दुमका (DUMKA) : संथाल परगना प्रमंडल में मोड़े मांझी की बैठक की बात सुनते ही प्रशासनिक अमला काफी सतर्क हो जाता है. कोशिश की जाती है कि मोड़े मांझी की बैठक रद्द हो जाए. जमीन विवाद के एक मामले में दुमका प्रखंड के बागडुबी में मोड़े मांझी की बैठक सोमवार को होनी थी. लेकिन प्रशासनिक सतर्कता और सकारात्मक पहल के चलते बैठक सामान्य बैठक में तब्दील हो गयी. जिससे प्रशासन ने राहत की सांस ली है.
मोड़े मांझी की बैठक को लेकर प्रशासन अलर्ट
जमीन विवाद को लेकर सोमवार को मोड़े मांझी की बैठक दुमका प्रखंड के बागडुबी गांव में बुलायी गई थी. इसे लेकर डीसी ने सभी अधिकारियों को अलर्ट कर दिया था . इसे विफल करने के लिए बीडीओ राजेश कुमार सिन्हा, मुफस्सिल थाना प्रभारी नीतीश कुमार के अलावे काफी संख्या में पुलिस बल को सुबह से ही बागडुबी गांव में तैनात किया गया था. पुलिस सुबह से ही बैठक की निगरानी कर रही थी. एसडीपीओ नूर मुस्ताफ अंसारी और डीएसपी विजय कुमार भी गांव में पहुंचे. अधिकारियों ने दोनों पक्ष के ग्रामीणों से बातचीत की. बागडुबी के ग्राम प्रधान सहित अन्य ग्रामीणों से बातचीत कर समस्या का समाधान करने की अपील की. बैठक स्थल के समीप पुलिस की सुरक्षा - व्यवस्था बढ़ा दी गई. कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के कारण अन्य गांव के ग्राम प्रधान के अलावे दूसरे पक्ष के लोग शेखर मुर्मू एवं मानिक मुर्मू इस बैठक में शामिल नहीं हुए. एक पक्ष के लोगों ने ही 40 ग्रामीणों के साथ बैठक कर फैसला हाकिम मुर्मू के पक्ष में सुना दिया.
एक पक्ष के लोग ही हुए शामिल
इस बाबत बीडीओ राजेश कुमार सिन्हा ने बताया कि बैठक में दोनों पक्ष के लोगों को शामिल होना आवश्यक है. लेकिन इस बैठक में एक पक्ष के लोग ही शामिल हुए. ग्रामप्रधान सोम सोरेन ने हाकिम मुर्मू के पक्ष में फैसला सुना दिया. उन्होंने कहा कि ग्राम प्रधान सोम सोरेन के विरुद्ध कार्रवाई के लिए वरीय पदाधिकारी के पास अनुसंशा किया है. उन्होंने कहा कि सोम सोरेन ने ही एक पक्ष के लोगों को बढ़ावा दिया था. दोनों पक्ष के लोग जब बैठक में शामिल नहीं हुए थे तो बैठक टाल देना चाहिए था. पर ग्राम प्रधान ने वैसा नहीं किया. वे नियम के विरुद्ध एक पक्ष की अनुपस्थिति में दूसरे पक्ष हाकिम मुर्मू के पक्ष में फैसला सुना दिया. इसलिए ग्राम प्रधान के विरुद्ध कार्रवाई होना जरुरी है.
दो रिश्तेदारों के बीच है जमीन विवाद
बता दें कि बागडुबी गांव में जमीन विवाद में एक पक्ष हाकिम मुर्मू जबकि दूसरे पक्ष में शेखर मुर्मू एवं मानिक मुर्मू है. दोनों आपस में रिश्तेदार है. हाकिम मुर्मू ने शेखर मुर्मू के जमीन को अपने कब्जे में कर रखा है. 2015 में कार्यपालक दंडाधिकारी की अदालत ने शेखर मुर्मू के पक्ष में फैसला भी आया है. हाकिम मुर्मू के कब्जे में से एक तिहायी शेखर मुर्मू एवं मानिक मुर्मू को दिया जाए. पर हाकिम मुर्मू कोर्ट के आदेश को भी मानने को तैयार नहीं. अपनी जमीन लेने के लिए जब शेखर मुर्मू अधिकारियों के चक्कर लगाने लगा तो हाकिम मुर्मू ने एसडीओ को मोड़ी मांझी की बैठक बुलाने के लिए एक आवेदन दिया था.
मोड़े मांझी की बैठक में 80 से 90 गांव के ग्राम प्रधान शामिल होने वाले थे. बैठक को लेकर डीजी एवं पंडाल बनाए गए थे. खाने-पीने की सारी व्यवस्था की गई थी. प्रशासन ने डीजी एवं पंडाल को हटवाया और साधारण तरीके से बैठक करने की अनुमति दी.
रिपोर्ट. पंचम झा
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