धनबाद(DHANBAD): बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बुधवार को अपराहन झारखंड में रहेंगे. वह मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से विपक्षी एकता की बात करेंगे और एजेंडा बताएंगे, हेमंत सोरेन से इसके पहले जदयू अध्यक्ष ललन सिंह मिल चुके है. ललन सिंह ने जमीन तैयार कर दी है, अब नीतीश कुमार बात को आगे बढ़ा सकते है. इधर, ओडिशा में नवीन पटनायक से मिली हामी के बाद विपक्षी एकता में सक्रिय लोगों का उत्साह जरूर बढ़ा होगा. लेकिन जितनी आसानी से नवीन पटनायक ने इसमें हामी भरी, उससे आगे जाकर कोई ना कोई न कोई पेंच फस जाए तो कोई आश्चर्य नहीं. सबको याद ही होगा कि आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने भी हामी भरी थी लेकिन बाद में पार्टी स्तर पर साफ कर दिया गया कि आम आदमी पार्टी किसी के साथ गठबंधन कर चुनाव नहीं लड़ेगी. मतलब आम आदमी पार्टी अलग चुनाव लड़ेगी फिर विपक्षी एकता पर हामी भरने का क्या औचित्य था.
कांग्रेस के साथ को क्या मानेंगी ममता दीदी
बंगाल की मुख्यमंत्री दीदी ममता बनर्जी भी कांग्रेस को पचा पाएगी, इसको लेकर अभी कई तरह की बातें हवा में तैर रही है. हालांकि ,ममता दीदी ने नीतीश कुमार को सलाह दी है कि वह जयप्रकाश नारायण की भूमि पर विपक्षी दलों को बुलाएं और चर्चा करे. वैसे, कर्नाटक में आज चुनाव हो रहा है, 13 तारीख को परिणाम की घोषणा होगी. कर्नाटक का परिणाम किस ओर जाता है, इस पर भी सत्ता के साथ-साथ विपक्षी दलों की नजर गड़ी हुई है. बिहार में महागठबंधन की सरकार है और जदयू और राजद इसमें शामिल है. राजनीति के चतुर खिलाड़ी लालू प्रसाद अभी पटना में ही है. राजनीतिक पंडितों के अनुसार विपक्षी एकता का मंत्र लालू प्रसाद यादव का ही है. नीतीश कुमार उसी मंत्र पर आगे बढ़ रहे हैं, द्वारे- द्वारे घूम रहे हैं, लोगों से संपर्क कर रहे है. झारखंड में भी गठबंधन की सरकार है और इस में झारखंड मुक्ति मोर्चा, कॉन्ग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल शामिल है.
हेमंत सोरेन के सामने आ सकती है दुविधा
अगर विपक्षी एकता में कॉन्ग्रेस शामिल रह पाती है तब तो मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को कोई परेशानी नहीं होगी लेकिन अगर कॉन्ग्रेस को ममता दीदी के साथ-साथ अन्य लोग पचा पाए तो झारखंड में भी बात बन सकती है. पिछली बार झारखंड में लोकसभा का चुनाव कांग्रेस के नेतृत्व में लड़ा गया था और उसी समय यह तय हो गया था कि विधानसभा का चुनाव झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेतृत्व में लड़ा जाएगा. हुआ भी यही, परिणाम आने के बाद गठबंधन की सरकार बनी और हेमंत सोरेन सरकार के अगुआ हुए. झारखंड में लोकसभा के 14 सीट है, ऐसे में विपक्षी एकता के बाहक लोगों का झारखंड पर जितनी पैनी नजर है, उतनी ही नजर भाजपा की भी है. नीतीश कुमार आज रांची पहुंच रहे हैं, ऐसे में क्या कुछ खिचड़ी पकती है, इस पर राजनीतिक पंडितों की नजर रहेगी.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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