कोयलांचल के 'व्हाइट कॉलर' की आमदनी का गणित जान आप भी चौंक जायेंगे, जानिए क्या है गुणा-भाग


धनबाद(DHANBAD): कोयलांचल के मजदूरों का यह दुर्भाग्य है कि उनकी फटेहाली तो कभी खत्म नहीं होती, लेकिन उनके नाम पर राजनीति करने वाले को फर्श से अर्श तक पहुंचने में बहुत वक्त नहीं लगता. यह हाल हर कोयला क्षेत्र वाले विधानसभा का है. लेकिन अभी बाघमारा विधानसभा फिर चर्चा में आ गया है. मजदूरों के नाम पर रंगदारी की राशि बढ़ा दी गई है और फरमान जारी कर दिया गया है कि या तो भुगतान करिए और नहीं तो कोयला उठाव नहीं होने दिया जाएगा. हालांकि कुछ लोग विवाद करने की बजाए अपने धंधे-व्यवसाय को सुचारू रखने के लिए सब कुछ स्वीकार कर लिया है, लेकिन कुछ ऐसे भी उद्यमी या डीओ होल्डर हैं, जो इसका विरोध कर रहे हैं और प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि इसे रोका जाये.
250 से ₹600 प्रति टन बढ़ गयी है रंगदारी
सूत्रों के अनुसार लिंकेज, ई ऑक्शन का कोयला उठाव करने पर प्रति टन 250 से ₹600 तक बढ़ा दिए गए हैं. फरमान के मुताबिक उद्योग मालिकों को प्रति टन एक हज़ार रुपए रंगदारी (लोडिंग सहित) और लिंकेज कोटे के लिए ₹900 प्रति टन (लोडिंग सहित) देने का फरमान है. सूत्रों के अनुसार अभी तक ई ऑक्शन के कोयला उठाव पर प्रति टन ₹400 रंगदारी टैक्स (लोडिंग सहित) देनी होती थी लेकिन अब ₹1000 देना पड़ रहा है. बाघमारा में बीसीसीएल कि सिर्फ जमुनिया ,नदखुरकी, बेनीडीह , शताब्दी, मुराईडीह , ब्लॉक फॉर आदि कोलियरीयों से हर माह अमूमन 8000 तन कोयले का उठाव ई ऑक्शन के माध्यम से होता है ,तो बहुत सीधा हिसाब है कि कोयला उठाने वालों को प्रति महीना 80 लाख रुपए रंगदारी देनी पड़ती है. इससे आप कोयला क्षेत्र में व्हाइट कॉलर बने समाजसेवी की आर्थिक ताकत का अंदाजा लगा सकते हैं.
रंगदारी के लिए ही होते हैं क़त्ल , चलते हैं गोली-बंदूक
यही वजह है कि लोडिंग पॉइंट पर कब्जा के लिए गोली-बंदूक चलते हैं, लोगों का कत्ल भी कर दिया जाता है, लेकिन किसी भी हालत में पहले से जिनका कब्जा है, वह इलाके को छोड़ना नहीं चाहते हैं. इसके लिए वह सब कुछ करने को तैयार रहते हैं. यह जानकर भी आपको आश्चर्य होगा कि ऐसे व्हाइट कॉलर लोगों का ना अपना कोई धंधा है और न व्यवसाय लेकिन इनकी शान-शौकत और सुरक्षा घेरा देखकर कोई भी सोचने को मजबूर हो जाता है कि बिना कारोबार के यह पैसा लाते कहां से हैं. इधर बाघमारा क्षेत्र के डीईओ होल्डर अब मुखर हुए हैं और इसका विरोध कर रहे हैं. होल्डर बीसीसीएल पर भी आरोप लगाते हैं कि अधिकारियों की सांठगांठ से रंगदारो की चांदी कटती है. यह भी आरोप लग रहे हैं कि अपनी गोटी लाल करने के लिए जिस लोडिंग पॉइंट पर किसी खास गुट का कब्जा है ,वहां कोयले का आवंटन अधिक होता है.
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