दुमका(DUMKA):केंद्र से लेकर राज्य और जिला से लेकर पंचायत तक कुछ मुद्दे ऐसे होते हैं, जो चुनावी मुद्दा बनता है. झारखंड की उपराजधानी दुमका में उच्च न्यायालय के खंडपीठ की स्थापना एक ऐसा ही मुद्दा है, जो चुनाव के वक्त मुद्दा तो जरूर बनता है, लेकिन चुनाव परिणाम आने के बाद ठंढे बस्ते में डाल दिया जाता है. वर्ष 2024 में लोक सभा औऱ उसके बाद झारखंड विधानसभा का चुनाव होना है. एक बार फिर से उच्च न्यायालय के खंडपीठ की स्थापना की मांग जोर पकड़ने लगी है. इस बार मांग तेज होने का तात्कालिक कारण है वर्चुअल प्लेटफॉर्म के उद्घाटन के साथ ही तकनीकी कारण का हवाला देकर उसे बंद कर देना.
राज्य गठन के बाद से ही संघ द्वारा हाई कोर्ट बेंच की मांग उठती रही है
दरअसल 29 नवंबर को हाई कोर्ट के ई-सेवा केन्द्र के वर्चुअल प्लेटफार्म के उद्घाटन झारखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के द्वारा किया गया.लोगों की आस जगी की अब दुमका के लोगों को सुलभ और सस्ता न्याय पाने में सहूलियत होगी.अधिवक्ता संघ इसे खंडपीठ की स्थापना की दिशा में एक कदम मान रहे थे, लेकिन इसके बंद होने से अधिवक्ता संघ में नाराजगी है. शुक्रवार को जिला अधिवक्ता संघ ने प्रभारी जिला प्रधान जज रमेश चन्द्र के माध्यम से मुख्य न्यायाधीश, हाई कोर्ट, रांची संजय कुमार मिश्रा को मांग पत्र सौंपा है.संघ ने आवेदन में बिहार पुनर्गठन विधेयक 2000 की धारा 25(3) के आलोक में दुमका में हाई कोर्ट बेंच स्थापित करने की मांग किया है.संघ का कहना है कि राज्य गठन के बाद से ही संघ द्वारा हाई कोर्ट बेंच की मांग उठती रही है. पिछ्ली सरकार ने कई बार घोषणा भी की है.
दुमका के अधिवक्ताओं में काफी नाराजगी व्याप्त है
संघ का मानना है कि दुमका में हाई कोर्ट बेंच की स्थापना से संथाल परगना जैसे पिछड़े इलाका के गरीब और लाचार व्यक्ति को सुलभ, सस्ता और त्वरित न्याय मिल सकेगा. जो संथाल परगना के लोगों के लिए वरदान साबित होगा. इस बीच अधिवक्ताओ ने 29 नवंबर को हाई कोर्ट के ई-सेवा केन्द्र के वर्चुअल प्लेटफार्म के उद्घाटन होने के साथ ही बंद होने से नाराजगी जताया.आपको बताये कि हाईकोर्ट बेंच के निर्माण को लेकर बीजेपी की रघुवर दास की सरकार के कार्यकाल में पुलिस लाइन के पास जमीन भी आवंटित हो चुका है. हाईकोर्ट के वर्चुअल प्लेटफार्म के उद्घाटन से संघ को हाई कोर्ट बेंच की स्थापना की एक उम्मीद जगी थी, लेकिन उद्घाटन के बाद ही बंद होने से दुमका के अधिवक्ताओं में काफी नाराजगी व्याप्त है.
इसको लेकर दुमका के अधिवक्ताओं में काफी नाराजगी व्याप्त है
वहीं निर्वतमान संघ अध्यक्ष विजय सिंह एवं सचिव राकेश कुमार ने बताया कि संघ राज्य गठन के बाद से ही हाई कोर्ट बेंच की स्थापना की मांग को लेकर आंदोलनरत है. पिछली सरकारें भरोसा भी दिलायी, लेकिन मामला ठप हो गया. वर्चुअल प्लेटफॉर्म के उद्घाटन से संथाल परगना के लोगों में एक बार फिर उम्मीद जगी, लेकिन हाई कोर्ट के अधिवताओं के विरोध के बाद वर्चुअल प्लेटफार्म बंद हो जाने से पुनः मायूसी छा गई. ज्ञापन सौपने वाले अधिवताओं में राधवेंद्रनाथ पांडे, सत्यनारायण भगत, सुदेश कुमार सिंह, कमल किशोर झा, बरुण कुमार, प्रेम कुमार गुप्ता, अजय कुमार, मुन्ना केशरी, सुनील कुमार, धनन्जय झा, कुमार प्रभात आदि मौजूद थे.
यह प्रमंडल अपेक्षाकृत गरीब और पिछड़ा माना जाता है
दुमका को झारखंड की उपराजधानी का दर्जा प्राप्त है. संथाल परगना का प्रमंडलीय मुख्यालय है. प्रमंडल में कुल 6 जिला शामिल है. रांची से दूरस्थ प्रमंडल है. यह प्रमंडल अपेक्षाकृत गरीब और पिछड़ा माना जाता है. इस वजह से यहां के लोगों को झारखंड उच्च न्यायालय से न्याय पाने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है.बिहार पुनर्गठन विधेयक 2000 की धारा 25(3) के तहत झारखंड की उपराजधानी में उच्च न्यायालय के खंडपीठ की स्थापना का प्रावधान भी है. इसके बाबजूद राज्य गठन के 23 वर्ष बाद भी यह चुनावी मुद्दा ही बना हुआ है. आस कब पूरी होगी यह बताना मुश्किल है.
रिपोर्ट-पंचम झा
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