धनबाद(DHANBAD): मंगलवार को साफ हो जाएगा कि धनबाद का सांसद कौन होगा. बाघमारा विधायक ढुल्लू महतो के सिर ताज सजेगा कि अनुपमा सिंह विजई होंगी. वैसे, धनबाद के 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा से प्रत्याशी बनने के बाद ढुल्लू महतो का बढ़ा कद और बढ़ गया है, तो धनबाद के लोग अनुपमा सिंह को भी जान गए है. यह बात अलग है कि अनुपमा सिंह के ससुर राजेंद्र बाबू धनबाद सहित कोयलांचल की राजनीति के एक माहिर खिलाड़ी थे. उनके निधन के बाद बेरमो विधानसभा से उनके पुत्र अनूप सिंह फिलहाल विधायक है. अनुपमा सिंह अनूप सिंह की पत्नी है. घर की चौखट लांघकर वह निकली और धनबाद से लोकसभा का टिकट हासिल कर लिया. अब तो वह कोई परिचय की मोहताज नहीं है. यह बात भी सच है कि भाजपा और कांग्रेस ने धनबाद में मजबूती से चुनाव लड़ा है और यही वजह है कि दोनों पक्ष अपने-अपने जीत के दावे कर रहे है. अनुपमा सिंह के चुनाव प्रचार में उनके पति अनूप सिंह साये की तरह लगे रहे. यह बात भी सच है कि विधायक ढुल्लू महतो की पत्नी भी चुनाव प्रचार में कम मेहनत नहीं की है.
भाजपा की राजनीति करनेवालों को पीछे धकेला
बाघमारा विधायक ढुल्लू महतो धनबाद संसदीय क्षेत्र से टिकट लेकर सबको पीछे छोड़ दिया. यह अलग बात है कि 2005 में वह चुनावी राजनीति में प्रवेश किये और 2024 में कोयलांचल में भाजपा की राजनीति करने वाले सभी लोगों को बहुत पीछे धकेल दिया. 2005 में ढुल्लू महतो ने समरेश सिंह की पार्टी से बाघमारा से चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. 2009 में वह झारखंड विकास मोर्चा से चुनाव लड़े और जीत गए. 2014 में बीजेपी में शामिल हो गए और बाघमारा से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा और विजई रहे. 2019 में भी वह बीजेपी के टिकट पर बाघमारा से चुनाव लड़े, और कड़े संघर्ष के बाद 800 से कुछ अधिक वोटो से उन्हें जीत मिली. प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष जलेश्वर महतो उनके प्रतिद्वंद्वी थे. 1975 में जन्मे ढुल्लू महतो का विवादों से पुराना नाता रहा है. उन्हें 18 महीने की सजा भी हुई है. यह बात भी सच है कि ढुल्लू महतो को राजनीति विरासत में नहीं मिली है. चाहे जिस भी रास्ते से वह यहां तक पहुंचे हैं, उसमें उनकी खुद की मेहनत है.
आगे बढ़ने के क्रम में दुश्मनों की भी फौजी खड़ी कर ली
यह अलग बात है कि आगे बढ़ने के क्रम में वह अपने दुश्मनों की भी फौजी खड़ी कर ली है. वैसे ढुल्लू महतो को राजनीति में लाने का श्रेय दिवंगत नेता समरेश सिंह को जाता है. समरेश सिंह ने ही उन्हें टाइगर की उपाधि दी थी. उसके बाद ढुल्लू महतो ने टाइगर फोर्स का गठन किया. यह टाइगर फोर्स आज भी चल रहा है. फिर उन्होंने मजदूर राजनीति में भी प्रवेश किया. मजदूर संगठन से जुड़े ,लेकिन कोयला लोडिंग में दबंगता के आरोप उन पर लगते रहे . 2024 के चुनाव में भाजपा ने उन पर भरोसा किया और सांसद पशुपतिनाथ सिंह जैसे आजाद शत्रु की छवि वाले नेता का टिकट काटकर ढुल्लू महतो को भाजपा ने टिकट दे दिया. चिटा हीधाम रामराज मंदिर का निर्माण उनकी उपलब्धि कही जाती है. हालांकि मंदिर के नाम पर जमीन कब्जा करने के आरोप भी उन पर है. सबकुछ के बावजूद 2005 के बाद से वह पार्टी जरूर बदलते रहे लेकिन लगातार ऊंचाई की सीढ़िया चढ़ते गए.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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