आखिर किसकी मिली भगत से आयुष्मान योजना में हुआ बड़ा खेल! फंसे कई सफेदपोश और रसुखदार, पूर्व मंत्री तक पहुंची आंच

टीएनपी डेस्क (TNP DESK) : आयुष्मान योजना घोटाला मामले में ईडी की दबिश से हड़कंप मचा हुआ है. शुक्रवार की सुबह राजधानी रांची समेत देशभर के 21 जगहों पर छापेमारी चल रही है. इस जांच की आंच झारखंड के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता तक पहुंच गई है. पूर्व मंत्री के पीए रहे गुड्डू सिंह के घर ईडी कि छापेमारी चल रही है. आयुष्मान योजना घोटाला मामले में माना जा रहा कि कई सफेदपोश और रसुखदार के फंस सकते हैं और जांच के घेरे में आ सकते हैं.
जांच के दायरे में सलाहकार और कंपनियों के पूर्व अधिकारी
ईडी के मुताबिक, छापेमारी उन लोगों और संगठनों पर की जा रही है जो इस कथित धोखाधड़ी नेटवर्क का हिस्सा थे. सलाहकार और संबंधित कंपनियों के पूर्व अधिकारी इसमें शामिल हैं. इसमें झारखंड राज्य आरोग्य सोसाइटी (JSAS) से जुड़े अधिकारी और सलाहकार, थर्ड-पार्टी प्रशासकों (TPA) जैसे MD इंडिया, सेफवे, मेडी असिस्ट के कर्मचारी और कार्यालय, झारखंड के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री के निजी सचिव ओम प्रकाश सिंह से जुड़े परिसर शामिल है.
CAG की रिपोर्ट में फर्जीवाड़ा का हुआ खुलासा
अगस्त 2023 में लोकसभा में पेश कैग की रिपोर्ट में आयुष्मान में भारी फर्जीवाड़ा का मामला उजागर हुआ था. इनमें राजधानी रांची के नौ अस्पताल समेत विभिन्न जिलों के 212 अस्पताल शामिल हैं. ये अस्पताल आयुष्मान योजना में फर्जीवाड़ा कर सरकार को चूना लगा रहे थे. सरकार की ओर से कई स्तरों पर की गई जांच में इन अस्पतालों के फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ था.
स्वास्थ्य सचिव को पत्र लिखकर मांगी थी जानकारी
आयुष्मान भारत योजना में फर्जीवाड़ा का मामला सामने आने के बाद ईडी ने अगस्त 2023 में स्वास्थ्य सचिव को पत्र लिखकर इससे संबंधित ब्योरा मांगा था. ईडी ने जानना चाहा था कि आयुष्मान भारत योजना में सूचीबद्ध अस्पतालों द्वारा किए गए कितने फर्जी दावों को झारखंड सरकार ने पकड़ा है. इसके अलावा फर्जीवाड़ा करने वाले अस्पतालों के खिलाफ दर्ज एफआईआर समेत अन्य कार्रवाई की जानकारी मांगी गई थी. इसके जवाब में स्वास्थ्य विभाग ने राज्य के सात जिलों के 13 अस्पतालों की सूची ईडी को उपलब्ध कराई. इन अस्पतालों पर 500 से अधिक फर्जी दावे करने और अन्य तरह की धोखाधड़ी करने का आरोप है.
मरीज को बिना भर्ती किए भुगतान लेने की भी मिली थी शिकायतें
पैसे लेकर आयुष्मान लाभार्थियों का इलाज करने और मरीज को भर्ती किए बगैर आयुष्मान के तहत भुगतान लेने की भी शिकायतें मिली थीं. मामले को लेकर सरकार की ओर से संचालित 104 सेवा और अन्य जांच तंत्रों से बात कर जब इन अस्पताल संचालकों द्वारा बताए गए मरीजों के इलाज की जानकारी ली गई तो सारे फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ. जबकि 89 अस्पतालों से करीब एक करोड़ रुपये का जुर्माना वसूला गया. 250 से अधिक अस्पतालों को शो-कॉज भी किया गया. वहीं एक अस्पताल संचालक पर प्राथमिकी भी दर्ज कराई गई.
ईडी की जांच से पता चला है कि इस घोटाले में आयुष्मान भारत योजना के तहत अवैध रूप से अर्जित धन की लूट शामिल थी. इसमें अस्पतालों के पैनल में हेरफेर, फर्जी दावों की प्रक्रिया, कमीशन और रिश्वत का एक संगठित नेटवर्क शामिल था. जैसे-फर्जी मरीजों के नाम पर दावे प्रस्तुत करना, मरीजों को भर्ती किए बिना फर्जी भुगतान प्राप्त करना, अस्पतालों और बीमा कंपनियों के बीच मिलीभगत, मृत व्यक्तियों को भी इलाज के लिए सूचीबद्ध करना.
212 से अधिक अस्पतालों व दवा कंपनियों की हो रही जांच
रिपोर्ट के मुताबिक ईडी 212 से ज्यादा अस्पतालों, बीमा कंपनियों और दवा कंपनियों की भूमिका की जांच कर रही है. इस घोटाले में अब तक की जांच में करीब 40 करोड़ रुपये का भुगतान लंबित होने का मामला सामने आया है. इस घोटाले की विस्तृत जांच जारी है और आने वाले दिनों में और खुलासे हो सकते हैं.
दूसरी ओर इस पूरे मामले पर ईडी का कहना है कि यह कार्रवाई केंद्र सरकार की प्रमुख स्वास्थ्य योजना में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है. स्वास्थ्य योजनाओं में भ्रष्टाचार को रोकने और मरीजों के अधिकारों की रक्षा के लिए भविष्य में भी ऐसी सख्त कार्रवाई जारी रहेगी.
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