रांची(RANCHI): बाबूलाल मरांडी के द्वारा जारी किये गये एक वीडियो क्लिप के बाद इन दिनों झारखंड की राजनीति में तूफान मचा है. वीडियो क्लिप की गंभीरता को इससे भी समझा जा सकता है कि इसके जारी करने महज 10 घंटों के अन्दर-अन्दर ही कार्मिक विभाग ने एक अधिसूचना जारी कर राजीव अरुण एक्का का तबादला कर दिया.
राजीव अरुण एक्का को अब डिमोट करते हुए पंचायती राज का प्रधान सचिव बना बनाया गया है. इसके पहले वह मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव हुआ करते थें, साथ ही उनके पास गृह विभाग और सूचना एवं जनसंपर्क विभाग जैसे अहम विभागों की अतिरिक्त जिम्मेवारी भी होती थी.
राजीव एक्का पर विशाल चौधरी के निजी कार्यालय में बैठकर फाइलों पर हस्ताक्षर करने का आरोप
वीडियो क्लिप जारी करते हुए बाबूलाल मरांडी ने यह दावा किया था कि राजीव अरुण एक्का विशाल चौधरी के निजी कार्यालय में बैठकर विभागीय फाइलों को निपटा रहे थें, साथ ही रुपये के लेन-देन की बात भी की जा रही थी. बाबूलाल का दावा है कि राजीव एक्का के बगल में खड़ी महिला कोई सरकारी कर्मचारी नहीं होकर विशाल चौधरी की निजी स्टाफ है.
वीडियो जारी होने के चंद घंटों के अन्दर कार्रवाई इस बात का संकेत है कि बाबूलाल के पास पर्याप्त सबूत है
हालांकि बाबूलाल के दावे की अभी पुष्टि नहीं हुई है, वीडियो क्लिप किस कार्यालय का है, इसके बारे में अभी तक कोई अधिकृत जानकारी उपलब्ध नहीं है, लेकिन सरकार ने जिस तत्परता से वीडियो क्लिप जारी होने के बाद कार्रवाई की है, उससे यह साफ संकेत जाता है कि बाबूलाल के पास अपने आरोप को सिद्ध करने के लिए पर्याप्त सबूत उपलब्ध है और वीडियो क्लिप की सत्यता को इतनी आसानी से खारिज नहीं किया जा सकता. इस प्रकरण के बाद बहुत संभव है कि पूजा सिंघल के बाद राजीव एक्का दूसरे आईएएस होगें, जो अब ईडी के बेहद करीब खड़े हैं. इस बीच भाजपा के एक प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से मिलकर इस पूरे मामले में जांच की मांग की है, साथ ही राजीव अरुण एक्का की गिरफ्तारी की मांग की गयी है.
भाजपा की पूरी रणनीति राजीव एक्का के इर्द गिर्द ही क्यों घूम रही?
लेकिन सवाल यह खड़ा होता है कि भाजपा की पूरी रणनीति राजीव एक्का के इर्द-गिर्द ही क्यों घूम रही है? जबकि सच्चाई यह है कि राजीव अरुण एक्का सीएम हेमंत के प्रधान सचिव थें. इसके साथ ही गृह विभाग और सूचना एवं जनसंपर्क विभाग जैसे अहम विभागों का अतिरिक्त प्रभार भी उनके पास था. बहुत संभव है कि राजीव अरुण एक्का गृह विभाग से जुड़े किसी महत्वपूर्ण फाइल पर हस्ताक्षर कर रहे हों, संभव यह भी है कि अधिकारियों के तबादले की लिस्ट तैयार हो रही हो, और यदि यह अधिकारियों के तबादले की ही लिस्ट थी, तब तो रुपये-पैसा की उगाही के किसी बड़े खेल की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता.
क्या हेमंत सोरेन को सेफ पैसेज देना चाह रही है भाजपा
अब इस स्थिति में भाजपा के द्वारा सिर्फ और सिर्फ राजीव अरुण एक्का को निशाने पर लेना कुछ सवाल पैदा करता है, सवाल यह है कि क्या भाजपा हेमंत सोरेन के प्रति सोफ्ट रवैया अपना रही है? क्या वह सिर्फ राजीव अरुण एक्का को निशाने पर लेकर हेमंत सोरेन को सेफ पैसेज देने की रणनीति अपना रही है? यह सारे सवाल इसलिए खड़े हो रहे हैं क्योंकि गृह विभाग तो सीएम हेमंत के पास ही था, वह उनके प्रधान सचिव भी थें, तब यह क्यों माना जाये कि इस पूरे मामले में सिर्फ और सिर्फ राजीव एक्का ही गुनहगार है? क्या यह माना जाय कि राजीव एक्का को एक चक्रव्यूह में फंसा कर भाजपा हेमंत सोरेन के प्रति किसी और रणनीति पर काम कर रही है? तो फिर वह रणनीति क्या है? क्या यह झारखंड में किसी बदलाव का संकेत है?
यहां यह भी बता दें कि यह वही विशाल चौधरी हैं, जिनका नाम निलंबित आईएएस पूजा सिंघल के खिलाफ ईडी की जांच के दौरान सुर्खयों में आया था.
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