रांची(RANCHI)- इन दिनों सूर्य देवता अपनी रोशनी नहीं सीधे-सीधे आग उगल रहे हैं, झारखंड और इसके निकटवर्ती जिलों का पारा तो 40 के पार चला गया है, सुबह की पहली किरण के साथ ही आँखों के सामने अंधेरा छाने लगता है. सूर्य देवता की इसी तपिश का शिकार एक अभाग्या दुल्हा हो गया. जब तक वह साथ-साथ सात जन्मों तक जीने और मरने की कसमें खाता, सूरज देवता उसे अपना शिकार बना चुके थें, प्रचंड गर्मी का शिकार होकर वह मंडप में ही गिर पड़ा.
हालांकि इसमें दोष दुल्हे राजा नहीं होकर सूरज देवता की प्रंचड गर्मी का था, लेकिन दुल्हन को यह बर्दाश्त नहीं था, उसकी सोच थी कि यह कैसा दुल्हा है जो इस गर्मी का भी मुकाबला करने में असमर्थ है, इस हालत में यह सात जन्मों तक जीने मरने की कसम को कैसे पूरा करेगा? दिल के किसी कोने में इस बात की आशंका भी थी दूल्हा किसी बीमारी से पीड़ित या शराबी तो नहीं.
गुमला जिले के बानो प्रखंड की घटना
दरअसल यह मामला राजधानी रांची से करीबन 120 किलोमीटर दूर गुमला जिला के बानो प्रखंड अतंर्गत सिम्हातु का है. कोलेबिरा सोकरला निवासी जयराम बड़ाईक पूरे गाजे बाजे के साथ इसी गांव में अपनी बारात लेकर पहुंचा था, उसके दिल में हसरत थी, अपनी प्यारी दुल्हन को पूरे श्रंगार के साथ एक नजर देखने की बेचैनी थी. लेकिन उसके दुर्भाग्य की शुरुआत शादी के मंडप पर पहुंचने के साथ ही हो गयी. वह इस प्रचंड गर्मी का सामना नहीं कर सका और मंडप में ही बेहोश हो गया, जिसके बाद चारों तरफ हड़कंप मच गया, लोग किसी अनहोनी की आशंका से ग्रस्त हो गये, दुल्हन भी परेशान हो गयी, उसके दिमाग में तरह-तरह की आशंकाएँ तैरने लगी. इसके पहले की लोग कुछ समझ पाते वह मंडप छोड़ कर जा चुकी थी.
दुल्हन के भागने की खबर सुन उसके चेहरे के रंग उड़े
हालांकि इस पानी की चंद छिंटों के बाद दुल्हा को होश आ चुका था, लेकिन होश में आते ही मंडप का नजारा देख कर वह फिर से बेहोश होने के कगार पर पहुंच गया, दुल्हन को गायब देख उसके चेहरे के रंग उड़ गये, वह सोचने लगा कि किसके साथ सात-सात जन्मों के लिए जीने और मरने की कसमें खाउं? और क्यों खाउं? सात जन्म तो दूर की बात वह तो एक बेहोशी में ही मंडप से भाग खड़ी हुई.
हालत में सुधार के पहले लौट चुकी थी बारात
दुल्हे की बिगड़ती हालत को देख कर परिजनों ने उसे निकटवर्ती सीएचसी में इलाज करवाया, जहां सलाइन आदि चढ़ाने के बाद उसकी हालत में सुधार आया, लेकिन तब तक बारात वापस लौट चुकी थी, दुल्हन और उसके परिजन किसी भी कीमत पर शादी को तैयार नहीं थें. लेकिन बाद में कुछ लोगों ने मामले में हस्तक्षेप किया, काफी मान मनोबल के बाद दुल्हन के परिजन शादी के तैयार हुयें, जिसके बाद बुधवार के दिन गांव से दूर केतुंगा धाम में विवाह संपन्न करवाया गया.
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