दुमका (DUMKA) : झारखंड मुक्ति मोर्चा का नारा हेमंत दुबारा सच साबित हुआ. हेमंत सोरेन चौथी बार झारखंड के सीएम के रूप में शपथ लिया. अब लोगों की निगाहें मंत्रीमंडल पर टिकी है. तमाम समीकरण को ध्यान में रखते हुए मंत्री की कुर्सी पर कौन कौन आसीन होते है बहुत जल्द इस पर से पर्दा हट जाएगा, लेकिन दुमका में चर्चा इस बात की हो रही है कि उपराजधानी से मंत्री बनेगा या मंत्री विहीन होगी उपराजधानी?
दुमका की धरती ने सीएम से लेकर मंत्री तक दिया
संताल परगना का प्रमंडलीय मुख्यालय दुमका को झारखंड की उपराजधानी का दर्जा प्राप्त है. दिशोम गुरु शिबू सोरेन हो या फिर राज्य के पहले सीएम बाबूलाल मरांडी दोनों की कर्म भूमी दुमका ही रही है. 2009 में दुमका से चुनाव जीत कर हेमंत सोरेन पहली बार सीएम की कुर्सी तक पहुंचे. दुमका की धरती ने मुख्यमंत्री से लेकर कई मंत्री दिया इसके बाबजूद यह चर्चा हो रही है कि दुमका जिला को मंत्री मिलेगा या नहीं तो इसके पीछे वजह भी है.
2019-2024 के कार्यकाल में जिले से कभी एक तो कभी दो मंत्री बने तो कभी मंत्री विहीन रहा जिला
2019 में हेमंत सोरेन ने जब सीएम पद की शपथ ली तो कांग्रेस कोटे से जरमुंडी विधायक बादल पत्रलेख कृषि मंत्री बनाए गए. वर्ष 2024 की शुरुआत में जब हेमंत सोरेन को जेल जाना पड़ा तो सत्ता की बागडोर चंपाई सोरेन को सौंपा गया. चंपाई मंत्रिमंडल में बादल के साथ साथ दुमका विधायक बसंत सोरेन को भी मंत्रिमंडल में शामिल किया गया. लेकिन चंद महीने बाद जेल से निकल कर हेमंत ने सत्ता की बागडोर अपने हाथ में लिया तो दुमका जिला मंत्री विहीन हो गया. चंपाई कैबिनेट में शामिल बसंत सोरेन से मंत्रालय वापस ले लिया गया, जबकि कांग्रेस कोटे से बादल की जगह गोड्डा के महगामा से विधायक दीपिका पांडेय सिंह को कृषि मंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गई.
2024 के चुनाव में संताल परगना के 18 में से 17 सीट पर इंडी गठबंधन का रहा कब्जा
वर्ष 2024 के चुनाव में संताल परगना प्रमंडल के 18 में से 17 सीटों पर इंडी गठबंधन ने कब्जा जमाया. झामुमो 11, कांग्रेस 4 और राजद को 2 सीट मिला जबकि भाजपा को एक मात्र दुमका जिला के जरमुंडी विधान सभा सीट से संतोष करना पड़ा. जिला के जामा, शिकारीपाड़ा और दुमका सीट पर झामुमो ने जीत का परचम लहराया. सीएम के रूप में चौथी बार हेमंत सोरेन के शपथ लेते ही यह चर्चा होने लगी कि दुमका को मंत्री मिलेगा या एक बार फिर दुमका जिला मंत्री विहीन रहेगा?
दुमका के 3 सीट पर झामुमो का कब्जा, बसंत या लुईस के मंत्री बनने की है चर्चा
चर्चा के बीच सबके अपने अपने तर्क भी है. शिकारीपाड़ा से आलोक सोरेन पहली बार चुनाव जीत पिता नलिन सोरेन की विरासत को संभालने में कामयाब हुए है. मंत्रिमंडल में आलोक को जगह मिले इसकी संभावना कम है. दुमका से लगातार दूसरी बार सीएम हेमंत सोरेन के अनुज बसंत सोरेन विधायक बने है. हेमंत के जेल जाने पर बसंत ने ना केबल मंत्री पद का निर्वहन किया बल्कि घटक दलों को भी साथ लेकर चलने में सफल रहे. वर्तमान में मंत्री बनने की रेस में बसंत का नाम भी शामिल है लेकिन तर्क दिया जा रहा है कि इन्हें मंत्री बनाने से झामुमो पर परिवारवाद का आरोप लगेगा.
मंत्री पद के अनुभव का लाभ मिल सकता है लुईस को
तीसरा नाम जामा विधायक डॉ लुईस मरांडी का आता है. 24 वर्षों तक भाजपा में रहकर राजनीति करने वाली, रघुवर सरकार में मंत्री पद संभालने वाली लुईस मरांडी को जब भाजपा ने दुमका से प्रत्याशी नहीं बनाया तो वह पार्टी से बगावत कर झामुमो का दामन थाम ली. झामुमो ने लुईस को जामा से प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतारा. पार्टी आलाकमान के निर्णय को सच साबित करते हुए लुईस मरांडी जामा से विधायक निर्वाचित हुई. मंत्री पद की रेस में लुईस मरांडी का भी नाम शामिल है. तर्क दिया जा रहा है कि झामुमो से 3 महिला विधायक निर्वाचित हुई है. कल्पना सोरेन, सबिता महतो और लुईस मरांडी. सूत्रों की मानें तो महिला कोटा से मंत्री पद के लिए लुईस मरांडी के नाम की भी चर्चा है. मंत्री पद के अनुभव का लाभ इन्हें मिल सकता है. महिला कोटा के साथ साथ क्रिश्चियन कोटा की भी भरपाई हो सकती है और उपराजधानी दुमका मंत्री विहीन भी नहीं कहलाएगा.
अब देखना दिलचस्प होगा कि मंत्रिमंडल में कौन कौन से चेहरे शामिल किए जाते है. चंद दिनों में संशय का बादल छट जाएगा लेकिन फिलहाल विभिन्न नामों पर चर्चा का बाजार गर्म है.
रिपोर्ट-पंचम झा
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