सेल में बोकारो स्टील प्लांट का क्यों बज रहा डंका, भिलाई स्टील को कैसे ढकेला, पढ़िए इस रिपोर्ट में

धनबाद(DHANBAD): बोकारो स्टील प्लांट ने पिछले महीने भिलाई स्टील प्लांट को पीछे छोड़ दिया है. इस साल के जनवरी महीने में 3,37,500 टन क्रूड स्टील का उत्पादन कर स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड में इतिहास रच दिया है. इससे पहले भिलाई इस्पात संयंत्र के खाते में यह रिकॉर्ड दर्ज था. भिलाई स्टील प्लांट ने 3,3 7,184 टन का रिकॉर्ड एक महीने में कायम किया था. बोकारो स्टील प्लांट अब उसे पार कर गया है. .बोकारो स्टील प्लांट पर अभी सबकी नजरें टिकी हुई है. अभी-अभी केंद्रीय इस्पात मंत्री और इस विभाग के राज्य मंत्री बोकारो और धनबाद के चासनाला का दौरा कर दिल्ली लौटे है. बोकारो स्टील प्लांट से उत्पादन बढ़ाने की तैयारी है. मंत्रियों ने इसकी घोषणा भी की.
बोकारो में प्रोडक्शन बढ़ने का दबाव कोल इंडिया पर भी पड़ सकता है
ऐसे में बोकारो में प्रोडक्शन बढ़ने का दबाव कोल इंडिया पर भी पड़ सकता है. वैसे, तो कोयलांचल में सेल की भी अपनी कोयला खदानें है. लेकिन वहां जो कोयले का प्रोडक्शन होता है, उससे बोकारो स्टील प्लांट की जरूरत पूरी होगी, इसमें संदेह है. जानकारी के अनुसार अमूमन 1.4 मिलियन टन स्टील के प्रोडक्शन के लिए एक मिलियन टन कोकिंग कोयले की जरूरत होती है. बोकारो स्टील प्लांट को विस्तार देकर 2.3 मिलियन टन उत्पादन बढ़ाना है. यानी लगभग 2 मिलियन टन कोकिंग कोल् की आवश्यकता हो सकती है. अपने दौरे में बोकारो इस्पात संयंत्र को लेकर केंद्रीय मंत्री एचडी कुमार स्वामी और राज्यमंत्री भूपति राजू श्रीनिवास वर्मा ने बड़ी घोषणा की है. बीएसएल की उत्पादन क्षमता 7.5 मिलियन टन किया जाना है. . इसके लिए 20 हजार करोड़ का निवेश भी होगा . प्लांट के विस्तारीकरण से 2500 लोगों को प्रत्यक्ष और 10,000 लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेंगे.
अभी बोकारो इस्पात संयंत्र की उत्पादन क्षमता 5.25 मिलियन टन है
वर्तमान में बोकारो इस्पात संयंत्र की उत्पादन क्षमता 5.25 मिलियन टन है.केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ब्राउनफील्ड विस्तारीकरण को लेकर हॉट मेटल प्रोडक्शन को बढ़ाया जायेगा. स्टील सेक्टर में भारत को आत्मनिर्भर बनाने को लेकर कई कदम उठाये जा रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना 2030 तक भारत में इस्पात उत्पादन 300 मिलियन टन करने का है. इस दिशा में निवेश व तकनीक का वृहत इस्तेमाल होगा. इससे देश की अर्थव्यवस्था बढ़ेगी. बोकारो इस्पात संयंत्र की नींव 1965 में रखी गयी थी. 1972 में ब्लास्ट फर्नेंस काम करने लगा. उस समय उत्पादन क्षमता 1.7 मिलियन टन थी, जो अब 5.25 मिलियन टन तक पहुंच गई है. 4500 घनमीटर का ब्लास्ट फर्नेंस, स्लैब कास्टिंग, रोलिंग फेसिलिटी, स्टांप चार्जड कोकओवन बैटरी व सिंटर प्लांट विस्तारीकरण होना है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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