दुमका की होली इस बार होगी बेहद खास, महिलाएं तैयार कर रही है पलाश ब्रांड हर्बल गुलाल

दुमका ( DUMKA): रंगों का त्यौहार होली आने में चंद दिन शेष है. चौक चौराहों पर होली का बाजार सजने लगा है. लोग होली की खरीददारी में लगे है. इस बार झारखंड की उपराजधानी दुमका की होली बेहद खास होगी क्योंकि स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाएं प्राकृतिक हर्बल गुलाल तैयार कर रही है. पलाश ब्रांड से इसे बाजार में उतारा गया है.
केमिकल युक्त रंग गुलाल के कारण लोग बनाते है दूरी लेकिन अब हर्बल गुलाल है उपलब्ध
होली एक ऐसा त्यौहार जिसमें लोग गिले शिकवे भूलकर एक दूसरे को रंग और गुलाल लगाते हैं. बाजारीकरण के दौर में स्वनिर्मित रंग - गुलाल की परंपरा धीरे धीरे समाप्त हो गयी. नतीजा बाजार में कई ब्रांड के रंग और गुलाल ने कब्जा जमा लिया. केमिकल की मदद से रंग गुलाल बनाया जाने लगा, जो लोगों की त्वचा को प्रभावित करने लगा. नतीजा रंगों के त्यौहार होली में लोग रंग और गुलाल से परहेज करने लगे.
JSLPS की दीदी तैयार कर रही है पलाश ब्रांड का हर्बल गुलाल
होली में रंग और गुलाल से दूरी होली के रंग को फीका करने लगा लेकिन लोगों का उत्साह कायम रहा. नतीजा लोगों का रुझान केमिकल युक्त रंग और गुलाल के बजाय हर्बल रंग - गुलाल की तरफ बढ़ा और बाजार में हर्बल उत्पाद की मांग बढ़ी. इस बार दुमका की होली के रंग कुछ खास होने वाले हैं, क्योंकि स्वयं सहायता समूह (SHG) की महिलाएं पारंपरिक विधि से हर्बल गुलाल तैयार कर रही हैं. पलाश के फूल, चुकंदर, हल्दी और पालक जैसी प्राकृतिक सामग्री से बने ये रंग न केवल त्वचा के लिए सुरक्षित हैं, बल्कि पर्यावरण के भी अनुकूल है.
जिला से लेकर प्रखंड स्तर पर स्टाल लगाकर हो रही है पलाश ब्रांड हर्बल गुलाल की बिक्री
जरमुंडी प्रखंड सहित अन्य प्रखंडों में कई स्वयं सहायता समूह की दीदी ‘पलाश ब्रांड’ नाम से हर्बल गुलाल का निर्माण कर रही हैं. जिला में लगभग 200 किलोग्राम प्राकृतिक गुलाल तैयार किया जा रहा है. स्थानीय बाजार में इसकी अच्छी मांग बनी हुई है. जेएसएलपीएस (JSLPS) के ‘पलाश ब्रांड’ गुलाल की बिक्री के लिए तहत 8 मार्च से जिला एवं प्रखंड स्तर पर विशेष स्टॉल लगाया गया है. यह पहल महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के साथ-साथ स्थानीय उत्पाद को नई पहचान देगी.
महिलाओं को रोजगार तो समाज को सुरक्षित रंग
जेएसएलपीएस के जिला कार्यक्रम प्रबंधक निशांत एक्का ने बताया कि हर्बल गुलाल बनाने के लिए आवश्यक सभी कच्ची सामग्री आसानी से उपलब्ध है, जिससे महिलाओं को अतिरिक्त आय का अवसर मिल रहा है. यह पहल ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के साथ-साथ लोगों को स्वास्थ्यवर्धक और सुरक्षित होली खेलने का अवसर भी देगी.
रिपोर्ट: पंचम झा
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