रिटायर्ड कोयला कर्मियों की पेंशन संशोधन का मामला फिर उठा राज्य सभा में, कोयला मंत्री ने क्या दिया जवाब !


धनबाद(DHANBAD) : देश ही नहीं ,दुनिया की सबसे बड़ी कोयला उत्पादक कंपनी कोल इंडिया और उनकी सहायक कंपनियों से रिटायर्ड 5 लाख से अधिक कर्मियों की न्यूनतम पेंशन आज की तारीख में क्या होना चाहिए , इसको लेकर लगातार सवाल किये जा रहे है. लगभग 5:50 लाख रिटायर्ड कर्मी परेशानी में है, आज भी उनकी न्यूनतम पेंशन₹1000 या इससे भी कम है. इसके लिए लगातार आंदोलन भी हो रहे है. सरकार से सवाल भी पूछे जा रहे हैं, बावजूद कोयलाकर्मियों को कोई राहत नहीं मिल रही है. एक बार फिर यह मामला राज्यसभा में उठा है और कोयला मंत्री ने इसका जवाब भी दिया है. धरती का सीना चीरकर कोयला निकालने वाले रिटायर्ड कोयला कर्मी पेंशन में बढ़ोतरी की मांग को लेकर लगातार संघर्ष कर रहे है.
फिलहाल उनकी न्यूनतम पेंशन बहुत कम है ,बढ़ाने की कर रहे मांग
फिलहाल उनकी न्यूनतम पेंशन लगभग 1000 या उससे कम है. कम से कम 5000 करने की मांग कर रहे है. कोल इंडिया में 1998 से पेंशन स्कीम लागू है. फिलहाल उनकी मांग है कि पेंशन का रिवीजन होना चाहिए. इधर, संसद के शीतकालीन सत्र में कोल इंडिया के सेवा निवृत कोयला कर्मियों की पेंशन संशोधन का मुद्दा उठा. राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने कोल माइंस पेंशन स्कीम से जुड़ी पेंशन में बढ़ोतरी, पुरानी पेंशन और पेंशनरों की न्यूनतम पेंशन और सरकार की आगे की कार्य योजना को लेकर सवाल किया. उन्होंने अब तक हुए पेंशन संशोधन की भी जानकारी मांगी. इस पर कोयला एवं खान मंत्री ने बताया कि कोल् माइंस पेंशन स्कीम (सीएमपीएस 1998 )एक तय अंशदान और फिक्स लाभ वाली स्कीम है. जिसमें अंशदान की वर्तमान दरें लाभ के अनुरूप नहीं है.
कोयला मंत्री ने कहा -पेंशन फंड की स्थिरता का आकलन हर 3 साल में होता है
पेंशन फंड की स्थिरता का आकलन हर 3 साल में होता है. इस आधार पर पेंशन या अंशदान दर बढ़ाने की सिफारिश की जाती है. लेकिन सीएमपीएफओ के ट्रस्टी बोर्ड में शामिल केंद्रीय ट्रेड यूनियन के विरोध के कारण पेंशन अंशदान बढ़ाने की सिफारिश को अब तक लागू नहीं की जा सकीय है. 1 अक्टूबर 2017 से पेंशन फंड में अंशदान 4.9 1% से बढ़ाकर 14% कर दिया गया, बावजूद पेंशन फंड की आय , खर्च की तुलना में कम है. एक अनुमान के अनुसार कोल इंडिया और उसकी सहायक कंपनियों से लगभग साढे 5 लाख कुर्मी रिटायर्ड हैं और पेंशन भोगी है. उनका कहना है कि जितना पेंशन मिलती है, उससे उन्हें जीवन का निर्वहन करना कठिन है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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