रांची(RANCHI): झारखंड में सियासी भूचाल मचा हुआ है. भाजपा और यूपीए आमने-सामने है, दोनों पार्टी के नेताओं की बयानबाजी जारी है. इसी भूचाल के बीच हेमंत सरकार अपने चुनावी वादों को पूरा करने में लगी है. झारखंड में केन्द्रीय एजेंसी ताबड़तोड़ छापेमारी कर रही है. इस छापेमारी की आंच में अधिकारी से लेकर विधायक तक शामिल है. वहीं सोमवार को ईडी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को भी नोटिस जारी कर अवैध खनन मामले में पूछताछ के लिए बुलाया था. सीएम को नोटिस जारी होते ही राजनीति हलचल और तेज हो गई. नोटिस जारी होते ही यूपीए विधायक दल की बैठक सीएम आवास में हुई और रणनीति बनाई गई. साथ ही यह निर्णय लिया गया की अब 1932 आधारित स्थानीय नीति और ओबीसी आरक्षण का प्रस्ताव पास किया जाएगा. संकट के बीच मुख्यमंत्री ने 11 नवंबर का चयन किया. 11 नवंबर को सीएम बेहद खास तारीख मानते हैं.
11 तारीख क्यों है खास
हेमंत सरकार और झारखंड के लिए 11 नवंबर की तारीख बेहद ही खास है. यह तारीख झारखंड के इतिहास में दर्ज कर लिया जाएगा. 11 नवंबर ना सिर्फ झारखड़ की राजनीति के लिए बल्कि प्रदेश के मूल झारखंडियों के लिए भी खास है. क्योंकि यही वह तारीख है जिस दिन झारखंडियों की सालों पुरानी मांग विधानसभा के पटल पर रखा गया और पास किया गया. अब चलिए बताते है आखिर क्यों खास है 11 तारीख.
पहली खास बात 11 नवंबर 2020 की है जब विधानसभा के पटल पर हेमंत सरकार ने सरना धर्म कोड के प्रस्ताव को पास किया था. इसके पास होते ही उस वक्त भी झारखंड में खुशी की लहर थी. लंबे समय से चली आ रही मांग विधानसभा के पटल से पास हो गई थी. वहीं अब 2022 का भी 11 नवंबर काफी खास होने वाला है. इसी तारीख को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया है. एक दिन के विशेष सत्र में 1932 आधारित स्थानीय नीति और ओबीसी आरक्षण के प्रस्ताव को पास किया जाएगा. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी इस तारीख को लेकर ट्वीट किया है और इस तारीख को झारखंड के लोगों के लिए खास बताया है.
भाजपा में असमंजस की स्थिति
1932 और ओबीसी आरक्षण की मांग को लेकर भाजपा विधायक भी विधानसभा में मामला उठाते रहे हैं. सत्र के दौरान विधायक विधानसभा के बाहर सीढ़ियों पर बैठ कर सरकार को घेरते हुए दिखे हैं. अब जब 11 तारीख को विशेष सत्र में ओबीसी आरक्षण और 1932 आधारित स्थानीय नीति का प्रस्ताव लाया जाएगा. तो भाजपा इसमें क्या समर्थन करती है या फिर सत्र का बॉयकट कर सत्र से बाहर हो जाती है. इससे खास कर वैसे भाजपा विधायक कुछ ज्यादा ही परेशान दिखेंगे जो आदिवासी समुदाय से आते है. अगर वह इसका समर्थन नहीं करते है तो उन्हे क्षेत्र में विरोध का भी सामाना करना पड़ सकता है. अब इंतजार 11 नवंबर का है, जब सत्र में सभी शामिल होंगे.
चुनावी वादों को पूरा करने में लगी सरकार
14 सितंबर की शाम रांची के आसमानों में आतिशबाजी दिख रही थी. हर तरफ पटाखे फुट रहे थे, हेमंत सरकार के जयकारे सुनाई दे रहे थे. कारण था कि उस शाम झारखंड कैबिनेट की बैठक हुई और झारखंड में 1932 और ओबीसी आरक्षण सहित 43 प्रस्ताव पर मुहर लग गई. 1932 और ओबीसी आरक्षण की मांग झारखंड गठन के बाद से ही चल रही थी. लेकिन 22 वर्षों में यह सिर्फ चुनावी जुमला बन कर रह गया था. 2019 में भी झामुमो के संकल्प पत्र में 1932 का जिक्र किया गया था. लेकिन दो वर्षों तक यह मामला शांत रहा, लेकिन जैसे ही मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के चुनाव आयोग का फैसले की खबर आई. मानो झारखंड में सरकार जाने वाली थी. लगातार कई दिनों तक बैठके चली. फिर सभी विधायक खूंटी के लतरातू पिकनिक करने पहुंचे और फिर दूसरे दिन सभी विधायक विशेष विमान से रायपुर चले गए. इसी के साथ झारखंड में फिर एक बार रिज़ॉर्ट पॉलिटिक्स की शुरुआत हुई. रायपुर से ही तमाम विधायक 05 तारीख को विशेष विमान से रांची आए और सीधा बस से ही विधानसभा पहुंचे. विधानसभा में विश्वास मत पेश किया गया.
ईडी के बुलावे के बाद बुलाया गया विशेष सत्र
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ईडी ने नोटिस भेज कर अवैध खनन मामले में पूछताछ के लिए बुलाया है. जैसे ही इसकी जानकारी सीएम को लगी उसके बाद विधानसभा के विशेष सत्र की घोषणा हो गई, साथ ही शाम यूपीए विधायकों की बैठक सीएम आवास में हुई. इस बैठक में विधानसभा के विशेष सत्र को लेकर सभी विधायकों के साथ तीन घंटे तक चर्चा चली. विधानसभा के विशेष सत्र की तैयारी भी शुरू हो गई है. सरकार पूरी तरह से डट कर विपक्ष को जवाब देने की तैयारी में है. वहीं 11 सितंबर को विशेष सत्र में ओबीसी आरक्षण और 1932 आधारित स्थानीय नीति के प्रस्ताव को पास किया जाएगा.
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