पश्चिम बंगाल के इस ख़ास मिठाई को क्यों मिला जीओ टैग, कैसे बनती है यह मिठाई और क्यों है ख़ास ,पढ़िए

धनबाद(DHANBAD): पश्चिम बंगाल के इन खास मिठाई को अब अंतर्राष्ट्रीय पहचान मिलेगी. इस वजह से इन उत्पादों को कानूनी संरक्षण तो मिलेगा ही, नकली उत्पादों से बचाव भी मिल सकता है. साथ ही लोकल कारीगरों और उत्पादकों के लिए आर्थिक लाभकारी भी हो सकता है. पश्चिम बंगाल की पारंपरिक मिठाई नोलेन गुड़ संदेश और बरुईपुर अमरूद सहित सात उत्पादों को जीओ टैग मिला है. इस फैसले से इन उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय पहचान के साथ-साथ स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिल सकता है. नोलेन गुड़ संदेश बंगाल की खास मिठाई है. यह ताजा छेना और खजूर के गुड़ से तैयार किया जाता है. यह विशेष रूप से सर्दियों में बनता है और बंगाली परिवार के लिए पारंपरिक मिठाई है.
खजूर गुड़ का प्रचलन इस मिठाई को और खास बना दे रहा है. हालांकि बंगाल के कई उत्पादों को जी टैग पहले भी मिल चुका है. फिर सात उत्पादों को मिला है. जी टैग मिलना बंगाल की सांस्कृतिक विरासत और पारंपरिक खाद्य पदार्थों के लिए एक बड़ी उपलब्धि है. इस बार पश्चिम बंगाल के जिन सात उत्पादों को जीआई टैग मिला है ,उनमे नोलेन गुड़ संदेश, बरुईपुर अमरूद, कमरपुकुर का सफेद बोंडे, मुर्शिदाबाद का छनबोरा, बिष्णुपुर का मोतीचूर लड्डू, राधुनीपगल चावल, मालदा का निस्तारी रेशमी धागा शामिल है.
पश्चिम बंगाल को अब तक 26 उत्पादों के लिए जीआई टैग मिल चुका है, जिसमें हस्तशिल्प, वस्त्र, चाय, खाद्य पदार्थ और कला शामिल हैं. इसके अलावा, पश्चिम बंगाल सरकार अब कई पारंपरिक मिठाइयों और उत्पादों को जीआई टैग दिलाने पर जोर दे रही है. पूरे भारत में 500 से अधिक उत्पादों को जीआई टैग मिल चुका है.जीआई टैग मिलने से इन उत्पादों को कानूनी संरक्षण मिलता है और नकली उत्पादों से बचाव किया जा सकता है.यह स्थानीय कारीगरों और उत्पादकों के लिए आर्थिक रूप से लाभकारी साबित होता है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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