन नेशनल लोकदल के द्वारा पूर्व उपप्रधानमंत्री और हरियाणा के पूर्व सीएम देवीलाल की जयंती हरियाणा में एक बड़ी रैली का आयोजन किया जा रहा है, और सीएम नीतीश को काफी अर्सा पहले रैली में शामिल होने का आमंत्रण भी मिला था, उनकी ओर से इस पर सहमति भी प्रदान कर दी गयी थी, लेकिन जैसे ही इस बात की जानकारी मिली की आज तो जनसंघ के नेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती है, नीतीश कुमार अचानक से हरियाणा जाने का कार्यक्रम रद्द कर दीनदयाल उपाध्याय को श्रद्धांजलि करने पहुंच गयें.
विपक्ष की रैली से नीतीश का किनारा
जब उनसे हरियाणा की रैली को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हमें जहां जाना होता है, वहां जाते ही है, इसमें कोई बड़ी बात थोड़े ही है, लेकिन जानकार मानते हैं कि 2024 के जंग के पहले नीतीश कुमार हर सामाजिक समूह को अपने साथ खड़ा करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं. एक तरफ वह जातीय जनगणना का मुद्दा उछाल कर पिछड़ों का हितैषी होने का दावा कर रहे हैं, तो वहीं आनन्द मोहन की रिहाई कर राजपूत मतदाताओं साधने का काम किया, ललन सिंह जैसे भूमिहार चेहरा उनके पास पहले से ही मौजूद है. जबकि अशोक चौधरी की उनकी बढ़ती नजदीकियां और उनके प्रति उनका वक्त वे वक्त उमड़ता प्यार दलित मतदाताओं को साधने की सोची समझी रणनीति है. अब वह हरियाणा की रैली को छोड़ दीन दयाल उपाध्याय को श्रद्धाजंलि देने पहुंच गयें, यहां भी उनके निशाने पर ब्राह्मण मतदाता थें.
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