रांची (RANCHI): झारखंड विधानसभा चुनाव में इंडी और एनडीए में कांटे की टक्कर है. दोनों गठबंधन के नेता कोल्हान फतह करने को खूब जोर लगा रहे है. खुद प्रधानमंत्री ने मोर्चा संभाला है, तो दूसरी ओर हेमंत और कल्पना ताबड़तोड़ सभा कर जनता को रिझाने में लगे हैं. अगर देखें तो पिछले 2019 के चुनाव में इंडी गठबंधन को बड़ी ताकत कोल्हान से मिली थी. जिससे राज्य की सत्ता का रास्ता साफ हो गया था. लेकिन इस बार परिणाम कुछ और हो सकता है. जो हेमंत के लिए किसी झटके से कम नहीं होगा.
अगर देखें तो इस बार का चुनाव काफी दिलचस्प होने वाला है. क्योंकि झामुमो के गढ़ में भाजपा अपना झंडा बुलंद करने की तैयारी है. कोल्हान प्रमंडल में 2019 के चुनाव में 14 में से 13 पर झामुमो कांग्रेस ने कब्जा जमाया था. जिसमें झामुमो 11 और कांग्रेस दो के साथ एक निर्दलीय विधानसभा पहुंचे थे. लेकिन इस बार पुरा समीकरण की बदला दिख रहा है. झामुमो ने जिनके भरोसे पर चुनाव में नैया पार की थी वह अब भाजपा के साथ खड़े है.
चुनाव से पहले भाजपा ने कोल्हान टाइगर को पार्टी में शामिल करा लिया. इसके बाद मधु कोड़ा भी भगवा रंग में रंग गए. ऐसे में चंपाई सोरेन का अपना वोट बैंक इस इलाके में है जिसका फायदा भाजपा को हो सकता है. चंपाई का प्रभाव कोल्हान की कई सीट पर है. जहां वह खूब मेहनत कर रहे हैं. इसके अलावा देखें तो हो जाति से ताल्लुक रखने वाले मधु कोड़ा भी झामुमो कांग्रेस का समीकरण बिगाड़ने की तैयारी में है. कोड़ा भले ही चुनाव नही लड़ रहे हो, लेकिन चुनाव कौन जीतेगा यह तय कोड़ा करते है. इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा की पत्नी भी पोटका से चुनावी अखाड़े में है. इस सीट पर भी इस बार भाजपा का झंडा बुलंद हो सकता है.
अगर कुछ सीट पर देखें जहां झामुमो कांग्रेस के लिए लड़ाई टफ हो जाती जा रही है. इसमें सबसे पहले जमशेदपुर पूर्वी से भाजपा ने पूर्णिमा दास को टिकट दिया है. इनके सामने कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार है. लेकिन दोनों में भारी भाजपा की पूर्णिमा ही दिख रही हैं. स्थानीय लोग भी भाजपा के साथ जाने का मन बना चुके है.
इसके अलावा जमशेदपुर पश्चिमी से एनडीए उम्मीदवार सरयू राय चुनाव लड़ रहे है. कांग्रेस ने बन्ना गुप्ता को मैदान में उतारा है. दोनों के बीच एक तीसरे की भी इंट्री हुई है. AIMIM से बाबर खान चुनाव लड़ रहे है. ऐसे में इस सीट पर बन्ना का समीकरण बाबर बिगाड़ सकते है. एक बड़ा वोट बैंक अल्पसंख्यक समुदाय का है जो अब तक कांग्रेस के प्रत्याशी को जाता है लेकिन AIMIM के इंट्री से वोट बटने की संभवना है, जिसका नुकसान कांग्रेस को होगा और फायदा एनडीए को.
ऐसे में देखें तो जहां भाजपा जीरो थी वहां बेहतर करने की तैयारी में है. जमीनी रिपोर्ट पर नजर डालें तो चंपाई सोरेन अपनी सीट बचाने में कामयाब होते दिख रहे हैं. इसके अलावा पूर्णिमा दास, मीरा मुंडा, गीता कोड़ा जीत के आकड़ें तक पहुंच सकती है. इसके अलावा और भी कई सीट है, जहां भाजपा मजबूत हालत में दिख रही है.
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