रांची(RANCHI): झारखंड में मनी लॉन्ड्रिंग का बेताज बादशाह माने जाने वाला विष्णु अग्रवाल की जमानत याचिका पर आज पीएमएलए की विशेष अदालत में सुनवाई होनी है. पिछली सुनवाई के दौरान ने अपने आप को निर्दोष बताते हुए गिरते सेहत के आधार पर जमानत की गुहार लगायी थी, आज ईडी को उसी का जवाब पेश करना है, जिसके बाद पीएमएलए कोर्ट अपना फैसला सुनायेगा.
कैसे जाल में फंसा विष्णु अग्रवाल
ध्यान रहे कि झारखंड गठन के बाद भले ही यहां के आदिवासी-मूलवासियों की फटेहाली और दुर्दशा में कोई बड़ा बदलाव नहीं आया हो, वे आज भी विस्थापन, कुपोषण और बेरोजगारी का दंश झेलने को अभिशप्त हो. लेकिन इन 23 वर्षों में यहां के अधिकारियों और जमीन कारोबारियों का सितारा अचानक से चमक उठा. उनका इकबाल आसमान छूने लगा.
अधिकारियों और कारोबारियों की जुगलबंदी
रोजी-रोटी की तलाश में झारखंड पहुंचे कई ऐसे चेहरे अचानक से सत्ता गलियारों में अपना जलवा बिखेरने लगे, उनकी तूती राजधानी रांची में गुंजने लगी. सत्ता भाजपा की हो या झामुमो की, इसकी उनकी सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ा, हर दौर में उन्हे सत्ता का संरक्षण मिलता रहा. अधिकारियों और कारोबारियों की जुगलबंदी कुछ ऐसी रही कि झारखंड की फटेहाली के बीच कारोबारियों के द्वारा अपने-अपने चेहते अधिकारियों को गोवा से लेकर मालदीप तक का सफर करवाया जाता रहा. अधिकारियों के आव-भाव और सेवा में ये कारोबारी कुछ भी करने को तैयार बैठे थें.
आँखें चौंधियाने वाली है विष्णु अग्रवाल की सफलता
राजधानी रांची में इन्ही चर्चित नामों से एक नाम है विष्णु अग्रवाल. जिसका नाम अचानक से वर्ष 2022 ईडी की छापेमारी के बाद अखबारों की सुर्खियों बना. आज जिस सेना जमीन घोटाले की भेंट आईएएस छवि रंजन बने है, उस मामले में पहली छापेमारी इसी विष्णु अग्रवाल के ठिकानों पर हुई थी, विष्णु अग्रवाल के ठिकानों से ही ईडी को पहली बार वे दस्तावेज हाथ लगे थें, जिसके आसरे आज ईडी हर दिन एक नया खुलासा कर रही है.
राजधानी रांची में फैला है करोड़ों का साम्राज्य
विष्णु अग्रवाल से वर्ष 2022 में ही बरियातू और सिरमटोली चौक स्थित सेना की जमीन और न्यूक्लियस मॉल की जमीन के बारे पूछताछ की गयी थी. इसके साथ ही कांके स्थित उसका न्यूक्लियस मॉल भी सवालों के घेरे में है, दावा किया जाता है कि उक्त मॉल का निर्माण जमीन कब्जा कर किया गया है. लेकिन विष्णु अग्रवाल की सफलता की कहानी यहीं नहीं रुकती, आरोप है कि राजधानी रांची में ही उसके दर्जनों फ्लैट और जमीन के बेशकीमती प्लौट है. जिसकी कीमत कई करोड़ में आंकी जाती है.
कैसे चमका सितारा एक अनसुलझी पहेली
ताज्जुब यह है कि जब आज भी झारखंड के आम आदिवासी-मूलवासियों की मुख्य समस्या दो जून की रोटी का जुगाड़ है, इन कारोबारियों के किस्मत का सितारा कैसे चमका? कभी रोजी-रोटी की तलाश में भटकते हुए खाली हाथ रांची पहुंचने वाले इन लोगों को सफलता का गुरु मंत्र कहां से मिला? और किसने दिया? काश! सफलता का यही गुरुमंत्र यहां के आदिवासी-मूलवासियों को मिल गया होता, जिनके नाम पर झारखंड का गठन हुआ था, जिसके चुल्हे में आज भी उदासी पसरी है, चेहरे पर विरानगी तैर रही है, और आंखें आज भी पांच किलो सरकारी राशन के इंतजार में फटी रहती हैं.
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