ठेका कर्मियों का क्या है कसूर हुजूर, जानिए कोयलांचल में क्यों उठ रही आवाज़


धनबाद(DHANBAD): कोल इंडिया में विभागीय मजदूरों की तुलना में ठेका कर्मियों की संख्या दोगुनी से भी अधिक है. इनमें से ढेरों ऑन रोल नहीं है, जिससे कि वह सामाजिक सुरक्षा के दायरे में भी नहीं आते है. ऐसे ठेका मजदूर 2022 के दुर्गा पूजा में भी ठगे गए है. उन्हें तो ₹1 भी बोनस नहीं मिलेगा.आपको बता दें कि कोयला कंपनियों के विभागीय लोगों के लिए बोनस की घोषणा तो हो गई है लेकिन ठेका मजदूर फिर एक बार ठगे गए है.
प्रबंधन मन बनाकर बिठा था
बोनस की बैठक के बीच ठेका मजदूरों के बोनस का मुद्दा भी उठा लेकिन प्रबंधन इस पर अपने सख्त निर्णय से मजदूर संगठनों को चुप करा दिया. प्रभंधन ने साफ़ कर दिया कि कॉन्ट्रैक्ट लेबर को लेकर जो प्रावधान है ,उसी आधार पर ठेका कर्मियों के लिए सब्सिडियरी कंपनियों को निर्देश जारी कर दिया जाएगा. विभागीय लोगों के लिए बोनस की रकम 76500 घोषित हुई है. इस रकम को और बढ़ाने की मांग तो हो रही है लेकिन ठेका कर्मियों के लिए जिस बुलंदी से अवाक्स उठानी चाहिए ,उठ नहीं रही है.
आउटसोर्सिंग/ ठेका मजदूरो को वंचित रखना गलत
राष्ट्रीय खान मजदूर फेडरेशन इंटक के उपाध्यक्ष ए के झा ने कहा है कि कोल इंडिया लिमिटेड प्रबंधन तथा कोयला मंत्री भारत सरकार ने दुर्गा पूजा के शुभ अवसर पर सलाना बोनस के मामले मे जो निर्णय लिया है वो काफी निराशाजनक,दुखद और आश्चर्य जनक है. कोल इंडिया लिमिटेड प्रबंधन ने आउटसोर्सिंग/ ठेका मजदूरो को इस सलाना बोनस की राशि से वंचित रखा है. यह बहुत ही पीड़ादायक है. दशहरा पर्व की महत्ता सभी परिवार के लिए समान है. इसलिए इस सलाना बोनस राशि का हकदार आउटसोर्सिंग/ठेका मजदूर भी है. हमे उनके आसूं पोछने का निर्णय लेना चाहिए, जिसके लिए ठेका मजदूर कानूनी रुप से हकदार है.
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