धनबाद शहर की सुंदरता के दुश्मन बन गए हैं 'हम',जानिए यह स्लोगन धनबाद में क्यों हो रहा प्रचलित


धनबाद(DHANBAD) : धनबाद शहर की सुंदरता के दुश्मन यहां के लोग ही बन गए है. धनबाद नगर निगम ने शहर को सुंदर और स्वच्छ बनाने के लिए हालिया दिनों में कई पहल किए है. सेल्फी प्वाइंट का निर्माण कराया गया है. वर्टिकर्ल गार्डेन लगवाये गए है. लेकिन वर्टीकल गार्डेन की सुंदरता को नष्ट कर रहे हैं यहां के लोग. कोई पौधे चुरा ले रहा है तो निगम की ओर से उन पौधों में जरूरी मात्रा में पानी नहीं दिया जा रहा है. नतीजे है कि पौधे सूख रहे हैं, लोग भी इन पौधों को नोच कर चले जा रहे है. शहर के मुख्य चौक-चौराहों पर वर्टिकर्ल गार्डेन बनाये गए है. लोग बताते हैं कि बाईपास में बने जगह से तो लोग गमला सहित पौधे गायब कर दे रहे है. रणधीर वर्मा चौक के पास के वर्टिकर्ल गार्डेन से भी गमले गायब हो गए है.
लुबी सर्कुलर रोड के पार्क में जाने से क्यों लोग करते है परहेज
लुबी सर्कुलर रोड के दोनों तरफ निगम की ओर से घेराबंदी कर पौधरोपण किया गया है. सुकून के पल बिताने के लिए बैठने की व्यवस्था की गई है. लेकिन उन जगहों पर भी शरीफ लोग जाने से परहेज करने लगे है. अंदर प्रवेश करने पर ही शराब की बोतल, गंदगी दिखाई पड़ती है. निगम तो शहर को सुंदर बनाने का प्रयास कर रहा है, हमें इसमें सहभागी की बनना चाहिए, अगर सहभागी नहीं बन पा रहे हैं तो कम से कम गंदगी नहीं फैलाना चाहिए और किसी को फैलाने देना भी नहीं चाहिए. आखिर निगम भी तो हमारे आपके पैसे से ही शहर को सुंदर बना रहा है. तो इस सुंदरता में आपके पैसे भी लगे है. आप ही इसका लाभ उठाते है.
सेल्फी प्वाइंट पर लोगों का झुंड देख क्या आपको सुखद अनुभूति नहीं होती
शाम को जब सेल्फी प्वाइंट पर लोगों का झुंड हाथों में मोबाइल लिए हुए कोई भी देखता है तो उसे सुखद अनुभूति होती है. तो आखिर सुंदरता को हम नष्ट क्यों कर रहे है. निगम की जवाबदेही बनती है कि वह पौधों के रखरखाव की सही व्यवस्था करें, सिटी सेंटर से लेकर बरवा अड्डा तक डिवाइडर के बीच जो अशोक के पौधे लगाए गए हैं, वह पौधे भी पानी के लिए तरस रहे है. पौधों में जीतनी वृद्धि होनी चाहिए, नहीं हो रही है. कहीं ऐसा तो नहीं डिवाइडर के बीच में जो मिट्टी डाली गई है, वह मिट्टी पौधों के अनुकूल नहीं है. निगम को इसकी भी जांच करनी चाहिए कि कहीं ठेकेदार ने मिट्टी डालने में तो गड़बड़ी नहीं की है. बरसात का मौसम अभी खत्म ही हुआ है, पौधों को बड़े आकार का हो जाना चाहिए था, लेकिन ऐसा हुआ नहीं है.
रिपोर्ट: सत्यभूषण सिंह
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