धनबाद(DHANBAD): झारखंड के चर्चित विधायक सरयू राय मीडिया फ्रेंडली है. जहां भी जाते या जिधर से भी गुजरते हैं हेड लाइन दे देते है. बुधवार को वह धनबाद में थे. कई कार्यक्रमों में हिस्सा लिया, अभी हाल ही में धनबाद से सांसद का चुनाव लड़ने को लेकर विधायक सरयू राय और सांसद पशुपतिनाथ सिंह में टोका -टोकी हुई थी. सरयू राय के किसी कथन पर पीएन सिंह सिंह ने प्रभात खबर को दिए इंटरव्यू में सरयू राय पर सवाल दागे थे. पूछा था कि बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने के बाद उनसे मिलने क्यों गए. हालांकि विधायक सरयू राय ने इस पर अपनी सफाई दे दी और सांसद पीएन सिंह को आश्वस्त किया कि धनबाद लोकसभा क्षेत्र से चुनाव नहीं लड़ेंगे. हालांकि राजनीति में जो व्यक्ति कहता है, वह करता नहीं और जो करता है, वह कहता नहीं. विधायक सरयू राय जब भी धनबाद इलाके में आते हैं ,तो कहते हैं कि दामोदर स्वच्छता अभियान उनका ड्रीम प्रोजेक्ट है और उसी के सिलसिले में धनबाद आना जाना होता है. लेकिन बुधवार को धनबाद में उनकी गतिविधियों से राजनीतिक पंडित भी नए तरीके से सोचने पर मजबूर हो गए है.
संजीव सिंह से मिले और पूर्णिमा नीरज सिंह से भी भेट हुई
बुधवार को सरयू राय अस्पताल में जाकर जेल में बंद झरिया के पूर्व विधायक संजीव सिंह से मिले. उनकी स्वास्थ्य की जानकारी ली और कहा कि संजीव सिंह का स्वास्थ्य अच्छा नहीं है. बाया अंग शिथिल हो गया है. सरकार को चाहिए कि संजीव सिंह की रिपोर्ट ले और बेहतर इलाज की व्यवस्था करे. डॉक्टरों ने विधायक को बताया कि संजीव सिंह डिप्रेशन से ग्रस्त हैं, बात कम करते है. उन्होंने बेहतर इलाज की वकालत की. इधर, सर्किट हाउस में झरिया विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह से भी उनकी मुलाकात हुई. इसके बाद से तो कयासों का सिलसिला तेज हो गया है. हो सकता है कि यह मात्र संजोग हो लेकिन राजनीतिक पंडित इसे संयोग मानने को तैयार नहीं है. कल वह प्रभात खबर के दफ्तर में भी गए और धनबाद में हो रहे कोयला चोरी पर कड़ी बातें कही. कहा कि कोयला चोरी धनबाद में व्यवस्थित उद्योग बन गया है. इसकी सीबीआई जांच होनी चाहिए, वह जल्द ही रांची में सीबीआई एसपी से मिलकर इसकी शिकायत करेंगे.
कोई भी राजनीतिक पार्टी चलाना बहुत आसान बात नहीं
इधर , अभी हाल ही में कुछ दिन पहले उन्होंने कहा था कि कोई भी राजनीतिक पार्टी चलाना बहुत आसान बात नहीं है. इसके उदाहरण है बाबूलाल मरांडी, पार्टी चलाने के लिए क्या परेशानी होती है, यह बाबूलाल जी से बेहतर कोई नहीं समझ सकता. चर्चा यह भी है कि 2019 के चुनाव में जब भाजपा ने उन्हें टिकट नहीं दिया तो वह जमशेदपुर पश्चिमी अपनी सीट को छोड़कर जमशेदपुर पूर्वी सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ गए. यहां से उस समय के मुख्यमंत्री रघुवर दास भाजपा से चुनाव लड़ रहे थे. सूत्र बताते हैं कि रघुवर दास के विरोधी खेमा ने सरयू राय का भरपूर मदद की , सरयू राय बिजई हो गए और मुख्यमंत्री रहते हुए रघुवर दास चुनाव हार गए. तय समझौते के मुताबिक जमशेदपुर पूर्वी सीट पर कथित रूप से उन्होंने वचन दिया था कि दोबारा चुनाव नहीं लड़ेंगे. जमशेदपुर पश्चिमी सीट को तो 2019 में ही छोड़ चुके है. अब हो सकता है कि धनबाद पर उनकी नजर गड़ी हो. राजनीतिक पंडित कहते हैं कि किसी भी निर्दलीय को सांसद का चुनाव लड़ना बहुत आसान नहीं होता है.
सांसद चुनाव लड़ने के लिए कार्यकर्ताओं की फौज होनी चाहिए
क्षेत्र लंबा होता है ,कार्यकर्ताओं की फौज होनी चाहिए, तभी कोई सफल हो सकता है. ऐसे में कहीं ऐसा तो नहीं सरयू राय धनबाद के किसी विधानसभा सीट पर अपनी जमीन तलाश रहे हो. धनबाद में 6 विधानसभा सीट है. निरसा, सिंदरी , झरिया, बाघमारा, टुंडी और धनबाद. राजनीतिक पंडितों की माने तो निरसा ,सिंदरी , टुंडी ,बाघमारा, झरिया उनके अनुकूल नहीं हो सकता है, तब जाकर धनबाद सीट ही बचती है. इतना तो तय है कि अगर सरयू राय सांसद का चुनाव नहीं लड़े और धनबाद को ही अपना कार्य क्षेत्र बनाने की सोची हो तो विधायक के चुनाव के लिए धनबाद सीट का चयन कर सकते है. संजीव सिंह और विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह से मुलाकात को भी राजनीतिक पंडित इसी चश्मे से देख रहे है. वैसे, संजीव सिंह सिंह मेंशन से आते हैं जबकि पूर्णिमा नीरज सिंह रघुकुल से. फिलहाल रघुकुल और सिंह मेंशन में विवाद चल रहा है. विवाद घटने के बजाय बढ़ता ही जा रहा है. ऐसे में दोनों पक्षों से एक ही दिन मुलाकात की व्याख्या लोग अलग-अलग ढंग से कर रहे हैं.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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