रांची (RANCHI:-)झारखंड सरकार ने राज्य में गोधन न्याय योजना का शुभारंभ कर दिया है. सोमवार को कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने हेसाग स्थित पशुपालन विभाग के सभागार में योजना का आगाज किया.
पायलट प्रोजेक्ट
कृषि मंत्री बादल ने इस योजना की तारीफ की और बताया कि झारखंड को जैविक राज्य बनाना योजना का लक्ष्य है. इससे जैविक कृषि के क्षेत्र में झारखंड की पहचान बनेगी. अभी किसान केमिकल फर्टिलाइजर पर निर्भर है, जिसके चलते सेहद पर बुरा असर पड़ता है. पांच जिलों से गोधन न्याय योजना की शुरुआत पायलट प्रोजेक्ट के रूप में हो रही है. इसकी सफलता की समीक्षा के बाद इसे अन्य जिलों में शुरू किया जाएगा. फिलहाल 572 वर्मी कंपोस्ट यूनिट बनेंगे.
2 रूपये किलो गोबर खरीदेगी राज्य सरकार
कृषि मंत्री ने कहा कि वर्मी कंपोस्ट के लिए सरकार ने 10 करोड़ के बजट का प्रावधान किया गया है, अगर इसमे कामयाबी हासिल हुई, तो इसे 100 करोड़ की योजना भी बनाई जाएगी. उन्होंने बताया कि इससे किसानों को आठ रुपए किलो वर्मी कंपोस्ट उनके इलाके में ही मुहैय्या हो सकेगा. गाय पालने वालों से दो रुपये किलो गोबर राज्य सरकार लेगी. इसके प्रसंस्करण के बाद किसानों को वर्मी कंपोस्ट के रूप में उपलब्ध कराएगी.मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि सरकार ने गाय को सम्मान देने का काम किया है. इसके अलावा हेमंत सरकार ने पहली बार राज्य में गोमुक्तिधाम के निर्माण की शुरुआत की है. गोधन न्याय योजना के पहले फेज में तकरीबन 10 हजार किसानों को फायदा पहुंचेगा.
योजना का मकसद
गोधन न्याय योजना का मकसद किसानों को रासायनिक खादों पर निर्भरता को कम करना. और उनकी आय में बढ़ोत्तरी करना प्रमुख मकसद है. साल 2019 के आर्थिक सर्वे के मुताबिक, झारखंड में 12.57 मिलियन गोवंश हैं. इसके जरिए सालाना 504 लाख टन गोबर का उत्सर्जन होता है. गोबर से काफी फायदे है, इससे कृषि के पारिस्थितिकी तंत्र में अहम किरदार निभाता है. यह मिट्टी में जलधारण क्षमता को बढ़ाते हुए जैविक मात्रा में बोढ़ोत्तरी करती हैं.
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