धनबाद(DHANBAD) : झरिया में आकर कुछ लोग हमलोगो को माफिया कहते हैं. उनके इस बयान पर हम भी बहुत कुछ कह सकते हैं, परंतु सिंह मेंशन परिवार उनके इस बयान को 'दूध भात' से अधिक कुछ नहीं मानता. वैसे, हम लोग इन लोगों के मुंह भी नहीं लगाना चाहते हैं. यह कहना है जनता मजदूर संघ के महामंत्री और सूर्यदेव सिंह के पुत्र सिद्धार्थ गौतम का. उन्होंने शुक्रवार को कतरास में यह बातें कही. बता दें कि धनबाद में अभी नगर निगम चुनाव की चर्चा जोरों पर है. हर कोई अपने बयान में प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष निगम चुनाव की चर्चा करने से नहीं चूकता, इसी क्रम में सिद्धार्थ गौतम ने यह ऐलान किया कि निगम चुनाव में सिंह मेंशन फ्रंटलाइन की भूमिका में रहेगा. चुनाव में प्रत्याशी को लेकर कई बार चर्चा हुई है, यदि दलगत चुनाव होता है तब तो प्रदेश के पार्टी प्रमुखों के निर्णय पर विचार होगा. वैसे इस मामले में विधायक जी (संजीव सिंह) और पूरे परिवार के सम्मिलित निर्णय के बाद ही मेयर प्रत्याशी के नाम की घोषणा होगी. उन्होंने कहा कि पूर्व के निगम चुनाव में भी सिंह मेंशन की सक्रिय भूमिका रही है. इस बार भी रहेगी, इसका मतलब है कि सिंह मेन्शन और रघुकुल में चल रही तनातनी के बीच सिद्धार्थ गौतम का यह बयान कई मायनों में अहम रहेगा.
सिंह मेन्शन प्रत्याशी देगा तो रघुकुल भी दे सकता है प्रत्याशी
एक तो इसे साफ हो जाता है कि अगर सिंह मेन्शन प्रत्याशी देगा तो रघुकुल भी अपना प्रत्याशी जरूर देगा. 2019 के झरिया विधानसभा क्षेत्र में दोनों आपस में एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं. सिद्धार्थ गौतम के इस बयान का अभी मतलब निकलता है कि धनबाद नगर निगम के चुनाव में कड़ा संघर्ष होगा. प्रत्याशियों की लंबी सूची है. भाजपा में ही 10 से अधिक प्रत्याशी चुनाव लड़ने को उतावले हैं. उसी तरह कांग्रेस में भी कई प्रत्याशी लड़ने को तैयार है. विजय झा की तरह कई समाजसेवी भी चुनाव दंगल में उतरने की घोषणा कर चुके हैं. ऐसे में यह चुनाव कई लोगों की प्रतिष्ठा से जुड़ेगा और बहुतों के राजनीतिक भविष्य को भी तय करेगा. धनबाद में 2006 में निगम का गठन हुआ था. 2010 में पहला चुनाव हुआ. इस चुनाव में सिंह मेंशन की इंदु देवी मेयर चुनी गई. और नीरज सिंह डिप्टी मेयर बने थे. उसके बाद 2015 के चुनाव में शेखर अग्रवाल विजयी रहें तो रघुकुल के एकलव्य सिंह डिप्टी मेयर बने. कार्यकाल खत्म हो जाने के बाद निगम में सरकारी व्यवस्था लागू हो गई, लेकिन चुनाव नहीं हुआ. अब चुनाव की सुगबुगाहट शुरू हो गई है. प्रशासनिक स्तर पर भी तैयारियां तेज कर दी गई है. प्रत्याशी भी अपने-अपने ढंग से चुनाव प्रचार में जुट गए हैं.
छठ से ही दिखने लगी है सक्रियता
महापर्व छठ में भी उनकी सक्रियता दिख रही थी. कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि धनबाद में नगर निगम का चुनाव इस बार बहुत आसान नहीं होगा. राजनीतिक दलों के लिए भी यह कठिनाई पैदा करेगा, क्योंकि अभी तक जो जानकारी है, उसके अनुसार यह चुनाव निर्दल होगा और अगर निर्दल होगा तो प्रदेश स्तर के निर्णय को कार्यकर्ता कितना मानेंगे, यह कहना कठिन है. पार्टियों के लिए भी यह कठिन होगा कि वह किसी एक उम्मीदवार पर अपने ही दल में राय बनवा सके. कुछ तो अंदर खाने की भी राजनीत होगी. राजनीतिक जीवन में दोस्त और दुश्मन की संख्या किसी की भी कम नहीं होती. राजनीतिक जीवन में कोई भी आजाद शत्रु नहीं हो सकता. इसलिए भी प्रदेश से लेकर स्थानीय नेताओं की प्रतिष्ठा पहले तो उम्मीदवारों के चयन में ही नापी जाएगी और उसके बाद चुनाव परिणाम बताएगा कि चुनाव में कैसे-कैसे खेल हुए, किसका सिक्का चला.
रिपोर्ट : शांभवी सिंह, धनबाद
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