धनबाद(DHANBAD): धनबाद के कांग्रेसियों को 12 सालों से ताले में बंद अपनी ऐतिहासिक धरोहर का इतिहास ,भूगोल भी नहीं मालूम है. बुधवार को प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे मंच से यह कह रहे थे कि ताले में बंद कांग्रेस कार्यालय की आधारशिला पूर्व प्रधानमंत्री आयरन लेडी श्रीमती इंदिरा गांधी ने रखी थी. लेकिन सच्चाई यह है कि इसकी आधारशिला धनबाद जिला कांग्रेस के पहले अध्यक्ष रंगलाल चौधरी ने रखी थी. यह बात सच है कि श्रीमती इंदिरा गांधी इस कार्यालय में आई थी, लेकिन वह कार्यालय की आधारशिला रखने नहीं, कार्यालय बनने के बाद आई थी. उनके आने का मकसद था कि उस समय के सर्वाधिक चर्चित और कद्दावर कांग्रेस नेता बीपी सिन्हा की स्मृति में एक पुस्तकालय का शिलान्यास करना. कार्यालय परिसर में शिला पट्ट आज भी मौजूद है. जबकि मंच से इन बातों की कोई चर्चा नहीं हुई. सवाल उठता है कि जानबूझकर प्रदेश प्रभारी को गलत जानकारी दी गई अथवा कांग्रेस कार्यालय के इतिहास की जानकारी धनबाद के कांग्रेसियों को है ही नहीं.
तो क्या बुजुर्ग कांग्रेसियों को भी नहीं मालूम है यह सब
बुधवार से एक दिन पहले कार्यालय खुलवाने के लिए बुजुर्ग कांग्रेसियों ने भी धरना दिया था. तो क्या उन बुजुर्ग कांग्रेसियों को भी कांग्रेस के ऐतिहासिक धरोहर धनबाद जिला कांग्रेस कार्यालय के इतिहास की जानकारी नहीं है. अगर जानकारी नहीं है तो आयोजन के पहले इसकी खोज खबर लेनी चाहिए थी. लेकिन नहीं ली गई. बुधवार को प्रदेश प्रभारी के उद्घोषणा के बाद तो यह प्रश्न भी उठ रहा है कि क्या एक जिम्मेवार व्यक्ति को कुछ बोलने से पहले उसकी जांच पड़ताल करनी चाहिए अथवा नहीं .क्या गलत जानकारी देने के खिलाफ अब धनबाद जिला कांग्रेस के पदाधिकारियों से पूछताछ की जाएगी अथवा जिस तरह से कार्यालय में ताला बंद है, उसी तरह से इस सवाल को भी ताले में बंद कर दिया जाएगा. धनबाद जिला कांग्रेस कार्यालय 12 सालों से बंद है .बातें तो खूब हुई लेकिन कार्यालय खुलवाने की जमीनी कोशिश नहीं की गई. जो आए राजनीति कर चले गए. इसके पहले मंत्री बन्ना गुप्ता आए थे ,उसके बाद उनकी ललकार पर कांग्रेस के एक नेता ने कार्यालय का ताला तोड़ दिया था. हल्ला मचने के बाद फिर से ताला बंद हो गया. उस समय भी कार्यालय नहीं खुला. बुधवार को भी मंच से बन्ना गुप्ता ने कहा कि अगर प्रदेश प्रभारी कहे तो वह अभी मंत्री पद से इस्तीफा देकर कार्यालय का ताला तोड़कर धनबाद जिला कांग्रेस के हवाले कार्यालय को कर देते हैं.
पहले आक्रमक दिखे मंत्री, फिर मामले को संभाला
हालांकि बाद में उन्होंने मंच से उतरने के बाद इस बात को संभाला और कहा कि वह एक संवैधानिक पद पर हैं, ऐसे में कानूनी प्रक्रियाओं को पूरा करने के बाद ही इसे खोला जा सकता है. जो भी हो प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे ने कहा कि इस संबंध में उन्होंने प्रशासनिक अधिकारियों से बात की है. उन्हें भरोसा मिला है कि जल्द ही इस पर निर्णय कर लिया जाएगा. जानकारी के अनुसार कांग्रेस नेताओं ने मुकदमे को वापस ले लिया है इसलिए अब मामला सब जुडिस भी नहीं है .जिला परिषद पूर्व में बाजार दर के आधार पर कार्यालय हैंड ओवर करने को तैयार था .लेकिन कांग्रेसियों ने स्वीकार नहीं किया. उनका कहना था कि लीज पर जमीन लेने के बाद कांग्रेसियों के खर्चों से भवन का निर्माण हुआ है. ऐसे में वह वर्तमान दर पर कार्यालय भाड़े पर नहीं लेंगे. यही मामला फंस गया, फिर यह मामला रांची गया, रांची से लौटकर धनबाद जिला परिषद आया ,उसके बाद जहां का तहां पड़ा हुआ है .इधर, सूत्र बताते हैं कि मामला अब कैबिनेट में जा सकता है और वहां से पास होने के बाद ही कोई निर्णय संभव है.
झारखंड में कांग्रेस कोटे से है चार मंत्री
बहर हाल कारण चाहे जो भी हो साढ़े तीन सालों से कांग्रेस झारखंड सरकार में शामिल है. कांग्रेस कोटे के 4 मंत्री हैं. सरकार में उनकी हनक है, फिर भी कार्यालय में ताला बंद है. वर्तमान में कार्यालय की हालत देखकर कांग्रेसियों की खादी पर दाग दिखने लगे है. कार्यालय परिसर जंगल में तब्दील हो गया है. गुमटीओ का कबाड़ हो गया है. अब तो शायद रात की बात कौन कहे, दिन में भी सांप बिच्छू अठखेलियां करते होंगे. देखना है बुधवार की घोषणा के बाद आगे क्या होता है. यह बात भी यहां उल्लेखनीय है कि बुधवार का कार्यक्रम राहुल गांधी के खिलाफ हो रही कथित साजिश के खिलाफ था लेकिन कार्यालय बंदी का मामला इस पर भारी दिखा.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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