Patna-बिहार के सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा पूरे जोर पर है कि उपेन्द्र कुशवाहा एक बार फिर भाजपा को गच्चा देकर सीएम नीतीश के साथ आ सकते हैं, दावा किया जा रहा है कि सीएम नीतीश और उपेन्द्र कुशवाहा के बीच वीडियो कॉन्फ्रेस के माध्यम के बात भी हो चुकी है. सीएम नीतीश ने उन्हे अपने छोटा भाई बताते हुए सारे गिले शिकवे भूल कर वापस आने का निमंत्रण प्रदान कर दिया है. यहां बता दें कि जदयू छोड़कर भाजपा में जाने के बाद उपेन्द्र कुशवाह काफी दिनों से साइड लाईन चल रहे हैं. भाजपा के साथ रहकर उनको वह तव्जजो नहीं मिल रही है, जिसके वह हकदार है, खास कर जब से भाजपा की कमान सम्राट चौधरी के हाथों में दी गयी है, भाजपा के एक बड़ा खेमा अपने आप को अपमानित महसूस कर रहा हैं, और भाजपा इन तमाम विशुब्धों पर जदयू की नजर बनी हुई है.
वापसी को लेकर सीएम नीतीश और उपेन्द्र कुशवाहा के बीच हो चुकी बात
बताया जाता है कि करीबन 15 दिन पहले ही उपेन्द्र कुशवाहा ने अपने नजदीकी लोगों के मार्फत से सीएम नीतीश को यह संदेश पहुंचाया था कि वह उनका छोटा भाई है, यदि उनसे कोई भूल हुई है, तो वह इसके माफी के हकदार है, जिसके बाद सीएम नीतीश ने उनकी वापसी को हरि झंडी दिखला दी. जिसके बाद उपेन्द्र कुशवाहा को सीएम नीतीश के साथ वीडियो कॉन्फ्रेस के माध्यम से बात करवा दी गयी, हालांकि बातचीत के क्रम में सीएम नीतीश ने ताना कसते हुए यह भी कहा कि आपमें बात बात पर नाराज होने की एक बीमारी है, आपको किसने पार्टी से बाहर किया था, मैंने तो कभी कुछ नहीं बोला, आपको विधान परिषद का सदस्य तक बनाया, लेकिन आपकी मंशा सीएम बनने की रहती है, लेकिन आपको सियासी हकीकत को भी समझना चाहिए, तेजस्वी के रहते यह संभव नहीं है कि हम आपको डिप्टी सीएम की कुर्सी सौंप दें. हां, आपको पार्टी और संगठन में बड़ी जिम्मेवारी जरुर सौंपी जा सकती है.जिसके बाद उपेन्द्र कुशवाहा ने अपनी रजामंदी दे दी.
पांच राज्यों के चुनाव परिणाम के बाद पाला बदल सकते हैं उपेन्द्र कुशवाहा
सियासी जानकारों का मानना कि तीन दिसम्बर के बाद, जिस दिन पांच राज्यों का चुनाव परिणाम सामने आयेगा, उसके बाद किसी भी दिन उपेन्द्र कुशवाह जदयू में शामिल हो सकते हैं, माना जा रहा है कि जदयू की यह पूरी कवायद सीएम नीतीश का यूपी के फूलपूर लोकसभा सीट से लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारियों को लेकर किया जा रहा है, उपेन्द्र कुशवाहा को यूपी फूलपुर संसदीय सीट पर मोर्चा संभालने की बड़ी जिम्मेवारी सौंपी जा सकती है.
भाजपा के लिए खड़ा हो सकता है यूपी में संकट
ध्यान रहे कि फूलपुर वह संसदीय सीट है, जहां कुर्मी मतदाताओं की बहुलता है, जदयू की कोशिश फूलपुर संसदीय सीट से सीएम नीतीश को उतार भाजपा के सामने यूपी में संकट खड़ा करने की है, क्योंकि जातीय जनगणना और बाद में पिछड़ों का आरक्षण विस्तार के बाद सीएम नीतीश पूरे देश में पिछड़ों के एक बड़े चेहरा तौर पर सामने आये हैं, और इस हालत जब सीएम नीतीश यूपी के मैदान में कूदते हैं, तो भाजपा के सामने अपने पिछड़े वोट बैंक और खास कर यूपी के करीबन 8 फीसदी कुर्मी मतदाताओं को अपने साथ बनाये रखना एक बड़ी चुनौती होगी.
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