झारखंड में पेट्रोल पर सब्सिडी लेने वाले क्यों पूछ रहें-कुछ तो बताइये, मेरा क्या कसूर है हुजूर !

धनबाद (DHANBAD) : पेट्रोल पर सब्सिडी लेने वाले अब सरकार से पूछ रहे हैं कि-हुजूर मेरा क्या कसूर है. किस वजह से यह लाभ पहले की तरह उन्हें नहीं मिल रहा है. अभी भी लोग आवेदन कर रहे है. सब्सिडी के लिए कार्यालयों का चक्कर काट रहे है. लेकिन पहले जिसे मिलता था, उन्हें भी नहीं मिल रहा है. बताया जाता है कि फंड आवंटन नहीं होने से पेट्रोल सब्सिडी का लाभ लोगों को नहीं मिल रहा है. लाभ लेने वाले ऑफिस-बैंक का चक्कर लगा रहे है. खाद्य आपूर्ति विभाग के कर्मचारियों का कहना है कि पिछले साल मार्च के बाद से ही योजना के मद में कोई फंड आवंटित नहीं हुआ है. इस वजह से भुगतान नहीं मिल पा रहा है. बता दें कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की बड़ी योजनाओं में से एक पेट्रोल सब्सिडी भी देना था.
राशन कार्ड धारक को हर महीने ₹250 का नियम है
इसके तहत राशन कार्ड धारक को आवेदन करने पर हर महीने ₹250 बैंक खाते में भेजा जा रहा था. पहले तो लाभ लेने वालों की संख्या सीमित थी. लेकिन अब संख्या बढ़ गई है. यहां यह कहना गलत नहीं होगा कि जहां अगल-बगल के राज्यों से झारखंड में अधिक वैट होने के कारण पेट्रोलियम उत्पाद महंगे मिलते है. ऐसे काम करने का सरकार पर दबाव है. जिस समय पेट्रोल सब्सिडी की घोषणा हुई, उस समय भी सरकार पर वैट कम करने का दबाव था. सरकार ने एक बीच का रास्ता निकाला और कुछ शर्तें निर्धारित कर हर महीने पेट्रोल पर ₹250 सब्सिडी देने का नियम तैयार किया. इसे लागू भी किया गया. झारखंड के लोगों को यह सुविधा मिलने भी लगी. लेकिन फंड आवंटन की कमी से लोगों को परेशानी हो रही है.
झारखंड में वैट अधिक होने से महंगे मिलते है पेट्रोलियम उत्पाद
झारखंड में अभी वैट 22% है. इसे घटाने की लगातार मांग की जा रही है. जबकि अगल-बगल के राज्यों में वैट की दर कम है. बगल के राज्य बिहार में वैट 16.37 प्रतिशत या 12.33 रुपया प्रति लीटर( जो अधिक हो) लिया जा रहा है. उत्तर प्रदेश में 17.8 प्रतिशत या 10.41 रूपया प्रति लीटर (जो अधिक हो) लिया जा रहा है. बगल के राज्य बंगाल में 17% या 7.70 रुपया प्रति लीटर (जो अधिक हो ) लिया जा रहा है. लेकिन झारखंड में 22% या 12.50 रूपया प्रति लीटर (जो अधिक हो ) लिया जा रहा है.इसलिए भी पेट्रोल पर सब्सिडी मांगने वालो की संख्या बढ़ रही है.
रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो
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