धनबाद(DHANBAD) | धनबाद की सड़कें रविवार को अपने को धन्य मान रही थी. सड़क पर टुसू शोभायात्रा निकली हुई थी. पारम्परिक नृत्य हो रहा था. जुलुस के दोनों ओर वोलेंटियर सजग थे. पुलिस का भी इंतजाम था. ट्रैफिक रूट बदल दिए गए थे . वृहद झारखंड कला संस्कृति मंच की ओर से रविवार को डहरे टुसू पर्व का आयोजन किया गया.शोभा यात्रा में काफी भीड़ थी. दुर्गा मंडप थान, सरायढेला से 50 से अधिक टुसू के नेतृत्व में शोभायात्रा निकाली गई. शोभा यात्रा में महिलाएं, बच्चे ,युवतियां पारंपरिक नृत्य करते नजर आये. यह शोभायात्रा सुबह सरायढेला मंडप थान से रवाना हुई. वोलेंटियर शोभा यात्रा के दोनों और कतार बनाकर चल रहे थे. पूरे रास्ते सभी लोग परंपरागत गीत,संगीत गाते और नाचते चल रहे थे.
झारखंड में ज्यादातर पर्व त्यौहार प्रकृति से जुड़े होते है
दृश्य काफी आकर्षक लग रहा था. वैसे झारखंड में ज्यादातर पर्व त्यौहार प्रकृति से जुड़े होते है. टुसू झारखंड का सबसे महत्वपूर्ण पर्व है. यह जाड़ों में फसल कटने के बाद 15 दिसंबर से लेकर मकर संक्रांति तक लगभग एक महीने तक मनाया जाता है. यह पर्व झारखंड के अलावा पश्चिम बंगाल के पुरुलिया, मिदनापुर व बांकुड़ा जिलों, ओडिशा के क्योंझर, मयूरभंज, बारीपदा जिलों में मनाया जाता है. इस उत्सव को अगहन संक्रांति (15 दिसंबर) से लेकर मकर संक्रांति (14 जनवरी) तक इसे कुंवारी कन्याओं के द्वारा टुसू पूजन के रूप में मनाया जाता है. घर की कुंवारी कन्याएं प्रतिदिन संध्या समय में टुसू की पूजा करती है. चारों ओर सजावट करती हैं और फिर धूप, दीप के साथ टुसू की पूजा करती है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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