रांची(RANCHI)- सेना जमीन घोटाले से अचानक सुर्खियों में छाने वाले कारोबारी विष्णु अग्रवाल पर ईडी की कार्रवाई जारी है. सेना जमीन घोटाले के साथ ही ईडी की टेढ़ी नजर अब सर्कुलर रोड स्थित न्यूक्लियस मॉल, कांके स्थित न्यूक्लियस मॉल के साथ ही राजधानी के पॉश इलाकों में फैली उसकी कई खाली प्लौटों और फ्लैटों पर है. ईडी इन जमीनों के मालिकाना हक को भी खंगाल रही है. सूत्रों का दावा है कि ईडी को इस बात की भनक लगी है कि इन मॉलों का निर्माण विवादित जमीनों पर किया गया है. लेकिन विष्णु अग्रवाल की पहुंच और पकड़ के आगे कोई भी अपनी जुबान खोलने का जोखिम लेने को तैयार नहीं था. लेकिन विष्णु अग्रवाल के ईडी के फंदे में फंसता देख कर लोगों में एक नयी उर्जा का संचार हुआ है और पुराने मामले उखाड़े जा रहे हैं. दबी फाइलों को झाड़ पोंछ कर निकाला जा रहा है.
पूर्व डीसी छवि रंजन के साथ जमीन दलालों को गिरफ्तार कर चुकी है ईडी
ध्यान रहे कि ईडी इस मामले में अब तक रांची के पूर्व डीसी छवि रंजन, रिम्स कर्मी अफसर अली, जमीन दलाल प्रदीप बागची, इम्तियाज अहमद, बड़गाई सीआई भानुप्रताप के साथ कई दूसरे जमीन दलालों को हिरासत में ले चुकी है. इन सभी को छवि रंजन के आमने सामने बैठाकर पूछताछ की जा रही है, इसके साथ ही विष्णु अग्रवाल से भी पूछताछ की तैयारी है, हालांकि स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर उसके द्वारा कुछ समय की मांग की जा रही है, लेकिन माना जा रहा है कि जल्द ही ईडी उसकी भी गिरफ्तारी कर सकती है.
एक बड़ा नेटवर्क कर रहा था काम
सूत्रों का दावा है कि सेना जमीन घोटाले में एक बड़ा नेटवर्क काम कर रहा था, इस नेटवर्क में शामिल हर शख्स की जिम्मेवारी अलग अलग थी, किसी को फर्जी दस्तावेज तैयार करवाने की जिम्मेवारी थी तो किसी के जिम्मे जमीन की खऱीद के लिए संभावित खरीददारों से सम्पर्क साधना था. कहने का अभिप्राय यह है कि हर शख्स के तार दूसरे से जुड़े थें और संभावित रुप से इसका किंग पिन विष्णु अग्रवाल था.
उस 10 लाख की हैरतअंगेज कहानी
इस बीच एक रोचक खबर भी सामने आयी है. दावा किया जा रहा है कि जिस जमीन को कोलकत्ता के एक शख्स के हाथों बेची गयी थी, अब वह शख्स अब अपना दस लाख रुपया दिलवाने की गुहार लगा रहा है. सूत्रों के अनुसार उस शख्स का दावा है कि उक्त जमीन का रजिस्ट्री अपने नाम करवाने के लिए उससे इम्तियाज अहमद ने सम्पर्क साधा था, इम्तियाज अहमद से उसकी पुरानी जान पहचान थी. उसे रांची स्थित एक जमीन को अपने नाम लिखवाने का प्रस्ताव दिया गया था. शर्त यह थी कि जमीन की रजिस्ट्री के साथ ही उसका पावर ऑफ अटॉर्नी देना था. इसके बदले में उसे 10 लाख रुपये दिये जाने थें.
बड़ी बड़ी गाड़ियों में बिठाकर बगैर पैसे के टरका दिया गया
उस शख्स का दावा है कि उसकी आर्थिक स्थिति रांची में किसी प्लौट को खरीदने की हैं ही नहीं, वह तो इस 10 लाख रुपये की लालच का शिकार हो गया. एक बार इस बात पर रजामंदी देते ही वह फंसता चला गया. जमीन लिखवाने तक तो उसकी खूब खातिरदारी की गयी, कोलकता से रांची पहुंचते ही हर बार इम्तियाज अहमद उसे रिसीव करने स्टेशन पर मौजूद होता था. उसके खिलाने-पिलाने की व्यवस्था की जाती थी, बड़ी-बड़ी गाड़ियों में बैठाकर उसे ले जाया जाता था. लेकिन जैसे ही जमीन की रजिस्ट्री हुई और उसका पावर ऑफ अटॉर्नी तैयार हुआ, इम्तियाज अहमद भाषा बदल गयी.
जमीन लिखवाते ही बदल गयी भाषा
वह कहने लगा कि उसके कई पार्टनर है, पैसे की व्यवस्था की जा रही है, जमीन का खरीददार मिलते ही उसे उसका पैसा दे दिया जायेगा, लेकिन वह दस लाख रुपये उसे कभी नहीं मिले. इम्तियाज अहमद के द्वारा हर बार सिर्फ आश्वासन दर आश्वासन दिया जाता रहा.लेकिन वह दिन कभी नहीं आया, और आज कोई उसकी सुध लेने को तैयार नहीं है. सब अपना पल्ला झाड़ने की तैयारी में है, और हम कोलकता से रांची का हिचकोला खा रहे हैं, गरीब होने की यही सजा है. हालांकि इस बवंडर के बीच भी ईश्वर पर उसकी आस्था डिगी नहीं है, वह पूरे आत्मविश्वास के साथ कह रहा है कि उपर वाला सब देख रहा है, एक दिन न्याय जरुर होगा, दस लाख तो मिले नहीं, लेकिन उसे उधार के पैसे लेकर अब रांची की गलियों में भटकना पड़ रहा है.
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