टीएनपी डेस्क(Tnp desk):-झारखंड की जेलों में लगातार बढ़ती कैदियों की संख्या के चलते हालात खराब हो गये है. समय-समय पर इसकी खबरें सामने आती रही है. इसके साथ ही जेल मिल रही सुविधाओं पर सवाल खड़े किए जाते रहें है. सलाखों के पीछ रहने वाले कैदियों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी से चिंता पैदा हो गई ङै. झारखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायधीश संजय मिश्रा ने इसे लेकर चिंता जताई . उनकी नजर में क्षमता से तीन गुना ज्यादा कैदी झारखंड की जेलों में मौजूद हैं. जिसे कम करने की जरुरत हैं. ज्यूडिशियल अकादमी, झारखंड व पूर्वी सिंहभूम जजशिप द्वारा रिमांड व जमानत न्याय शास्त्र पर लोयला स्कूल स्थित फेजी सभागार में क्षेत्रीय सम्मेलन हुआ. जिसे वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से झारखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायधीश संजय मिश्रा ने संबोधित किया. उन्होंने मौजूदा जेल की दायनीय हालत पर बताया कि सजायाफ्ता के साथ-साथ विचाराधीन वैसे कैदी भी बंद है. जिनकी सजा पूरी हो चुकी है या लंबे समय से दोषी करार नहीं दिए गये हैं. उन्होंने ऐसे सभी मामलों सहित रिमांड पर जल्द निर्णय लेने पर जोर दिया.
जेलों की हालात का लें जायजा
मुख्य न्यायधीश ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि इसके लिए जरूरी है कि न्यायिक सदस्य नियमित रूप से जेलों का दौरा करें औऱ वहां की स्थिति-परिस्थिति को भी देखे. इसके साथ ही कम गंभीर मामलों में न्यायिक हिरासत में भेजने से पहले विवेचना कर अपने विवेक से निर्णय लेने की सलाह दी.उन्होंने न्याय सभी के लिए सुलभ व सहज होने की भी बात कही. इधर, ,अकादमी के प्रभारी जज सुजीत नारायण प्रसाद ने कहा कि रिमांड पर भेजने से पहले सभी पहलुओं औऱ तथ्यों का बारीकी से अध्ययन करने की जरुरत है. स्थिति-परिस्थिति व कानून पर निर्णय लेने की प्रक्रिया त्वरित होनी चाहिए
पोक्सो एक्ट पर भी हुई चर्चा
इस सम्मेलन में पोक्सो एक्ट और एनडीपीएस केस के अनुपालन पर भी विस्तार से चर्चा की गई. इसमें आने वाली दिक्कतों को कैसे दूर करें, ताकि पीड़िता को तुरंत और त्वरित न्याय मिले. इस संबंध में कुशी कुशलप्पा और डा. जेएन बारोवालिया ने भी प्रकाश डाला. राज्य के चौथे क्षेत्रीय सम्मेलन में कोल्हान प्रमंडल के तीन जिलों से प्रधान जिला न्यायधीश और अन्य न्यायिक पदाधिकारी, जिला बार संघ, सिविल सोसाइटी, पुलिस, प्रशासन, लोयोला स्कूल के छात्र व अन्य लोग मौजूद थे.
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