रांची(RANCHI): झारखंड की राजनीति में इन दिनों एक नाम को लेकर भूचाल मचा है. पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के द्वारा एक 22 सेकेंड का वीडियो क्लिप जारी कर यह दावा किया गया है कि सीएम हेमंत के प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का एक व्यावसायी और सत्ता के गलियारे में दलाली करते रहे विशाल चौधरी के निजी कार्यालय में बैठकर सरकार के अहम फाइलों का निपटारा कर रहे हैं.
आनन-फानन में तबादले से बढ़ रही है शंका
बाबूलाल के द्वारा वीडियो क्लिप जारी करते ही आनन-फानन में हेमंत सरकार ने राजीव अरुण एक्का सीएम को प्रधान सचिव के पद हटाकर पंचायती राज का प्रधान सचिव बना दिया. लेकिन बावजूद इसके मामले का पटाक्षेप होता नजर नहीं आ रहा है. भाजपा इस मुद्दे की जांच सीबीआई से करवाने पर अड़ी गयी है. नौ सदस्यीय भाजपा की टीम ने राज्यपाल से मुलाकात कर पूरे मामले की सीबीआई जांच और सीएम हेमंत सोरेन की भूमिका की भी जांच की मांग की है.
सत्ता के गलियारों में कई चर्चा चलती रही है
यहां बता दें कि 1994 बैच के अधिकारी रहे राजीव अरुण एक्का की चर्चा सत्ता के गलियारों में होती रही है. जब इनके बहनोई निशित केशरी के आवास पर ईडी की छापेमारी की गयी थी, तब भी इनका नाम सुर्खियों में आया था.
भाजपा के करीबी माने जाते हैं निशित केशरी
निशित केशरी ओक फॉरेस्ट के संचालक और भाजपा के करीबी माने जाते हैं. निशित केशरी के द्वारा राजधानी रांची के अरगोड़ा और पुंदाग इलाके में कई अपार्टमेंटों का निर्माण किया जा रहा है, दावा किया जाता है कि 10 से ज्यादा ब्यूरोक्रेट्सों के द्वारा इस प्रोजेक्ट में फ्लैट की खरीददारी भी की गयी है. दावा यह भी है कि निशित केशरी के प्रोजक्ट में राज्य के आला अधिकारियों का पैसा लगा है, हालांकि ईडी की टीम मनी लॉन्ड्रिंग मामले में इसकी जांच भी कर रही है.
निशित केशरी से मिले सबूतों के आधार पर विशाल चौधरी के आवास पर की गयी थी छापेमारी
यहां यह भी बता दें कि मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच में जब ईडी की टीम ने निशित केशरी के आवास पर छापेमारी की थी, तब वहां से मिले सबूतों के आधार पर ही ईडी की टीम ने विशाल चौधरी के कार्यालय पर छापा मारा था. अब उसी विशाल चौधरी के निजी कार्यालय में बैठकर फाइलों के निपटारा का दावा किया जा रहा है.
नई नहीं है विशाल चौधऱी और राजीव अरुण एक्का की दोस्ती
लेकिन इसके साथ ही दबी जुबान यह भी चर्चा हो रही है कि विशाल चौधरी और राजीव अरुण एक्का की यह दोस्ती नई नहीं है, दावा किया जा रहा है कि इनकी पार्टियों में शबाब और शराब का दौर चला करता था, विदेशी शराब परोसे जाते थें, महफिल जमती थी. अब जब यह दावा किया जा रहा है कि इसी विशाल चौधरी के निजी कार्यायल में बैठकर राजीव अरुण एक्का सरकारी फाइलों का निपटारा कर रहे थें, तब शक की सुई बहुत कुछ बयां करती है.
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