दुमका (DUMKA) : दुमका में सत्ता के विकेंद्रीकरण के उद्देश्य से त्रिस्तरीय पंचायत व्यवस्था लागू की गयी. सोच रही होगी कि जनता की समस्या को उचित प्लेट फॉर्म पर रख कर उसका समाधान किया जा सके. झारखंड में भी लगभग एक वर्ष पूर्व त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव सम्पन्न हुआ. चुनाव के वक्त प्रत्याशियों ने जनता से तरह-तरह के वायदे किए होंगे. उम्मीद थी कि जीतने के बाद उन वादों को पूरा किया जाएगा. जनता अपनी समस्या पंचायत जन प्रतिनिधि के समक्ष रख कर समाधान की मांग कर रहे हैं, लेकिन जब पंचायत जन प्रतिनिधियों की बातें नहीं सुनी जा रही हो. तो जनता के आक्रोश का सामना पंचायत जन प्रतिनिधियों को करना ही पड़ेगा. जन आक्रोश को देखते हुए पुराना दुमका पंचायत के मुखिया रबिन्द्र कुमार बास्की अपने पद से त्यागपत्र देने की बात कह रहे हैं.
क्या है पूरा मामला
दुमका शहर से सटा है पुराना दुमका पंचायत, जहाँ गर्मी के दस्तक देते ही पेयजल संकट गहराने लगता है. इस भीषण गर्मी में पेयजल के लिए त्राहिमाम मचा है. शनिवार को पंचायत के मुखिया, पंचायत समिति सदस्य और वार्ड सदस्य क्षेत्र भ्रमण पर थे. पंचायत के जरूवाडीह की महिलाओं ने पेयजल संकट के समाधान की मांग को लेकर पंचायत जन प्रतिनिधियों को दो घंटे तक घेर कर रखा. पंचायत जन प्रतिनिधियों ने ग्रामीणों से आवेदन लेकर डीसी से मिलकर समस्या के समाधान का भरोशा दिया.
जिसके बाद आज मंगलवार को पंचायत के मुखिया, पंचायत समिति सदस्य और 3 वार्ड सदस्यों ने समाहरणालय पहुच कर डीसी को ग्रामीणों के आवेदन के साथ साथ एक मांग पत्र सौपा. मांग पत्र में लिखा है कि ग्राम पंचायत पुराना दुमका में हिजला जलापूर्ति योजना का कार्य अधूरा है. जहां जल आपूर्ति हेतु पाइप बिछाया गया है, वहां भी संयोजन सही नहीं रहने के कारण जलापूर्ति बाधित है. इस भीषण गर्मी में पंचायत के लोग पेयजल के लिए त्राहि-त्राहि कर रहे हैं. फलस्वरूप आए दिन पंचायत प्रतिनिधियों को शिकायत के साथ-साथ घेराव और घर में ग्रामीणों द्वारा प्रदर्शन भी किया जा रहा है. जिससे पंचायत प्रतिनिधियों को क्षेत्र भ्रमण में भी कठिनाई हो रही है.
मांग पत्र देकर डीसी से लगाया अनुरोध
मांग पत्र में डीसी से अनुरोध किया गया है कि छूटे हुए टोला में पाइप बिछाने तथा बिछाए गए टोले में सुचारू रूप से जल आपूर्ति हेतु विभाग एवं संवेदक को कड़ी निर्देश देने की मांग की गई है. ताकि ग्रामीणों को पानी मिल सके और पंचायत प्रतिनिधियों को ग्रामीणों के कोपभाजन से निजात मिल सके. अन्यथा हम अपने पद से त्यागपत्र देने को विवश हो जाएंगे.
मीडिया से बात करते हुए मुखिया रबिन्द्र बास्की ने कहा कि जनता की अपेक्षा अपने जन प्रतिनिधियों से होती है. लेकिन जब जन प्रतिनिधियों की बातों को दर किनार कर दिया जाए तो जनता की समस्या का समाधान कैसे होगा. अगर जन समस्या का समाधान नहीं कर पाते हैं तो पद पर बने रहने का क्या औचित्य है.
रिपोर्ट. पंचम झा
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