देवघर(DEOGHAR): देवघर के ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को भीषण गर्मी में भी पानी नहीं मिल पाता. पेयजल एवं स्वच्छता विभाग द्वारा ग्रामीण लघु पेयजल आपूर्ति योजना के तहत पाईप लाईन बिछाई गई. इसके जरिये लोगों के घरों तक पेयजल पहुंचाने के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च किए गए. लेकिन विभागीय लारवाही के कारण इनमें से अधिकांश योजनाएं फ्लॉप हो गई. विभाग की इस उदासीनता से देवघर के सारठ प्रखंड के नवादा गांव के ग्रामीणों में निराशा है.
जाना पड़ता है आधा किलोमीटर दूर
ग्रामीण क्षेत्र में पाईप लाईन के जरिये लोगों के घरों तक स्वच्छ पेयजल पहुंचाने के उद्देश्य से ग्रामीण लघु पेयजल आपूर्ति योजना स्वीकृत की गई. विभाग की मानें तो देवघर में योजना के तहत दर्जनों योजनाएं स्वीकृत की गईं. सौर ऊर्जा संचालित इन योजनाओं में से अब अधिकतर फ्लॉप साबित हो गई. एक योजना पर लगभग 12 लाख की लागत आती है. पेयजल के नाम पर विभाग की इस लापरवाही से स्थानीय ग्रामीण अब अपने को ठगा महशूस कर रहे हैं. पेयजल के लिय उन्हें अब फिर से कुआं,तालाब या चापानल पर निर्भर रहना पड़ रहा है. वो भी अपने गांव से आधा किलोमीटर दूर स्थित स्कूल के समीप. नवादा गांव में भी बरसों पुराना चापानल है लेकिन वो भी हमेशा धोका ही देती है. मजबूर हो कर पानी लाने अपने घर से दूर यहां के लोगो को जाना पड़ता है. सारठ के नवादा गांव में 2021-22 की योजना से सोलर पानी टंकी तो बना लेकिन आज तक एक बूंद पानी ग्रामीणों को नसीब नहीं हुआ है.
विभाग झाड़ रहा है पल्ला
योजना के प्रावधानों के अनुसार योजना पूरी कर इसके संचालन का जिम्मा संबंधित मुखिया की देख-रेख में ग्राम पेयजल एवं स्वच्छता समिति को सौंपा जाना था. phed विभाग के विभागीय अधिकारी अब इस समिति को ही योजना फ्लॉप होने के लिए जिम्मेवार ठहरा कर अपना पल्ला झाड़ रहे हैं।
अब गलती चाहे जिस स्तर से हो रही हो इसका सीधा खामियाजा स्थानीय ग्रामीणों को उठाना पड़ रहा है। एक तो गर्मी ऊपर से पानी की किल्लत,माना जा सकता है कि ग्रमीणों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही होगी. अब देखना होगा कि कब तक इस पानी टंकी से ग्रामीणों को पानी नसीब होता है.
रिपोर्ट: रितुराज सिन्हा
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