धनबाद(DHANBAD) : झारखंड में इंडिया गठबंधन को प्रचंड बहुमत के बावजूद कांग्रेस की उपलब्धि कहीं दिख नहीं रही है. यह अलग बात है कि कांग्रेस झारखंड में इंडिया ब्लॉक का दूसरा बड़ा दल है. कांग्रेस का दावा है कि वह जहां थी, वहीं खड़ी है. जबकि कांग्रेसियों का ही सवाल है कि 19 विधायक चुनाव में गए थे और 16 जीत कर आये. तो यह कैसे कहा जा सकता है कि कांग्रेस जहां थी, वहीं खड़ी है. कांग्रेस के 19 विधायक इस चुनाव में गए थे. अब 16 हो गए है. सबसे अधिक फायदा तो आरजेडी को हुआ है. उसके चार विधायक जीते है. झारखंड मुक्ति मोर्चा का 30 विधायक चुनाव में गए थे और अब उनकी संख्या बढ़कर 34 हो गई है. इसके साथ ही झारखंड मुक्ति मोर्चा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है. अब मंत्री पद के लिए डिमांड होना शुरू हो गया है. समस्या सबसे अधिक कांग्रेस में ही है.
क्योंकि राहुल गांधी के नारे की भी मंत्री पद को लेकर परीक्षा होगी. जिसकी जितनी हिस्सेदारी, उसकी उतनी भागीदारी के नारे को भी तराजू पर तौला जाएगा. वैसे प्रदेश नेतृत्व में यह सब काम आलाकमान के जिम्मे में दे दिया है. अब आलाकमान, जो फैसला करेगा, वही होगा. दिलचस्प बात यह होगी कि कांग्रेस को चार मंत्री पद मिलता है अथवा 5-1 के फार्मूले से कटौती हो सकती है. यह देखने वाली बात होगी. क्या पिछली सरकार के जो मंत्री चुनाव जीत कर आए हैं, वह दोबारा मंत्री बन पाएंगे. इसको लेकर भी सवाल है. पिछली सरकार में झारखंड कोटे से जो चार मंत्री थे, उनमें तीन जीत कर आए है. सिर्फ बन्ना गुप्ता चुनाव हारे है.
डॉक्टर इरफान अंसारी, रामेश्वर उरांव, दीपिका सिंह पांडे चुनाव जीत गए है. मंत्रिमंडल में पुराना चेहरा ही रहेगा या कांग्रेस कोटे से नया चेहरा आएगा, यह भी सवाल बना हुआ है. यह भी सवाल रहेगा कि क्या सरकार गठन के बाद मुख्यमंत्री सहित 12 मंत्रियों को एक साथ शपथ दिलाई जाएगी अथवा टुकड़ों -टुकड़ों में शपथ ग्रहण समारोह होगा. क्योंकि राजद अपना नाम घोषित करेगा, कांग्रेस अपना नाम घोषित करेगी, माले अपना नाम देगी और झारखंड मुक्ति मोर्चा अपना नाम तय करेगा. अब रांची में मंत्री पद को लेकर ही केवल चर्चा है. देखना दिलचस्प होगा कि 28 नवंबर को शपथ ग्रहण के बाद किन-किन की किस्मत बदलती है. कितने नए चेहरे को जगह मिलती है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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